घरबार की चिंता छोड़ अपने फर्ज का निर्वहन कर रहीं नर्सें
Farrukhabad-kannauj News - फर्रुखाबाद में अंतर्राष्ट्रीय नर्स दिवस पर नर्सों के योगदान को सराहा गया। नर्सें कठिन परिस्थितियों में भी अपने कर्तव्यों का पालन करती हैं। नर्सिंग डे पर उनकी समस्याओं और सम्मान की आवश्यकता पर जोर दिया...

फर्रुखाबाद, संवाददाता। बारह मई को पूरी दुनिया नर्स दिवस मना रही है। नर्सो का स्वास्थ्य सेवाओं में अहम योगदान किसी से छिपा नही है। विपरीत परिस्थितियों का सामना करते हुए भी नर्स अपने फर्ज के प्रति पूरी तौर पर सजग हैं। हर दिन नर्से शांत, शक्ति स्थिर हाथों और करुणा से भरे दिलो के साथ अस्पतालों, क्लीनिकों और विभिन्न सामुदायिक स्थानों पर कदम रखती हैं। ऐसा हो सकता है कि उनका काम हमेशा सुर्खियों में न आये मगर वह रोगी की देखभाल में अहम किरदार होती हैं। रोगियों को ठीक करने, उन्हें दिलासा देने और उनके साथ खड़े होने में नर्सो की अमूल्य भूमिका की समय पर याद की जाती है।
अंतर्राष्ट्रीय नर्स डे पर ऐसी ही नर्सो से हिन्दुस्तान ने बात क ी है। नर्स डे सकारात्मक कार्य का जश्न मनाने का दिन है। स्वास्थ्य सेवाओं में मरीज की जरूरतों का हमेशा उन्हें ख्याल रहता है। उनके लिए इलाज की योजनायें बनाती हैं।मरीज की प्रगति के लिए भी निगरानी करती हैं। मगर बदले समय में नर्सो को जो सम्मान मिलना चाहिए वह नहीं मिल पा रहा है। मरीजों और तीमारदारों के मध्य जो भाव बदला है उससे भी उनकी भावनायें अक्सर आहत हो जाती हैं। वैसे हमारी कोशिश रहती है कि नवाचार को बढ़ावा दें और मरीजों को किसी स्थिति से दिक्कत न होने पाये इस पर ध्यान दें। भावना। नर्सोको समय समय पर उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए सम्मान मिलना चाहिए। नर्सिंग डे को खास बनाने में जो भी कार्य हैं उनको करने की आवश्यकता है। यदि किसी नर्स का कार्य मरीजों और उनके परिवारों को अच्छा लगता है तो उन्हें धन्यवाद करने में भी संकोच नही होना चाहिए। जो भी नर्सो की समस्याये हैं उसके समाधान पर ही जिम्मेदारों की ओर से काम होना चाहिए। बीमार और कमजोर लोगों की देखभाल करते समय अक्सर संसाधनों की कमी आड़े आ जाती है। उस कमी को भी दूर किए जाने की भी कोशिश की जानी चाहिए। रेनू मिश्रा। हर साल नर्सिंग डे नर्सो के सम्मान के लिए मनाया जाता है। मगर नर्सो की क्या बुनियादी दिक्कतें हैं इस पर ध्यान देने की कोई जरूरत नहीं समझी जाती।काम के बोझ से नर्से अक्सर तनाव में आ जाती हैं। लंबे काम के घंटे, कम स्टाफ इसमें दिक्कत पैदा करता है। अक्सर कई नर्से अवसाद से भी जूझने लगती हैं। यही नही इनके सामने पीठ दर्द या फिर संक्रमण की भी दिक्कत आ जाती है। ऐसे में अस्पतालों की नर्सो की कमी को दूर करने और अधिक नर्सो को नियुक्त करने के लिए कदम उठाये जाने चाहिए। आरती मिश्रा। नर्सो को मानसिक स्वास्थ्य सेवायें प्रदान करने की जरूरत है। उन्हें अपने तनाव का प्रबंधन करने में मदद मिलनी चाहिए। जब जरूरत पड़े तो उन्हें अवकाश भी मिलने में किसी तरह की दिक्कत न हो। नसिंग के पेशे को बढ़ावा दिये जाने की जरूरत है। उनके कार्यको सम्मान मिलना चाहिए। अस्पतालों में नर्सों की सुरक्षा के लिए सुरक्षा प्रोटोकाल को मजबूत करना चाहिए। उन्हें काम के समय आने वाली परेशानियों से बचाने के लिए भी कदम उठाने चाहिए। नर्सो के काम के घंटे कम हों और उन्हे अपने कार्य, जीवन संतुलन बनाये रखने के लिए समय दिया जाना चाहिए। अनीता पटेल।
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