दलित वोटों पर घमासान, मायावती ने कांग्रेस-भाजपा पर बोला हमला; कहा-सपा को माफ करना असंभव
- मायावती ने एक बार फिर अपने सियासी विरोधियों पर हमला बोला है। दलितों के मुख्यधारा से दूर रह जाने के लिए कांग्रेस और भाजपा को समान रूप से जिम्मेदार ठहराया है तो सपा के कृत्यों को घोर जातिवादी बता दिया है। उन्होंने कहा कि सपा को माफ करना असंभव है।

यूपी में 2027 में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले दलित वोटों को लेकर राजनीतिक दलों के बीच घमासान मचा हुआ है। समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव जहां लगातार पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) के फॉर्मूले को धार देने में जुटे हैं। कल ही यानी 19 अप्रैल को ही आगरा जाकर राज्यसभा में राणा सांगा पर विवादित बयान देने वाले सांसद रामजीलाल सुमन से मुलाकात कर उन्होंने एक बार फिर सियासी समीकरण साधे। उधर, आंबेडकर जयंती के उपलक्ष्य में 14 से 25 अप्रैल तक भाजपा के कार्यक्रम चल रहे हैं। दलित वोटों की दावेदारी में कांग्रेस भी पीछे नहीं है। नगीना के सांसद चंद्रशेखर की भीम आर्मी भी लगातार सक्रिय है। इन सब गतिविधियों के बीच बसपा सुप्रीमो मायावती ने एक बार फिर अपने सियासी विरोधियों पर हमला बोला है। दलितों के मुख्यधारा से दूर रह जाने के लिए कांग्रेस और भाजपा को समान रूप से जिम्मेदार ठहराया है तो सपा के कृत्यों को घोर जातिवादी बता दिया है। मायावती ने 2 जून 1995 को स्टेट गेस्ट हाउस में अपने ऊपर हुए हमले सहित कई मामलों का उल्लेख करते हुए कहा है कि सपा को माफ करना असंभव है।
बसपा सुप्रीमो मायावती ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म 'एक्स' पर रविवार को एक के बाद एक चार पोस्ट किए। उन्होंने लिखा- ‘कांग्रेस, भाजपा आदि की तरह सपा भी बहुजनों में से ख़ासकर दलितों को इनका संवैधानिक हक देकर इनका वास्तविक हित, कल्याण व उत्थान करना तो दूर, इनकी गरीबी, जातिवादी शोषण व अन्याय-अत्याचार आदि खत्म करने के प्रति कोई सहानुभूति/इच्छाशक्ति नहीं, जिस कारण वे लोग मुख्यधारा से कोसों दूर।’
मायावती ने अपनी दूसरे पोस्ट में लिखा- ‘ सपा द्वारा बीएसपी से विश्वासघात, उसके नेतृत्व पर 2 जून को जानलेवा हमला, प्रमोशन में आरक्षण का बिल संसद में फाड़ना, इनके संतों, गुरुओं व महापुरुषों के सम्मान में बनाए गए नये जिले, पार्क, शिक्षण व मेडिकल कालेजों का नाम बदलना आदि ऐसे घोर जातिवादी कृत्य हैं जिसको माफ करना असंभव।’
मायावती ने आगे लिखा- 'जबकि बीएसपी अपने अनवरत प्रयासों से यहाँ जातिवादी व्यवस्था को खत्म करके समतामूलक समाज अर्थात् सर्वसमाज में भाईचारा बनाने के अपने मिशन में काफी हद तक सफल रही है, उसको सपा अपने संकीर्ण राजनीतिक स्वार्थ की पूर्ति के लिए बिगाड़ने में हर प्रकार से लगी हुई है। लोग जरूर सावधान रहें।' अंत में उन्होंने लिखा-' स्पष्ट है कि कांग्रेस व भाजपा आदि की तरह ही सपा भी अपनी नीयित व नीति में खोट/द्वेष के कारण कभी भी दलितों-बहुजनों की सच्ची हितैषी नहीं हो सकती है, किन्तु इनके वोटों के स्वार्थ की खातिर लगातार छलावा करती रहेगी, जबकि बीएसपी ’बहुजन समाज’ को शासक वर्ग बनाने को समर्पित व संघर्षरत।'