जज़्बात, परिवार और इंसान..., हफ्ते में 90 घंटे काम करने की अमिताभ कांत की सलाह पर बोले अखिलेश
- अखिलेश यादव ने इस पोस्ट को युवा कर्मचारियों के नाम एक पत्र की तरह लिखा है। जिसकी शुरुआत उन्होंने 'प्रिय यंग एम्प्लॉयीज़' जैसे शब्द से की है तो अंत में 'आपका अखिलेश' लिखते हुए बात पूरी की है। उन्होंने लिखा-90 घंटे काम करने की सलाह देने वाले कहीं इंसान की जगह रोबोट की बात तो नहीं कर रहे हैं।

Akhilesh Yadav on the advice of working 90 hours a week: नीति आयोग के पूर्व सीईओ अमिताभ कांत की हफ्ते में 90 घंटे काम करने की सलाह पर समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने तंज कसा है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफार्म 'एक्स' पर बिना किसी का नाम लिए इस पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। अखिलेश यादव ने लिखा कि जो लोग एम्प्लॉयीज़ को 90 घंटे काम करने की सलाह दे रहे हैं कहीं वो इंसान की जगह रोबोट की बात तो नहीं कर रहे हैं क्योंकि इंसान तो जज़्बात और परिवार के साथ जीना चाहता है। इस पोस्ट को अखिलेश यादव ने युवा कर्मचारियों के नाम एक पत्र की तरह लिखा है। जिसकी शुरुआत उन्होंने 'प्रिय यंग एम्प्लॉयीज़' जैसे शब्द से की है तो अंत में 'आपका अखिलेश' लिखते हुए बात पूरी की है।
अखिलेश ने अपनी बात की शुरुआत युवा कार्मिकों को संबोधित करते हुए की। उन्होंने लिखा- 'प्रिय यंग एम्प्लॉयीज़, जो लोग एम्प्लॉयीज़ को 90 घंटे काम करने की सलाह दे रहे हैं कहीं वो इंसान की जगह रोबोट की बात तो नहीं कर रहे हैं क्योंकि इंसान तो जज़्बात और परिवार के साथ जीना चाहता है। और आम जनता का सवाल ये भी है कि जब अर्थव्यवस्था की प्रगति का फ़ायदा कुछ गिने चुने लोगों को ही मिलना है तो ऐसी 30 ट्रिलियन की इकोनॉमी हो जाए या 100 ट्रिलियन की, जनता को उससे क्या। सच्चा आर्थिक न्याय तो यही कहता है कि समृद्धि का लाभ सबको बराबर से मिले, लेकिन भाजपा सरकार में तो ये संभव ही नहीं है।
सपा मुखिया अखिलेश यादव ने आगे लिखा- 'साथ ही सलाह देने वाले भूल गये कि मनोरंजन और फ़िल्म उद्योग भी अरबों रुपए इकोनॉमी में जोड़ता है। ये लोग शायद नहीं जानते हैं कि एंटरटेनमेंट से लोग रिफ़्रेश्ड, रिवाइव्ड और री-एनर्जाइज़्ड फ़ील करते हैं, जिससे वर्किंग क्वॉलिटी बेटर होती है। ये लोग न भूलें कि युवाओं के सिर्फ़ हाथ-पैर या शरीर नहीं, एक दिल भी होता है जो खुलकर जीना चाहता है और बात घंटों काम करने की नहीं होती बल्कि दिल लगाकर काम करने की होती है।क्वांटिटी नहीं, क्वॉलिटी ऑफ़ वर्क सबसे ज़रूरी होता है। सच तो ये है कि युवाओं की रात-दिन की मेहनत का सबसे ज़्यादा लाभ सबसे ऊपर बैठे हुए लोगों को बैठे-बिठाए मिलता है, इसीलिए ऐसे कुछ लोग ‘90 घंटे काम करने’ जैसी इंप्रैक्टिकल सलाह देते हैं। आज जो लोग युवाओं को ये सलाह दे रहे हैं, वो दिल पर हाथ रखकर बताएं कि ये विचार उन्हें तब आया था क्या जब वो युवा थे और आया भी था और उन्होंने अपने समय में अगर 90 घंटे काम किया भी था तो फिर आज हम इतने कम ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी तक ही क्यों पहुँचे।'
वर्क एंड लाइफ बैलेंस की दी सलाह
पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने युवा कर्मचारियों को वर्क एंड लाइफ़ बैलेंस की सलाह देते हुए 'एक्स' पर लिखा- 'वर्क एंड लाइफ बैलेंस ही मानसिक रूप से एक ऐसा स्वस्थ वातावरण बना सकता है, जहाँ युवा क्रिएटिव और प्रॉडक्टिव होकर सही मायने में देश और दुनिया को और बेहतर बना सकते हैं।'
भाजपा पर निशाना
अपनी प्रतिक्रया में अखिलेश ने भाजपा पर निशाना भी साधा। उन्होंने लिखा- 'अगर भाजपाई भ्रष्टाचार ही आधा भी कम हो जाए तो अर्थव्यवस्था अपने आप दुगनी हो जाएगी। जिसकी नाव में छेद हो उसकी तैरने की सलाह का कोई मतलब नहीं।'
क्या बोले थे अमिताभ कांत
बता दें कि नीति आयोग के पूर्व सीईओ अमिताभ कांत ने हाल ही में बिजनेस स्टैंडर्ड के 'मंथन शिखर सम्मेलन' में कहा था कि 2047 तक 30 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के महत्वाकांक्षी लक्ष्य को हासिल करने के लिए भारतीयों को कड़ी मेहनत करनी चाहिए। उन्होंने कहा था- 'मैं कड़ी मेहनत में दृढ़ता से विश्वास करता हूं। भारतीयों को कड़ी मेहनत करनी चाहिए, चाहे वह सप्ताह में 80 घंटे हों या 90 घंटे। यदि आपकी महत्वाकांक्षा 4,000 अरब डॉलर से 30,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की है, तो आप इसे मनोरंजन या कुछ फिल्मी सितारों के विचारों का अनुसरण करके नहीं हासिल कर सकते।'