बोले प्रयागराज : प्रशासन की अनदेखी से सड़कों पर फैली सिलिका सैंड पड़ रही भारी
Gangapar News - शंकरगढ़ में प्रयागराज-बांदा नेशनल हाईवे 35 पर सिलिका सैंड का फैलाव आम जनता के लिए खतरा बन गया है। सड़क किनारे फैली बालू के कारण कई दुर्घटनाएं हुई हैं, जिसमें कई लोगों की जानें गई हैं। प्रशासन ने इस...
शंकरगढ़ में सिलिका सैंड प्रयागराज-बांदा नेशनल हाईवे 35 पर शंकरगढ़ थाना अंतर्गत शिवराजपुर के आगे सड़क की पटरियों के किनारों पर फैली सिलिका सैंड आम जनता के लिए एक बड़ा खतरा बन चुकी है। एक ओर सरकार और प्रशासन सड़क सुरक्षा को लेकर तरह-तरह के अभियान चला रहे हैं वहीं दूसरी ओर शंकरगढ़ क्षेत्र में यह समस्या दिनों दिन गंभीर होती जा रही है। सड़क किनारे सिलिका सैंड के बेतरतीब फैलाव के कारण आए दिन दुर्घटनाएं हो रही हैं और कई मासूम की जानें भी जा चुकी हैं। पूंजीपतियों की धन पिपासा ने शासन प्रशासन को भी मौन रहने को विवश कर दिया है। बारा तहसील के विभिन्न पहाड़ियों अवैध रूप परिवहन कर लाई गई सिलिका सैंड लोगों के जीवन के लिए खतरा बन गई है।
शंकरगढ थाना क्षेत्र के शिवराजपुर, कैथा, गाढ़ा, कटरा, बिहरिया, जनवा, लखनपुर आदि गांवों के बीच से गुजरने वाले इस हाईवे के किनारे संचालित वॉशिंग प्लांटों से निकलने वाली सिलिका सैंड व उनके रा मैटेरियल सड़क व पटरियों पर फैले रहते है। इससे दोपहिया वाहन चालकों व राहगीरों का संतुलन बिगड़ जाता है। अब तक दर्जनों लोग इस बालू की वजह से चोटिल भी हो चुके हैं, जिसमे बच्चे, महिलाएं व बुजुर्ग भी शामिल हैं। कुछ मामलों में दुर्घटना इतनी गंभीर रही कि लोगों की जाने भी चली गई है। स्कूल जाने वाले छात्र-छात्राएं भी इससे अछूते नहीं रहे, कई बच्चे सिलिका सैंड पर फिसल कर गंभीर रूप से घायल हो चुके हैं। स्थानीय लोगों द्वारा कई बार बारा तहसील, पुलिस थाना व जिला प्रशासन तक इस तरह फैले सिलिका सैंड की शिकायतें की गईं लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। ऐसा प्रतीत होता है कि वॉशिंग प्लांट चलाने वाले व्यापारियों का प्रभाव इतना अधिक है कि प्रशासन भी उनके आगे बेबस नजर आता है। सवाल यह उठता है कि क्या कुछ प्रभावशाली लोगों के व्यवसायिक लाभ के लिए आम जनता की जान को यूं ही खतरे में डाला जाता रहेगा। शिवराजपुर निवासी पंकज ने बताया की हमने कई बार थाना से लेकर तहसील तक गुहार लगाई, लेकिन आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। रोजाना कोई न कोई गिरता है, घायल होता है। हमारी सड़कें अब सड़कें नहीं, मौत का रास्ता बन चुकी हैं। वहीं सेंट जोसेफ स्कूल की छात्रा काजल कहती हैं, हम स्कूल जाते हैं तो डर लगता है। एक बार मेरी साइकिल फिसल गई थी जिससे मेरे हाथ में चोट आ गई थी। तब से मेरे परिजन रोज खुद छोड़ने आते हैं। इसी प्रकार विद्यालय के कई बच्चो ने बताया कि आए दिन इस तरह की घटनाएं होना आम सी बात हो गई है क्योंकि हम लोग प्रतिदिन विद्यालय आते हैं और हमारे स्कूल के गेट के बाहर ही इतनी ज्यादा एकत्रित बालू है कि आए दिन हमारी साइकिल हमेशा उसमें फंस जाती हैं। बगल में हाईवे भी है तो डर लगा रहता है कि कहीं तेज रफ्तार से चल रहे हैं वाहन के चपेट में न आ जाएं। विद्यालय प्रशासन ने बताया कि कई बार शिकायत स्थानिक प्रशासन से की जा चुकी है परंतु दो दिन कार्रवाई के बाद फिर वही हाल हो जाता है जिससे शिकायत करना भी बंद कर दिया गया है।
प्रशासन की जिम्मेदारी से पलायन
