टीम ने किए सवाल, एक साथ कई जानवर बीमार हो गए तो कैसे करेंगे आइसोलेट
Gorakhpur News - फॉलोअप --------------- अस्पताल में इलाज की व्यवस्था और क्वारंटीन सेंटर से संतुष्ट नहीं दिखी

गोरखपुर, कार्यालय संवाददाता। चिड़ियाघर में बर्ड फ्लू की दस्तक के बाद शासन से आई टीम ने दो दिनों तक चिड़ियाघर की हर एक व्यवस्था परखी है। अस्पताल में इलाज, क्वारंटीन सेंटर, नाइट सेल और आइसोलेशन वार्ड की व्यवस्था से टीम संतुष्ट नहीं दिखी है। अस्पताल के रेस्क्यू सेंटर पर टीम ने हैरानी जताई है। सेंटर में बाड़े एक-दूसरे जानवरों के बेहद करीब होने से संक्रमण का खतरा सबसे अधिक है। टीम ने जिम्मेदारों से इलाज के बारे में सवाल किए। पूछा, अगर एक साथ कई जानवर बीमार हो गए तो आइसोलेट कैसे करेंगे और उनका इलाज कैसे होगा? संक्रमण किस तरह से रुकेगा।
इस पर जिम्मेदार जवाब नहीं दे सके। इसके बाद टीम ने रिपोर्ट तैयार करते हुए पूरे अस्पताल के एक-एक वार्ड का जायजा लिया। टीम ने दो दिनों के मंथन के बाद पूरी रिपोर्ट तैयार कर ली है। बताया जा रहा है कि शुक्रवार को टीम शासन को रिपोर्ट सौंप सकती है। इसके बाद शासन स्तर से इस मामले में कुछ फैसला हो सकता है। टीम ने पूरे चिड़ियाघर का निरीक्षण करते हुए एक-एक बाड़े को बेहद नजदीक से देखा। इसके बाद जानवरों के स्वास्थ्य से संबंधी जानकारी ली। इसके बाद टीम दूसरे दिन भी अस्पताल परिसर पहुंचकर इलाज की व्यवस्था की जानकारी ली। टीम ने देखा कि अस्पताल में नौ तेंदुए रखे गए हैं। इसके अलावा क्वारंटीन सेंटर में बाघिन मैलानी रखी गई है। इसके अलावा तेंदुए के बगल में सनक्नयोर पक्षी रखे गए हैं। वहीं, आइसोलेशन वार्ड जो बनाया गया है, उसके ठीक बगल में भी जानवरों के लिए बाड़ा बना है। ऐसी स्थिति में अगर इलाज के दौरान किसी जानवर को आइसोलेट किया गया तो बगल में वाले जानवरों को भी संक्रमण का खतरा रहेगा। इस पर टीम ने हैरानी जताई। इसके बाद इलाज में शामिल कर्मियों के बारे में पूछा। बताया गया कि दो डॉक्टरों के भरोसे 300 वन्य जीवों का स्वास्थ्य है। कर्मियों की भी कमी है। इस बीच टीम को पता चला कि चिड़ियाघर का यह अस्पताल प्रदेश के सबसे छोटे अस्पतालों में शुमार है। पक्षियों और मृत कौओं के रिपोर्ट का इंतजार चिड़ियाघर के जानवरों सहित पक्षियों और मृत कौओं के रिपोर्ट का इंतजार चिड़ियाघर प्रशासन कर रहा है। रिपोर्ट आने के बाद ही बर्ड फ्लू संक्रमण की सही जानकारी चिड़ियाघर प्रशासन को हो सकेगी। अब तक न तो उच्च पशु रोग संस्थान भोपाल न ही आईवीआरआई बरेली से एक भी रिपोर्ट जारी हुई है। ये रहे टीम में शामिल टीम में वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (डब्ल्यूआईआई) से डॉ. पराग निगम, आईवीआरआई बरेली से डॉ. एम करिकलन, डब्ल्यूआईआई के रिटायर्ड हेड वाइल्ड लाइफ हेल्थ और उत्तराखंड के रिटायर्ड प्रधान मुख्य वन संरक्षक डॉ. पीके मलिक शामिल हैं। चार जानवरों की हो चुकी है मौत चिड़ियाघर में एक माह के अंदर चार बड़े जानवरों की मौत हो चुकी है। 30 मार्च को पीलीभीत से रेस्क्यू कर लाए गए बाघ केसरी की मौत सबसे पहले हुई थी। इसके बाद पांच मई को मादा भेड़िया भैरवी, सात को बाघिन शक्ति और आठ मई को तेंदुआ मोना की मौत हुई थी। बाघिन शक्ति की मौत की वजह से बर्ड फ्लू आई है। इसके बाद से ही पूरे प्रदेश में 27 मई तक चिड़ियाघर बंद है।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।