पुरुषार्थ को दर्शाता है धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष
Gangapar News - जसरा, हिन्दुस्तान संवाद। शारदा प्रसाद शास्त्री संस्कृत महाविद्यालय पांडर में जन कल्याण समिति द्वारा पंच
शारदा प्रसाद शास्त्री संस्कृत महाविद्यालय पांडर में जन कल्याण समिति द्वारा पंच दिवसीय श्री राम चरित मानस सम्मेलन के चौथे दिन स्वामी शारदानंद सरस्वती ने श्रोताओं को बताया कि अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष भारतीय दर्शनशास्त्र में चार प्रमुख लक्ष्यों या पुरुषार्थ को दर्शाते हैं। अर्थ का अर्थ है भौतिक समृद्धि, धर्म का अर्थ है सही आचरण और नैतिक कर्तव्य, काम का अर्थ है इच्छाओं और सुखों की प्राप्ति और मोक्ष का अर्थ है सांसारिक चक्र से मुक्ति और आत्म-साक्षात्कार। आचार्य डा निलिम्प त्रिपाठी ने श्री राम चरित मानस में सुख और दुःख को दो अलग-अलग दृष्टिकोणों से देखा गया है। सुख को भगवान की कृपा और भक्ति से प्राप्त होने वाली शांति और समृद्धि के रूप में दर्शाया गया है, जब कि दुःख को माया और सांसारिक मोह के कारण होने वाले कष्टों के रूप में दिखाया गया है।
कार्यक्रम की शुरुआत विधि-विधान से पूजन के साथ पूर्व सांसद डा रीता बहुगुणा जोशी ने किया। कार्यक्रम का आयोजन गया प्रसाद त्रिपाठी व संचालन दीपक त्रिपाठी ने किया। इस अवसर पर कथा व्यास आचार्य अलोपी ओझा, आचार्य पंडित अभिषेक शुक्ल, अमरनाथ दुबे, हरीराम त्रिपाठी, राजाबाबू पाठक, रामानंद त्रिपाठी, दिवाकराचार्य त्रिपाठी, भूपेन्द्र त्रिपाठी, अनिल मिश्र, गीतकार राजेन्द्र शुक्ल, लालमणि पांडेय, अरुण कुमार शुक्ल, सुरेन्द्र कुमार केसरवानी, विशेश्वर नाथ मिश्र, डा पीपी सिंह, विश्वनाथ प्रताप सिंह, गोपाल कृष्ण मिश्र, नेत्र नारायण मिश्र आदि रहे।
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