सड़क किनारे की सफाई, यातायात की सुरक्षा और अवैध गतिविधियों पर नियंत्रण रखना प्रशासन की प्राथमिक जिम्मेदारियों में आता है लेकिन यहां स्थिति बिल्कुल उलट है। न तो कोई चेतावनी बोर्ड लगाए गए हैं, न ही सड़क की नियमित सफाई होती है। जब भी इसकी शिकायत स्थानीय पुलिस से की जाती है तो वह इन सिलिका सैंड व्यापारियों को मौखिक रूप से बता देते हैं। कुछ वाशिंग प्लांट संचालक बाहर झाड़ू लगाकर साफ करवा देते हैं, लेकिन वही बालू ढेर लगाकर सड़क के किनारे छोड़ देते हैं। कुछ दिनों बाद फिर वही बालू सड़क पर फैल जाती है। यही दस्तूर कई सालों से चल रहा है। किसी व्यापारी को इस बात से फर्क नहीं पड़ता। क्षेत्रीय लोगों ने प्रशासन से की मांग की है कि सिलिका सैंड प्लांटों की नियमित जांच की जाए और यदि वे नियमानुसार कार्य नहीं कर रहे हैं, तो उनका लाइसेंस रद्द किया जाए, स्थानीय ग्राम पंचायत या सड़क निर्माण विभाग को निर्देशित किया जाए कि वे हाईवे किनारे जमा सिलिका सैंड की नियमित सफाई सुनिश्चित करें। दुर्घटनाओं की मॉनिटरिंग के लिए सड़क पर सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएं जिससे घटनाओं की पुष्टि और जिम्मेदारियों का निर्धारण हो सके, स्कूलों, कॉलेजों व गांवों में सुरक्षा जागरूकता अभियान चलाए जाएं। जिससे सड़क पर हो रहे दुर्घटनाओं पर अंकुश लगाया जा सके।
सिलिका सैंड का अवैध कारोबार बना जानलेवा
शंकरगढ़ क्षेत्र में सिलिका सैंड के कारोबार के कारण अब तक कई लोगों की जान जा चुकी है। शिवराजपुर, कैथा, लखनपुर आदि क्षेत्रों के पास हाईवे के किनारे सिल्का सेंड फैली होने के कारण कई लोग अपनी जान गंवा चुके हैं । जानकार बताते हैं कि शंकरगढ़ क्षेत्र में लगभग 30 सिलिका सैंड इकाइयां संचालित हैं और 11 खदानों का लाइसेंस प्राप्त है। ध्यान देने वाली बात यह है कि इकाई संचालित होने की अनुमति एक खास जगह के लिए होती है जिसमे विभिन्न मानकों को पूरा करते हुए पर्यावरण का ध्यान देना होता है। एक लाइसेंस पर चार पांच जगह पर यह सिल्का सेंड कारोबारी कारोबार करते हैं। इसके अलावा लाइसेंस वाली खदानों से इतर ये अन्य क्षेत्रों से सिल्का सेंड मंगाते हैं। छोटे-मोटे बालू कारोबारी कई क्षेत्रों से बालू निकालकर ट्रैक्टर द्वारा अवैध तरीके अपनाकर इन्हें पहुंचते हैं जिससे यह अवैध धंधा फल फूल रहा है। विभाग भी जानबूझकर अनदेखी करता है। यदि सैंपल की जांच की जाए तो पता चलेगा कि यह सिलिका सैंड जहां की लीज है वहां की है या अन्य जगह की है। कुल मिलाकर अवैध सिलिका के कारण क्षेत्र में जहां बीमारियां बढ़ रही हैं, सड़क दुर्घटनाएं बढ़ रही है, लोगों की जान जा रही है , वहीं राजस्व को भी भारी नुकसान हो रहा है।
चार माह में जा चुकी है आठ जानें
नेशनल हाईवे 35 की बात करें तो शिवराजपुर से लेदर आमगोदर तक में अभी तक आठ जाने जा चुकी हैं जिसमें अभिषेक 22 वर्ष ,सोना देवी 55 वर्ष, मुन्ना लाल 38 वर्ष, सविता 45 वर्ष, उमाशंकर 35 वर्ष, मुकेश भाई विट्ठल 60 वर्ष, राजवीर सिंह 34 वर्ष ,दल प्रताप सिंह 70 वर्ष, की जाने जा चुकी है एवं दर्जनों ऐसे लोग हैं जो घायल है किसी का हाथ टूटे हैं तो किसी के पैर।इन दुर्घटनाओं का जिम्मेदार या तो सड़क पर सिलका सैंड फैलाने वाले कारोबारी हैं या प्रशासन।
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बोले जिम्मेदार
मैंने अभी बारा सर्किल का चार्ज संभाला है। अभी क्षेत्र के बारे में पूरी जानकारी नहीं है। फिर भी मैं इस समस्या से निजात दिलाने के लिए स्वमं देखूंगी और जल्द ही इसका निराकरण भी करूंगी। हर हालत में हाईवे को साफ कराया जाएगा।
कुंजलता, सहायक पुलिस आयुक्त, बारा
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हमारी भी सुनें
