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निजीकरण के खिलाफ बिजली कर्मियों का फूटा गुस्सा, लखनऊ में सड़कों पर उतरे हजारों कर्मचारी

पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के विरोध में बिजली कर्मी बुधवार को सड़क पर उतरे। उन्होंने शक्तिभवन के सामने जोरदार प्रदर्शन किया और जमकर नारेबाजी की। साथ ही बिजली कर्मियों ने फील्ड हॉस्टल से शक्ति भवन तक विशाल रैली निकाली।

Pawan Kumar Sharma लाइव हिन्दुस्तानWed, 9 April 2025 07:52 PM
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निजीकरण के खिलाफ बिजली कर्मियों का फूटा गुस्सा, लखनऊ में सड़कों पर उतरे हजारों कर्मचारी

पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के विरोध में बिजली कर्मी बुधवार को सड़क पर उतरे। उन्होंने शक्तिभवन के सामने जोरदार प्रदर्शन किया और जमकर नारेबाजी की। प्रदेशभर से आए बिजली कर्मियों ने फील्ड हॉस्टल से शक्ति भवन तक विशाल रैली निकाली। फिर आम सभा में 29 मई से कार्य बहिष्कार करने का प्रस्ताव पारित किया गया। ऐलान किया कि निजीकरण वापस न होने तक अनिश्चितकालीन कार्य बहिष्कार जारी रहेगा। कार्य बहिष्कार से पूर्व 16 से 30 अप्रैल तक जनजागरण अभियान चलेगा।

संघर्ष समिति द्वारा तय कार्यक्रम के तहत एक मई को बाइक रैली निकाली जाएगी। 2 मई से 9 मई तक क्रमिक अनशन होगा और 14 से 19 मई तक कार्य आन्दोलन होगा जबकि 20 मई को विरोध प्रदर्शन किया जाएगा और 21 मई से 28 मई तक तीन घंटे का कार्य बहिष्कार रहेगा।

रैली में अनुशासित दिखे बिजलीकर्मी

निजीकरण के विरोध में पूर्व घोषित कार्यक्रम के तहत बिजली कर्मी बुधवार को राणा प्रताप मार्ग स्थित हाइडिल फील्ड हॉस्टल में जुटे। दोपहर 12.30 बजे से उन्होंने रैली निकाली। यह रैली सिकन्दरबाग चौराहा, अशोक मार्ग, इंदिरा भवन, जवाहर भवन, शक्ति भवन होते हुए मीराबाई मार्ग के रास्ते वापस फील्ड हॉस्टल पहुंची। फिर फील्ड हॉस्टल पर सभा आयोजित की गई। संघर्ष समिति ने रैली में करीब 25 हजार लोगों के जुटने का दावा किया। खास बात यह है कि रैली के दौरान बिजली कर्मी पूरी तरह अनुशासित दिखे। समिति के संयोजक शैलेंद्र दुबे ने कहा कि निजीकरण राष्ट्र और कर्मचारी दोनों के हित में नहीं हैं। हमारा मकसद हर हाल में निजीकरण रोकना है।

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किसी कर्मचारी पर कार्रवाई हुई तो होगा आंदोलन

फील्ड हॉस्टल में हुई सभा में बिजली कर्मचारियों ने कहा कि निजीकरण के विरोध में प्रदर्शन और कार्य बहिष्कार की तैयारी कर रहे कर्मचारियों के खिलाफ यदि पावर कारपोरेशन प्रबंधन ने कोई कार्रवाई की तो बिजली कर्मचारी राष्ट्रव्यापी आंदोलन करेंगे। निर्णय लिया गया कि 16 अप्रैल से 30 अप्रैल तक चलाए जाने वाले जन-जागरण पखवाड़े में सभी सांसदों और विधायकों को निजीकरण के विरोध में ज्ञापन दिए जाएंगे। समस्त जनपदों और परियोजनाओं पर विरोध सभा की जाएगी। संघर्ष समिति के मुताबिक 2 मई से 9 मई तक शक्ति भवन मुख्यालय पर क्रमिक अनशन किया जाएगा। इसमें प्रदेश के बिजली कर्मचारियों के साथ ही उत्तर भारत के विभिन्न प्रांतों के बिजली कर्मी और अभियंता भी शामिल होंगे। 14 मई से 19 मई तक नियमानुसार कार्य आंदोलन चलेगा, जिसमें बिजली कर्मी अपने लिये निर्धारित ड्यूटी और निर्धारित कार्य की अवधि के अलावा काम नहीं करेंगे। 14 मई को उत्तरी भारत के सभी प्रांतों के बिजलीकर्मी उत्तर प्रदेश में हो रहे निजीकरण के विरोध में प्रदर्शन करेंगे।

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अन्य राज्यों के कर्मचारी नेता भी रहे मौजूद

पूर्वांचल व दक्षिणांचल बिजली कंपनियों के निजीकरण के विरोध में हुए प्रदर्शन में दूसरे राज्यों से आए कर्मचारी नेताओं ने भी भाग लिया। इसमें मुख्य रूप से तेलंगाना, आन्ध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखण्ड, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, जम्मू-कश्मीर, पंजाब, हरियाणा, उत्तराखण्ड के पदाधिकारी और अभियंता शामिल हैं।