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बोले कासगंज:फोटोग्राफर्स की कहानी, महीनों तक काम के इंतजार में जिंदगानी

Etah News - कासगंज के फोटोग्राफरों का कहना है कि शादी-विवाह के सीजन में तो उन्हें काम मिलता है, लेकिन बाकी समय रोजगार की कमी से जूझना पड़ता है। सरकार से मांग है कि उन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ मिले ताकि वे अपने...

Newswrap हिन्दुस्तान, एटाMon, 28 April 2025 02:55 AM
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बोले कासगंज:फोटोग्राफर्स की कहानी, महीनों तक काम के इंतजार में जिंदगानी

कासगंज। फोटोग्राफर बताते हैं कि शादी-विवाह के कारण वर्ष में 7 माह तो उनके पास काम रहता है। लेकिन इसके बाद वर्ष के 5 माह वे रोजगार को लेकर इसी चिंता में व्यतीत करते हैं, कि अपने आश्रितों का भरण पोषण कैसे करें। फोटोग्राफरों का कहना है कि सरकार को ऐसी नीतियां बनानी चाहिए, जिससे रोजगार को लेकर हमारी समस्याओं का समाधान संभव हो सके। रोजगार की अनिश्चितता के चलते बीते दो दशकों में जिलेभर के दो दर्जन से अधिक लोगों ने अपने फोटो स्टूडियो के धंधे को बंद कर दिया। अब वे बाहर जाकर अन्य कामों के जरिए अपने परिवार का भरण पोषण कर रहे हैं। फोटोग्राफर्स का कहना है कि रोजगार के अभाव में वित्तीय संकट के चलते परिवार का पालन पोषण करना कठिन हो जाता है।

इस पेशे से जुड़े लोगों का कहना है, कि उन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिलता। सरकारी योजनाओं के अंतर्गत इन्हें फोटोग्राफी संबंधी अत्याधुनिक उपकरणों को खरीदने हेतु बैंक लोन भी नहीं मिल पाता। आयुष्मान भारत समेत अन्य तमाम योजनाओं के लाभों से भी यह लोग वंचित रह जाते हैं। आउटडोर एवं स्टूडियो फोटोग्राफरों के सामने चुनौतियों की भरमार है। लेकिन सरकार तथा प्रशासनिक अधिकारी इन समस्याओं पर कोई ध्यान नहीं देते। हमें सरकार से उम्मीदें तो बहुत हैं, पर ये उम्मीदें कब पूरी होंगी, इसका कुछ पता नहीं। हमें सरकारी योजनाओं का लाभ दिया जाए ताकि ऑफ सीजन में हम अपने परिवार का भरण पोषण कर सकें।

पहले जिले के प्रमुख पर्यटन स्थलों समेत आगरा एवं मथुरा के पर्यटन स्थलों पर प्री-वेडिंग सूट के दौरान फोटोग्राफरों को काफी लाभ मिल जाता था। लेकिन अब प्री वेडिंग सूट के लिए भी शुल्क लगा दिया गया है। फोटोग्राफर्स के पैकेज में यह अतिरिक्त शुल्क शामिल नहीं होता। वहीं अंतिम समय में कस्टमर भी इस शुल्क का भुगतान करने से इंकार कर देते हैं। जिससे इसका बोझ भी फोटोग्राफर्स को ही झेलना पड़ता है। वहीं किसी-किसी स्थान पर शूट के दौरान इन्हें पुलिस कर्मी भी परेशान करते हैं। इससे केवल फोटोग्राफर ही नहीं सामान्य लोग भी अपने यादगार पलों को शूट नहीं कर पा रहे हैं। फोटोग्राफरों का कहना है कि जिस प्रकार सरकार द्वारा अन्य वर्गों के कल्याण हेतु विभिन्न प्रकार की योजनाओं का संचालन किया जा रहा है। वैसे ही फोटोग्राफर्स के जीवन स्तर को बेहतर बनाने के लिए सरकार को योजनाएं बनाने पर विचार करना चाहिए। फोटोग्राफर्स बताते हैं कि अब इस पेशे में लगने वाली लागत काफी बढ़ गई है। ऐसे में काम ना मिलने के कारण फोटोग्राफर्स को हानि उठानी पड़ती है। वित्तीय समस्याओं के चलते कई फोटोग्राफरों का संघर्षमय जीवन काट रहे हैं।

