मेडिकल कॉलेज की इमरजेंसी मरीजों से फुल, स्ट्रेचर पर हो रहा इलाज
Deoria News - महर्षि देवरहा बाबा स्वशासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालय की इमरजेंसी में रविवार को रोगियों की भारी भीड़ रही। सभी वार्ड के बेड फुल होने के कारण कई रोगियों को स्ट्रेचर पर ही इलाज करना पड़ा। भीषण गर्मी के...

देवरिया, निज संवाददाता।महर्षि देवरहा बाबा स्वशासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालय की इमरजेंसी में रविवार को रोगियों की भीड़ रही। वार्ड के सभी बेड फुल हो गए। इसके चलते अन्य रोगियों की चिकित्सा स्ट्रेचर पर ही करना पड़ा। वहीं इमरजेंसी में भीषण गर्मी के चलते भर्ती रोगी परेशान रहे। मौसम का मिजाज बदलने से लोग बीमार पड़ने लगे हैं। इसके चलते एकाएक मेडिकल कालेज में रोगियों की संख्या बढ़ गई। रविवार को ओपीडी बंद होने से बीमार हो रहे लोगों का इमरजेंसी में ही इलाज हुआ। शाम तक लगभग 400 रोगी इमरजेंसी पहुंचे। छोटी मोटी समस्याओं से परेशान अधिकांश लोगों को तुरंत दवा देकर घर भेज दिया गया।
गंभीर रूप से बीमारों को भर्ती कर चिकित्सा की गई। इसके चलते इमरजेंसी के दोनो वार्डों के सभी 16 बेड रोगियों से भर गए। इसके बाद आए रोगियों को ईसीजी कक्ष में दो बेड पर भर्ती किया गया। इसके बाद आए लोगों का इलाज गैलरी में स्ट्रेचर पर ही किया गया। दूसरी ओर भीषण गर्मी में मेडिकल कालेज की इमरजेंसी में रोगी गर्मी से उबलते रहे। वार्डों में पिछले साल तक रखे गए एक-एक कूलर गायब मिले। सीलिंग फैन के सहारे रोगियों को समय काटना पड़ा। कुछ रोगियों के परिजन साथ लाए हाथ के पंखे से हवा झलते हुए अपने रोगियों को राहत देने का प्रयास किया। इसके अलावा इमरजेंसी के चैनल के पास रखा एक कूलर भी नहीं है। यहां भी रोगियों के परिजन गर्मी से बेहाल होकर इधर उधर टहलते हुए अपने रोगी की सूचना लेने को बेहाल दिखाई दिए। मेडिसीन वार्ड में बेड रहे फुल मेडिकल कालेज के मेडिसीन वार्ड में सभी बेड फुल रहे। इसके चलते इमरजेंसी से कुछ रोगियों को वार्ड में शिफ्ट होने में कई घंटे इंतजार करना पड़ा। इमरजेंसी में भर्ती एक महिला रोगी को रक्त चढ़ाया जाना था। परिजनों ने लाकर इमरजेंसी में भर्ती करा दिया। इसके बाद यहां से रक्त चढ़वाने के लिए मेडिसीन वार्ड में शिफ्ट करने का प्रयास परिजन करने लगे। इमरजेंसी से मेडिसीन वार्ड का चक्कर लगाने के बाद भी बेड नहीं मिला। वार्ड में बताया गया किया अभी बेड खाली नहीं है। खाली होते ही सूचित कर दिया जाएगा। काफी प्रयास के बाद बेड उपलब्ध होने के बाद महिला रोगी को वार्ड में शिफ्ट किया जा सका।
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