प्रयागराज-बांदा हाईवे पर शिवराजपुर के आगे सिलिका सैंड बिखरा है। इससे आए दिन दुर्घटनाएं होती है। उसी के पास छोटे छोटे बच्चों का एक विद्यालय भी है। प्रशासन को इस तरह सड़क पर सिलिका सैंड फैलाने वालों पर सख्त कार्रवाई करनी चाहिए। अर्थ दंड सहित अन्य कार्रवाई जो नियमानुसार संभव हो।
-प्रकाश सिंह गहरवार, समाजसेवी, शंकरगढ़
शिवराजपुर से लेकर गाढ़ा कटरा तक रोड के किनारे पटरियों पर बालू बिखरे रहते है। प्रशासन को इस ओर ध्यान आकृष्ट करने की जरूरत है क्योंकि इस मार्ग पर विद्यालय है और बच्चे प्रतिदिन आते जाते है।
-संदीप केसरवानी (बबलू), शंकरगढ
नेशनल हाईवे 35 बांदा रोड पर कई सिलिका सैंड वाशिंग प्लांट स्थापित है। वाशिंग प्लांट मालिकानों को चाहिए कि सड़क किनारे फैली सिलिका को प्रतिदिन साफ करवाते रहें क्योंकि इस मार्ग पर क्षेत्र का प्रतिष्ठित विद्यालय एवं कई सरकारी विद्यालय हैं जिसमें हजारों संख्या में छात्र-छात्राएं प्रतिदिन विद्यालय आते जाते हैं। ऐसे बहुत से बच्चे हैं जो स्वयं के साइकिल से भी जाते हैं। आए दिन सूचना मिलती है कि बच्चे बालू में फंस जाते हैं और चुटहिल हो जाते हैं।
-पंकज गुप्ता, महामंत्री, व्यापार मंडल, शंकरगढ़
बांदा रोड की स्थिति बहुत दयनीय है। सड़क के दोनों तरफ काफी मात्रा में बालू एकत्रित है जिसको लेकर कई बार दुर्घटनाएं भी हो चुकी है और लोगों की मौत भी हो चुकी है ।इसको लेकर कई बार प्रशासन को चेताया गया है परंतु इस पर कोई फर्क नहीं पड़ता जब भी शिकायत की जाती है उसके दूसरे दिन बालू की सफाई हो जाती है परंतु फिर उसके बाद वही हालत हो जाती है। जिला प्रशासन को इस पर ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।
-कामद प्रताप सिंह, प्रधान, गाढ़ा कटरा, शंकरगढ
सड़क के पटरियों पर बिखरा बालू एक जटिल समस्या है। सर्वप्रथम स्थानीय प्रशासन को इस पर कठोर कदम उठाने की आवश्यकता है क्योंकि आए दिन इस मार्ग पर दुर्घटनाएं होती हैं। इसका एक मुख्य कारण सड़क पर बिखरे बालू भी है। अगर प्रशासन इस पर कार्रवाई करेगा तो जरूर इस समस्या से निजात मिल सकता है।
-बृजेश सिंह, ब्लाक अध्यक्ष, प्राथमिक शिक्षक संघ
यह बहुत चिंता का विषय है कि क्षेत्र का एक प्रतिष्ठित विद्यालय नेशनल हाईवे 35 शिवराजपुर कैथा में स्थापित है एवं उसके अगल-बगल कई वाशिंग प्लांट चल रहे हैं। इससे विद्यालय में पढ़ रहे बच्चों के स्वास्थ्य पर भी गहरा असर पड़ता है। इस मौसम में इतनी हवाएं चल रही है जिससे विद्यालय परिसर के अंदर भी बच्चे सांस के रूप में उसको अपने अंदर ले रहे हैं। साथ ही सड़क के पटरियों पर भी अवैध रूप से बालू डंप है जिसके कारण आए दिन दुर्घटनाएं भी होती चली आ रही है। स्थानीय प्रशासन के साथ-साथ जिला प्रशासन को भी अपना ध्यान इस और आकर्षित करने की जरूरत है।
-राजकुमार सिंह, पूर्व प्रमुख शिवसेना, शंकरगढ़
इस मार्ग की हालत बहुत दयनीय है। शिवराजपुर से गाढ़ा कटरा तक जाने में काफी दिक्कत का सामना करना पड़ता है क्योंकि नेशनल हाईवे होने का काफी तेज रफ्तार में गाड़ियां चलती है एवं पटरियों पर बालू बिखरा रहता है। जिससे कभी-कभी गाड़ी फिसल जाती है।
-विनय कुमार सिंह शंकरगढ
इस समय शिवराजपुर से टकटई तक रोड मे आने जाने में काफी दिक्कत का सामना करना पड़ता है। लोग नंगी ऑखो से सफर नहीं कर सकते क्योंकि इस मौसम में इतनी हवा चल रही है जिसकी वजह से आंखों मे बालू के कड़ पड़ जाते है जिससे काफी दिक्कत होती है। पर्यावरण विभाग को इस पर कठोर कदम उठाने की आवश्यकता है।
-नवनीत मिश्रा, शंकरगढ़
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