Preserving the Greenery of Parasnath Community and Forest Department Efforts पारसनाथ की हरियाली एक बार फिर झूम उठी, Gridih Hindi News - Hindustan
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पारसनाथ की हरियाली एक बार फिर झूम उठी

अजय भंडारी, पीरटांड़। झारखण्ड बिहार की सबसे ऊंची चोटी पारसनाथ की हरियाली को बचाने के लिए मकर संक्रांति मेला समिति और वन विभाग ने मिलकर प्रयास किए हैं। इस वर्ष मौसम की अनुकूलता के कारण आग पर काबू पाना...

Newswrap हिन्दुस्तान, गिरडीहTue, 20 May 2025 04:41 PM
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पारसनाथ की हरियाली एक बार फिर झूम उठी

अजय भंडारी, पीरटांड़। झारखण्ड बिहार की सबसे ऊंची चोटी वन्य प्राणी आश्रयणी पारसनाथ की हरियाली इलाके के लिए प्राकृतिक उपहार है। पारसनाथ मकर संक्रांति मेला समिति का अथक प्रयास व ग्रामीणों के बीच बढ़ती जागरूकता के कारण पारसनाथ की हरियाली एक बार फिर झूम उठा है। गर्मी के मौसम में रुक रुककर बारिश भी इस वर्ष पहाड़ की हरियाली बचाने में सहायक साबित हुई है। समिति के सदस्य पर्यवारण संरक्षण की दिशा में बीते लगभग दस वर्षों से पारसनाथ क्षेत्र में वन प्रहरी के रूप में काम कर रहा है। बताया जाता है कि पर्यावरण और मानव के लिए जंगल पहाड़ नदियां बेहद महत्वपूर्ण है।

पारसनाथ पहाड़ का भी पर्यावरणीय महत्व के साथ साथ आध्यात्मिक तथा आर्थिक महत्व है। लगभग 54 वर्ग किलोमीटर में फैला तथा समुद्र तल से लगभग 1365 मीटर ऊंची पारसनाथ पहाड़ क्षेत्र के लोगों के लिए प्रकृति का सुंदर उपहार है। पारसनाथ पर्वतीय वन पेड़ पौधे जीव जंतु के साथ साथ समृद्ध जैव विविधता की रचना करता है। पेड़ पौधे भूस्खलन को रोकता है तथा जीव जंतुओं को संरक्षित करने के साथ साथ पर्यवारण को भी संतुलित करता है। इस लिहाज से पारसनाथ पर्वत जंगल व जीव जंतुओं की रक्षा बेहद महत्वपूर्ण है। पारसनाथ के जंगलों व हरियाली बचाने में समिति गंभीर है। गर्मी के दस्तक के साथ ही पारसनाथ पर्वत की हरियाली धुं धुं कर जल उठती है। पहाड़ के चारों ओर आग की लपटें फैलने लगती है। इस मुश्किल वक्त में स्थानीय पारसनाथ मकर संक्रांति मेला समिति के युवा सदस्य अग्निवीर बनकर आग बुझाने में जुट जाते है। दुर्गम पहाड़ी में पीने को पानी व खाने को दाने के बिना झाड़ियों से पीट पीटकर आग बुझाने के लिए पसीना बहाते है। पारसनाथ मकर संक्रांति मेला समिति के सदस्यों का यह जीव दया और प्रकृति प्रेम मानवता की मिसाल पेश किया है। हलाकि मौसम में नमी अथवा समय समय पर बारिश के वजह से इस वर्ष मेहनत नही करनी पड़ी। वन विभाग के कर्मी भी सतर्क रहती है। पारसनाथ की हरियाली व जंगली जीव जंतुओं की रक्षा के लिए वन विभाग की टीम भी हमेशा सतर्क रही है। वन कर्मियों द्वारा पहाड़ में आग लगने की सूचना मात्र से दुर्गम पहाड़ियों में कूच कर उपलब्ध संसाधन के जरिये आग बुझाने का काम किया है। जंगली जीव जंतु की रक्षा के लिए भी वनकर्मी कटिबद्ध है। इस वर्ष बैशाख पूर्णिमा के दिन सेंदरा पर्व के दौरान वनकर्मियों न केवल लोगों को जागरूक करने का प्रयास किया बल्कि सेंदरा पर्व के दिन जंगल मे घूम घूमकर जीव जंतु के शिकार से भी रोका है। शिकार करने पहाड़ गए लोगों को समझा बुझाकर वापस लौटाया था। कैसे लगती है आग : गर्मी के मौसम में पारसनाथ तथा आस पास क्षेत्र के ग्रामीण जंगली फल फूल का उपयोग करते है। ग्रामीण महुवा चिहुर व अन्य कंद मूल अपने भोजन अथवा रोजगार के लिए निकालते है । जंगली फल चुनने में आसानी हो इसलिए ग्रामीण पेड़ के नीचे आग लगा देते है। पर इस वर्ष यैसा कुछ नही हुआ। महुवा का सीजन आते ही तेज आंधी बारिश ने न केवल महुवा के फसल को नष्ट कर दिया। बल्कि जंगलों को नवपल्लव से आच्छादित कर दिया है। इस मौसम में रुक रुककर तेज आंधी बारिश से पहाड़ की हरियाली बचाये रखने में मददगार साबित हुआ है। संतुलित मौसम के कारण व ग्रामीणों के बीच जागरूकता के वजह से झूमता पारसनाथ की हरियाली आध्यात्मिक चिंतन का सागर लहरा रहा है। हरी भरी पारसनाथ पहाड़ पर पक्षियों के कलरव, झरनों के निशाद , झाड़ियों को चूमता रंग बिरंगी तितलियों का झुंड के बीच बादलों से घिरा पहाड़ियों की चोटियां व मौसम के बीच पारसनाथ में जैन दर्शन का अंनत आकाश चमक रहा है।

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