Celebrating Nanasahab Peshwa and Hazari Prasad Dwivedi A Tribute to Freedom Fighters and Literary Icons ताजिंदगी नहीं भुलाया नहीं जा सकता नाना साहब और हजारी प्रसाद का योगदान, Fatehpur Hindi News - Hindustan
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ताजिंदगी नहीं भुलाया नहीं जा सकता नाना साहब और हजारी प्रसाद का योगदान

Fatehpur News - फतेहपुर में ऑल यूपी स्टाम्प वेंडर एसोसिएशन ने नाना साहब पेशवा और आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी की जयंती पर संगोष्ठी का आयोजन किया। नाना साहब को स्वतंत्रता संग्राम के नेता के रूप में और हजारी प्रसाद को...

Newswrap हिन्दुस्तान, फतेहपुरTue, 20 May 2025 08:46 AM
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ताजिंदगी नहीं भुलाया नहीं जा सकता नाना साहब और हजारी प्रसाद का योगदान

फतेहपुर। प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रणेता नाना साहब पेशवा एवं पद्म विभूषण आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी की जयंती पर ऑल यूपी स्टाम्प वेंडर एसोसिएशन ने संगोष्ठी का आयोजन किया। महापुरुषों के जीवन पर रोशनी डालते हुए मार्गदर्शन को आत्मसात करने की बात कही गई। बिन्दकी तहसील परिसर में महामंत्री सात्विक शुक्ला ने कहा कि नाना साहब पेशवा एक भारतीय स्वतंत्रता सेनानी थे। उनका वास्तविक नाम गोविंद धोंडू पंत था। वह मराठा साम्राज्य के अंतिम पेशवा बाजीराव द्वितीय के दत्तक पुत्र थे। 1857 के स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन में कानपुर में विद्रोह का नेतृत्व करते हुए अपने आप को पेशवा घोषित किया।

नाना साहब के करीबी सहयोगियों में स्वतंत्रता सेनानी तात्या टोपे और अजीमुल्लाह खान शामिल थे । नाना साहब का बिठूर से गहरा संबंध था। बिठूर में ही नाना साहब का जन्म हुआ था। उन्होंने अपने जीवन का अधिकांश समय यही बिताया। बिठूर को उत्तर प्रदेश के कानपुर के पास एक ऐतिहासिक शहर बताया ,जो गंगा नदी के किनारे स्थित है। बिठूर में नाना साहब के नाम पर एक स्मारक पार्क बनाया गया है । जो उनके जीवन और 1857 की क्रांति में उनके योगदान को दर्शाता है । बिठूर किला अंग्रेजों के विरुद्ध लड़ाई की योजना बनाने का गढ़ थ। जहाँ से क्रांति का नेतृत्व होता था। साथ ही आज ही के दिन पद्म विभूषित प्रसिद्ध हिंदी साहित्यकार, निबंधकार ,आलोचक और उपन्यासकार के प्रणेता हजारी प्रसाद द्विवेदी की जयंती में उनके योगदान की सराहना की। कहा गया कि उन्होंने काशी हिंदू विश्वविद्यालय से ज्योतिषाचार्य एवं संस्कृत महाविद्यालय, काशी से शास्त्री की परीक्षा उत्तीर्ण की थी। लखनऊ विश्वविद्यालय ने उन्हें डी.लिट् की मानद उपाधि से सम्मानित किया।भक्तिकालीन साहित्यका उन्हें अच्छा ज्ञान था। उन्हें पद्म विभूषण एवं साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उन्हें हिंदी ,संस्कृत सहित कई भाषाओं का ज्ञान था। इस मौके पर अध्यक्ष अनिल मिश्रा, नीरज कुशवाहा, शार्विलशुक्ला ,नीता,राम शिरोमणि वर्मा ,अवधेश सिंह, अजय द्विवेदी, पीएलवी ज्ञानेन्द्र मिश्रा , अमरसेन गुप्ता उपस्थित रहे।

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