स्वंय भगवान करते हैं भक्तों की रक्षा : श्रीकांत शर्मा
Deoria News - देवरिया में आयोजित सप्त दिवसीय श्रीमदभागवत कथा के चौथे दिन कथा व्यास श्रीकांत शर्मा ने कहा कि भगवान भक्तों की रक्षा करते हैं। आत्ममंथन से परमात्मा की प्राप्ति होती है। राम का जन्म उत्सव मनाते हुए...
देवरिया, निज संवाददाता। भक्त की रक्षा स्वयं भगवान कहते हैं। समुद्र मंथन से एक बार 14 रत्न मिले पर आत्ममंथन सबसे बड़ा है, जिससे परमात्मा प्राप्त होते हैं। जिसका रक्षक भगवान हो उसे कोई मार नहीं सकता। जो प्रभु का दास हो हार नहीं सकता। उक्त बातें देवरिया-कसया मार्ग स्थित अग्रवाल वाटिका में आयोजित सप्त दिवसीय श्रीमदभागवत कथा महापुराण के चौथे दिन कथा व्यास श्रीकांत शर्मा ने कहीं। राम जन्म उत्सव के अवसर पर कथा का व्याख्यान करते हुए व्यास जी ने कहा राम के लिए ब्रह्मा विधमान है राम हमारे देश के वर्तमान। कथा काम, क्रोध लोभ आदि विकारों को दूर करती है काम मानव का शत्रु है ,लेकिन वह मित्र के समान प्रतीत होता है, जब वह हटता है राम का प्रवेश होता है। भगवान सभी को सूर्य की तरह समभाव से प्रकाश देते हैं । वह सब को उसके अनुकूल फल देते हैं।
नवधा भक्ति का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि श्रवण मनन कीर्तन वंदन आत्म निवेदन आदि में किसी एक का भी सहारा लिया जाए तो भगवान मिल जाते हैं । अनेक योनियों के बाद मनुष्य का शरीर मिलता है ।इसलिए भजन करते रहना चाहिए इस जगत को पसंन्न करना बहुत कठिन है, लेकिन भगवान को प्रसन्न करना बहुत आसान है । अंततः भगवान को प्रसन्न करने का प्रयास करना चाहिए ।
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