Severe Teacher Shortage in Mandha Development Block Schools Affects Education Quality मांडा के प्राथमिक विद्यालयों में मानक से कम अध्यापक, राम भरोसे पढ़ाई, Gangapar Hindi News - Hindustan
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मांडा के प्राथमिक विद्यालयों में मानक से कम अध्यापक, राम भरोसे पढ़ाई

Gangapar News - मांडा। मांडा विकास खंड के प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों में छात्र संख्या के

Newswrap हिन्दुस्तान, गंगापारSat, 10 May 2025 04:09 PM
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मांडा के प्राथमिक विद्यालयों में मानक से कम अध्यापक, राम भरोसे पढ़ाई

मांडा विकास खंड के प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों में छात्र संख्या के अनुसार अध्यापकों की संख्या बेहद कम है । बीस में चार पूर्व माध्यमिक विद्यालयों में इकलौते गुरुजी ही किसी तरह अपना और छात्रों का समय काट रहे हैं। मांडा क्षेत्र की बुनियादी शिक्षा पूरी तरह राम भरोसे है। मांडा विकास खंड में कुल बीस उच्च प्राथमिक विद्यालयों में उच्च प्राथमिक विद्यालय देवा, निश्चिंतपुर और ऊंचडीह उपरौध में मात्र एक अध्यापक नियुक्त हैं, जबकि इन तीनों विद्यालयों में छात्र संख्या औसत दो सौ से अधिक है। इसके अलावा बीआरसी मांडा परिसर में स्थित अंग्रेज़ी माध्यम उच्च प्राथमिक विद्यालय मांडा खास में कुल 280 छात्रों के लिए मात्र एक अध्यापक और दो अनुदेशक नियुक्त हैं।

समूचे विकासखंड मांडा में कुल 122 प्राथमिक विद्यालयों 5976 छात्र व 6351 छात्राओं सहित कुल 12321 छात्र, छात्राएं पंजीकृत हैं। इसी तरह बीस उच्च प्राथमिक विद्यालयों में 2855 छात्र व 3255 छात्राओं सहित कुल 6110 छात्राएं पंजीकृत हैं। प्राथमिक व उच्च प्राथमिक मिलाकर कुल 18431 छात्र, छात्राओं के लिए मात्र 516 अध्यापक, 164 शिक्षामित्र व बीस अनुदेशक नियुक्त हैं। छात्र संख्या के अनुसार अध्यापकों का मानक बेहद कम है। इतना अवश्य है कि मांडा क्षेत्र के परिषदीय विद्यालयों में बेटी पढ़ाओ का नारा सार्थक हो रहा है। प्राथमिक विद्यालयों में 6351 छात्राएं व 5976 छात्र तथा उच्च प्राथमिक विद्यालयों में कुल 3255 छात्राएं और 2855 छात्र पंजीकृत हैं। इस तरह प्राथमिक विद्यालयों में छात्रों से 375 व उच्च प्राथमिक विद्यालयों में 400 छात्राएं अधिक पंजीकृत हैं। मांडा के पचास प्रतिशत प्राथमिक विद्यालयों में इंचार्ज प्रधानाध्यापक पिछले तीन चार वर्षों से विद्यालयों का संचालन कर रहे हैं। तीन दर्जन प्राथमिक विद्यालय भी एकल थे, जो इकलौते अध्यापकों द्वारा चलाए जा रहे थे, लेकिन पिछले दो वर्ष से इन विद्यालयों को उच्च प्राथमिक विद्यालयों से जोड़कर कंपोजिट विद्यालय बना दिया गया, जिससे दोनों विद्यालयों के अध्यापक एक साथ हो गये। विद्यालयों में अध्यापकों की कमी पोर्टल पर दर्ज होने के बावजूद प्रदेश सरकार रिक्त अध्यापकों की कमी दूर नहीं कर पा रही है।

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