फोटोग्राफर्स बताते हैं कि आज के आधुनिक युग में डिजिटल फोटोग्राफी के साथ-साथ मोबाइल फोटोग्राफी का चलन भी बढ़ गया है। इसके कारण भी उन्हें तमाम तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। मोबाइल फोटोग्राफी ने चलन ने लोगों का फोटोग्राफी के प्रति नजरिया ही बदल दिया है। लोग अच्छी फोटोग्राफी तो कराना चाहते हैं। लेकिन उसके लिए पैसा खर्च करना नहीं चाहते हैं। कार्यकमों में कस्टमर अक्सर फोटोग्राफरों देर से छोड़ते हैं। इससे फोटोग्राफर्स को अन्य निर्धारित कार्यक्रमों में देर से पहुंचने पर ग्राहकों की नाराजगी का सामना करना पड़ता है। कई ग्राहक कार्यक्रमों का काम कराने के बाद तय समय में एलबम एवं डीवीडी लेने नहीं पहुंचते हैं। इस वजह से फोटोग्राफर्स का पेमेंट भी अटक जाता है। जिससे उन्हें वित्तीय समस्याओं का संकट झेलना पड़ता है।

अब फोटोग्राफी का पेशा घाटे का सौदा बन गया है। पहले लोग स्टूडियो में एवं कार्यक्रमों में फोटो खिंचवाने के लिए उत्साहित रहते थे। लेकिन अब लोगों के हाथ में मोबाइल आने से इस पेशे के प्रति नजरिया बदल चुका है। लोग पहले की तरह पैसा नहीं खर्च करते है।

-मोहम्मद आमिर

शासन एवं प्रशासन की ओर से हमें कौशल विकास एवं लघु उद्योग संबंधी योजना की जानकारी नहीं है हमें भी कौशल विकास या लघु उद्योग योजनाओं से लाभ दिलाना चाहिए। ताकि हम कैमरा एवं फोटोग्राफी संबंधी अन्य तकनीकी उपकरण खरीद सकें।

-स्वदेश पाठक

फोटोशूट व वीडीओग्राफी एक कला है। हमें सरकार की ओर से कोई प्रशिक्षण एवं सहायता नहीं मिल पाती। वहीं आर्थिक परेशानियों के चलते हम अपने उपकरणों का नवीनीकरण भी नहीं कर पाते। यदि सरकार से हमें वित्तीय मिलने लगे तो हमारे पेशे को मजबूती मिले।

-राहुल शर्मा

लोगों की खुशियों को हमेशा के लिए तस्वीरों एवं वीडीओ में कैद करने के लिए हम दिन-रात पूरी लगन से मेहनत करते हैं। लेकिन हमारी परेशानियों को समझने के लिए कोई सुध नहीं लेता। सरकारी योजनाए भी हम तक नहीं पहुंच पाती हैं।

-अमर सिंह

साल में लगभग 7 माह शादी विवाह के सीजन में हमारे पास काम रहता है। लेकिन सीजन ऑफ होने पर हमें वित्तीय समस्याओं का सामना करना पड़ता है। सरकार को हमें भी स्वरोजगार संबंधी योजनाओं का लाभ दिलाना चाहिए।

-दुर्गेश कश्यप

पहले प्री-वेडिंग शूट के लिए लोकेशन का कोई चार्ज नहीं लगता था। लेकिन अब उसके लिए भी प्रशासन से अनुमति लेनी पड़ती है तथा शुल्क भी देना पड़ता है। इससे ग्राहक प्री वेडिंग शूट कराने से कतराने लगे हैं।

-जीतू सेंगर

हम रात-रात भर जागकर काम करते हैं। बीमार पड़ने पर हमें आयुष्मान भारत जैसी सरकारी योजनाओं का लाभ भी नहीं मिल पाता। परिवार के सदस्य भी यदि बीमार हो जाते हैं, तो उनका उपचार व्यय उठाना भी भारी पड़ जाता है। हमें भी लाभ मिलना चाहिए।

-विष्णु श्रीवास्तव

हमारा काम देखकर सब तारीफ करते हैं, लेकिन हमारी समस्याओं को कोई नहीं समझता। फोटो खींचना सिर्फ बटन दबाना नहीं है, इसके पीछे हमारी रातों की मेहनत, कला और समय लगता है। हमें भी सम्मान और सरकारी सहायता मिलनी चाहिए।

-आकाश कुशवाह

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