बोले फिरोजाबाद: श्रमदान कर रही बेटियां, बदलो मलिन बस्तियों की परिस्थितियां
Firozabad News - एनएसएस से जुड़ी छात्राएं मलिन बस्तियों और गांवों की समस्याओं को समझकर लोगों को जागरूक कर रही हैं। ये छात्राएं नशे के दुष्प्रभावों और बच्चों की शिक्षा पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं। इसके अलावा, वे सफाई...

स्नातक एवं परास्नातक से जुड़ी छात्राएं। कोई कॉमर्स के साथ स्नातक की पढ़ाई कर रही है तो कोई हिंदी या अंग्रेजी से स्नातक बनने के लिए हर रोज स्कूल आती हैं। इस पढ़ाई के साथ-साथ इन छात्राओं में समाजसेवा का भी जज्बा है। राष्ट्रीय सेवा योजना से जुड़ी छात्राएं हर बिंदु पर बात करने के लिए तैयार हैं। नशे के दुष्प्रभाव के लिए लोगों को जागरूक करती हैं तो बच्चों की शिक्षा को लेकर भी। मलिन बस्तियों एवं गांवों की समस्याओं से यह वाकिफ हैं क्योंकि इन्ही इलाकों में लगते हैं इनके शिविर। यह तो जागरूक करने के साथ श्रमदान भी करती हैं ताकि लोग खुद सफाई से जुड़ सकें। मलिन बस्तियों के हालात बदलने के लिए प्रशासन एवं निगम को भी आगे आना होगा। इसके साथ में अपने क्षेत्र की समस्याओं को लेकर भी चिंतित। इनका कहना है कि महिलाओं को सशक्त बनाना है तो उन्हें सामाजिक बंदिशों से आजादी और ऊंची उड़ान के लिए रोजगार के मौके मिलने चाहिए।
श्हर की कई मलिन बस्तियों में पहुंचते ही सामना होता है दुर्गंध से तो गांव देहात का भी हाल जुदा नहीं। कहीं दिन में कुछ घंटे ही बिजली आती है तो कभी अगर तार टूट जाते हैं तो कई दिन बिजली के इंतजार में गुजरते हैं। कई गांव में तो पानी की भी समस्या है। एमजी कॉलेज की एनएसएस से जुड़ी कई छात्राओं ने इन समस्याओं को नजदीकी से देखा है तो कई छात्राएं खुद भी अन्य समस्याओं से जूझ रही हैं। कहीं सुबह कॉलेज आते वक्त कचरे के ढेर से गुजरना होता है तो कहीं पर नालियों के बीच से उठने वाली दुर्गंध से। स्वच्छता का संदेश देने वाले शहर में कम से कम शहर की राहों से कचरे के ढेर तो नालों से उठती दुर्गंध पर तो रोक लग जाए।
हिन्दुस्तान ने बोले फिरोजाबाद के तहत एमजी बालिका महाविद्यालय में छात्राओं से बात की तो एनएसएस की छात्राओं की जुबां पर मलिन बस्तियों एवं गांव देहात का दर्द दिखा। यूं तो इनके क्षेत्र में भी समस्याएं हैं, लेकिन इन क्षेत्रों में भ्रमण करने वाली इन छात्राओं को यहां की समस्याएं ज्यादा दिखाई देती हैं। कहीं पर सफाई नहीं है तो कहीं पर जागरूकता के अभाव में नशा युवाओं को जकड़ रहा है। दोपहर से ही मलिन बस्तियों में लोग नशे में दिखाई देते हैं तो इस स्थिति में इन परिवारों के बच्चे भी बेहतर जीवन से दूर हैं। छात्राओं का कहना था मलिन बस्तियों के लिए सरकार की कई योजनाएं हैं लेकिन इन योजनाओं का लाभ बस्तियों तक नहीं पहुंच पा रहा है। छात्राओं का तर्क गलत भी नहीं है, कई बार आयोग के सदस्य आने या प्रभारी मंत्री के आगमन पर भ्रमण कार्यक्रम बनता है तो कार्यक्रम में मलिन बस्ती का जिक्र होता है, लेकिन दिखाई जाती हैं साफ सुधरी बस्तियां। गंदगी से अटी बस्तियों तक स्थानीय निकाय के अधिकारी जनप्रतिनिधियों को ले ही नहीं जाते हैं। इधर अन्य छात्राओं के समक्ष दिखाई दी नारी सुरक्षा की चिंता। छात्राओं ने छूटते ही बोला कि तमाम कानून है, लेकिन इसके बाद भी आए दिन होने वाले अपराध चौंका देते हैं। बेटियों के मां-बाप उनकी सुरक्षा को लेकर चिंतित होते हैं तो इससे बेटियों पर बंदिशें भी बढ़ जाती हैं।
