Maize Farmers Struggle with Debt Crop Crisis and Lack of Resources बोले फर्रुखाबाद:खाद न पानी, मुश्किल में जिंदगानी, Farrukhabad-kannauj Hindi News - Hindustan
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बोले फर्रुखाबाद:खाद न पानी, मुश्किल में जिंदगानी

Farrukhabad-kannauj News - मक्का उत्पादक किसानों को आवश्यक सुविधाओं की कमी का सामना करना पड़ रहा है। कर्ज के बोझ के साथ, खाद और सिंचाई की समस्याएं उन्हें परेशान कर रही हैं। बिजली की कटौती और बिचौलियों की साठगांठ भी उनके लिए...

Newswrap हिन्दुस्तान, फर्रुखाबाद कन्नौजTue, 13 May 2025 02:02 AM
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बोले फर्रुखाबाद:खाद  न  पानी, मुश्किल  में  जिंदगानी

मक्का उत्पादक किसानों को जो सुविधाएं मिलनी चाहिए वह नहीं मिल पा रही हैं। किसानों की आय में बढ़ोतरी के दावे किए जा रहे हैं मगर उनकी आय और कम हो रही है। कर्ज के बोझ से किसान दबे जा रहे हैं। खाद, बीज और पानी की समस्याओं ने किसानों को घेर रखा है। मक्का की बुवाई के दौरान खेतों में यूरिया, जिंक और पोटाश की आवश्यकता होती है लेकिन इसकी उपलब्धता बड़ी मुश्किल से किसानों को हो पाती है। आपके अपने अखबार ‘हिन्दुस्तान से बातचीत के दौरान मक्का किसानों का दर्द उभरकर सामने आ गया। यूसुफ कहने लगे कि शिकायत किससे करें कोई सुनने वाला तो नहीं है।

बुवाई की शुरुआत में जिस तरह से एक-एक बोरी खाद के लिए धक्के खाए, वह अभी तक उन्हें याद है। सीजन में एक एक बोरी खाद के लिए परेशानी का सामना करना पड़ता है। राधेश्याम कहते हैं कि मक्का का भरपूर उत्पादन हम लोग करते हैं। मगर उनकी समस्याओं का समाधान नहीं हो पाता है। सुखवासीलाल कहते हैं कि खेती को फायदे का सौदा कहते हैं लेकिन जिस तरह से खेतीबाड़ी में लागत आ रही है इससे वह घाटे का सौदा हो रही है। सबसे बड़ी समस्या फसल में लगने वाले 8 से 14 पानी की होती है। गर्मी में जिस तरह से भयंकर बिजली कटौती होती है उससे फसल पर संकट खड़ा हो जाता है। सिंचाई के अभाव में फसलें सूख जाती हैं। ग्रामीण इलाकों में इस समय छह से आठ घंटे भी बिजली मिलना मुश्किल हो रहा है। ऐसे में सिंचाई नहीं हो पाती है। बिहारीलाल कहते हैं कि कम से कम 12 से 14 घंटे बिजली मिलनी चाहिए। बिजली निगम किसानों को आपूर्ति नहीं मुहैया करा पा रहा है। अखिलेश कहते हैं कि फसलें सिंचाई के अभाव में तबाह हो रही हैं। मेवालाल कहते हैं कि मक्का की खरीद के लिए निजी आढ़तियों पर बिचौलिये हावी रहते हैं। मक्का के लिए एमएसपी तो तय होता है मगर यह प्रक्रिया आसान न होने से किसानों को दिक्कत आती है। बेचेलाल कहते है कि गर्मी पड़ने से कम उत्पादन की चिंता सता रही है। क्येांकि तापमान ने काफी बढ़ोतरी कर दी है। किसान दुलारे कहते हैं कि मौसम के बदले मिजाज और सामान्य से अधिक तापमान से मक्का की फसल पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। इसके उत्पादन में भी गिरावट आ सकती है। धनीराम कहते हैं कि मक्का किसानों को बुवाई के समय से ही दिक्कतों का सामना करना पड़ जाता है। समय से खाद नहीं मिल पाती और दूसरा सिंचाई का भी सही बंदोबस्त नहीं हो पाता है। बहरहाल, इन दिनों ग्रामीण इलाकों में महज सात से आठ घंटे ही बिजली की आपूर्ति हो पा रही है। ऐसे में किसान सिंचाई नहीं कर पा रहे हैं। जिसके चलते मक्का की फसल पर संकट बना हुआ है। जिले में बड़ी संख्या में लोग खेती किसानी के काम से जुड़े हुए हैं। आलू और गेहूं के बाद मक्का ग्रीष्मकाल में एक ऐसी फसल है जिसकी खेती जिले के लगभग सभी इलाकों में की जाती है। क्योंकि यहां मक्का ग्रीष्मकाल में बोई जा रही है ऐसे में सिंचाई को लेकर किसान परेशान रहते हैं। समस्या की बात यह है कि गर्मी में चरमराई बिजली व्यवस्था मक्का किसानों के लिए मुसीबत बनी हुई है। सुझाव- 1. किसानों के लिए पर्याप्त बिजली का बंदोबस्त किया जाए। 2. मंडी में मक्का ले जाने पर बिचौलियों और व्यापारियों की साठगांठ खत्म हो। 3. बुआई के सीजन में कृषि विभाग को सक्रिय रहना चाहिए। 4. मक्का आधारित उद्योग लगाए जाने की जरूरत। 4. किसानों को आधुिनक यंत्र प्रदान किए जाएं शिकायतें- 1. मक्के की फसल में 8 से 12 बार पानी लगाना पड़ता है। बिजली मुश्किल पैदा करती है। 2. मंडी में व्यापारी और खरीददार अक्सर मक्का में नमी बताकर वहानेबाजी कर कम दाम आंकते हैं। 3. मक्का किसानों के सामने बीज का संकट बना रहता है। 4. सीजन के समय कृषि विभाग के अधिकारी, कर्मचारी सक्रिय नहीं रहते हैं। बोले किसान- मक्के की फसल और इसके उत्पादन को देखते हुए किसानों के हित में मक्का आधारित उद्योग लगाए जाएं। -कैशनूर बारिश न होने से मक्के की फसल को पर्याप्त पानी नहीं मिल रहा है। इससे फसलें सूख रही हैं। इससे नुकसान है। -यूसुफ खाद की कमी के चलते मक्का की फसल को पर्याप्त पोषण नहीं मिल पाता है जिससे उत्पादन कम होता है। -सलाउद्दीन न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद की प्रक्रिया जटिल है। इसे आसान बनाया जाए जिससे प्रत्येक किसान लाभ ले सके। -विनोद

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