इनकी सुनो
राष्ट्रीय सेवा योजना (एनएसएस) से जुड़ी 200 छात्राओं द्वारा लोगों को जागरूक किया जा रहा है। इस बार मलिन बस्ती लेबर कॉलोनी को गोद लिया है, उस क्षेत्र में कई समस्याएं हैं। क्षेत्र में गंदगी रहती है तो जगह-जगह पर कचरा एकत्रित रहता है। निकट में ही बिहारी बस्ती है। छात्राओं द्वारा वक्त-वक्त पर कैंप लगा कर इन बस्तियों में रहने वालों को जागरूक किया जा रहा है। नशा उन्मूलन के साथ में टीबी उन्मूलन का संदेश दिया जा रहा है, ताकि इन बस्तियों में रहने वाले परिवारों एवं उनसे जुड़े बच्चों को बेहतर जीवन मिल सके।
-डॉ.प्रिया सिंह, कार्यक्रम अधिकारी, एनएसएस
लोगों का दर्द
गांव देहात में आज भी कई जगह बिजली एवं पानी की समस्या है। एनएसएस कैंप के दौरान जागरूकता फैलाते हैं तो पता चलता है कि गांव में बच्चों की पढ़ाई को लेकर भी अभिभावक संजीदा नहीं हैं।
-प्राची सिंह
गांव-देहात में बिजली पानी की समस्याएं होती हैं। कई जगह पर बेटियों को ज्यादा पढ़ाने से मां-बाप परहेज करते हैं तो उन्हें गांव में ही मजदूरी के कार्य में लगा देते हैं। सरकार को महिलाओं को रोजगार से जोड़ कर आत्मनिर्भर बनाना चाहिए। -गार्गी तिवारी
राष्ट्रीय सेवा योजना के तहत लेबर कॉलोनी को गोद लिया है। वहां पर कई दिक्कतें हैं। सरकारी स्कूल है लेकिन अभिभावकों की मानें तो शिक्षा में गुणवत्ता की जरूरत है। मरीजों को प्राइवेट इलाज के लिए दौड़ना पड़ता है।
-रंजन पाठक
कॉलोनी की मलिन बस्ती में कई समस्याएं हैं। वहां पर साफ-सफाई भी नहीं होती है तो इसके साथ पीने के पानी की भी समस्या है। वहां पर सफाई के लिए लोगों को जागरूक किया है। नगर निगम को भी इस क्षेत्र में अभियान चलाना चाहिए।
-अल्मिशा अंसारी
मिशन शक्ति जैसे अभियान चल रहे हैं, लेकिन सरकार को महिला सुरक्षा पर और ध्यान देना चाहिए। गर्मियों में पानी की भी समस्या रहती है। इस तरफ निगम को ध्यान देना चाहिए। समस्या का प्राथमिकता से हल करें।
-नैंसी
शुद्ध पेयजल की सप्लाई पर ध्यान देना चाहिए। वहीं गर्मियों में शहर के सभी कॉलेजों में विद्यार्थियों के लिए स्वच्छ एवं शीतल पेय की व्यवस्था हो। महिलाओं के लिए सरकार रोजगारपरक कोर्स संचालित करे।
-फरहाना
कॉलेजों के वातावरण को बेहतर बनाने की जरूरत है। समय से परीक्षाएं विवि को करानी चाहिए। महिलाओं की सुरक्षा के लिए भी हर स्तर पर प्रशासन को इंतजाम करने चाहिएं।
-इरम
महिलाओं की सुरक्षा के लिए कठोर कदम उठाने की जरूरत है। कानून बने हुए हैं लेकिन कई बार अनदेखी बड़े अपराधों को जन्म दे देती है। इसके लिए हर पीड़िता की बात को गंभीरता से सुन जांच की जाए।
-रम्शा
स्कॉलरशिप की प्रक्रिया को आसान करना चाहिए। कई निर्धन छात्र-छात्राओं की पढ़ाई स्कॉलरशिप से ही जुड़ी है। औपचारिकताओं के चलते कई बार पात्र भी छात्रवृत्ति से वंचित रह जाते हैं।
-अनु यादव
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