Challenges Faced by Technical Students in Gorakhpur Need for Better Education and Employment Opportunities बोले गोरखपुर: गीडा की फैक्ट्रियों में ही मिले काम,पाठ्यक्रम हो बेहतर, Gorakhpur Hindi News - Hindustan
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बोले गोरखपुर: गीडा की फैक्ट्रियों में ही मिले काम,पाठ्यक्रम हो बेहतर

Gorakhpur News - गोरखपुर में तकनीकी छात्र-छात्राओं का जीवन कठिनाइयों से भरा हुआ है। शिक्षा महंगी हो गई है और रोजगार के अवसर सीमित हैं। छात्रों को मानसिक दबाव का सामना करना पड़ता है और खेलकूद का समय नहीं मिल रहा है।...

Newswrap हिन्दुस्तान, गोरखपुरTue, 20 May 2025 07:57 PM
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बोले गोरखपुर: गीडा की फैक्ट्रियों में ही मिले काम,पाठ्यक्रम हो बेहतर

बोले गोरखपुर: वर्तमान में तकनीकी छात्र-छात्राओं का जीवन संस्थान की चहारदीवारी तक सीमित नहीं रह सकता। उनका मानना है कि बेहतर शिक्षा ही बेहतर कल का निर्माण करती है। घर से संस्था आने के बीच सड़क पर लगने वाला जाम या फिर रेलवे क्रॉसिंग पर घंटों खड़े होकर व्यवस्था की मार झेलते इन छात्रों की तकनीकी समझ प्रभावित हो रही है। सरकार इनके लिए जो योजनाएं चला रही है उसका लाभ हर पात्र को मिल रहा है। मसलन, मोबाइल व टैबलेट या स्कॉलरशिप योजना का लाभ लगभग हर एक पात्र को मिल रहा है। संस्थानों में रोजगार मेला आयोजित हो रहा है, लेकिन भीड़ इतनी ज्यादा है कि यह व्यवस्था क्षीण होती दिखाई पड़ रही है।

कोर्स पूरा कर चुके छात्र अनुभवों से कहते सुनाई देते हैं कि सरकारी संस्थान को छोड़ दें तो प्राइवेट संस्थाएं डिग्री बांटने की फैक्ट्री बनकर रह गई हैं। इनका स्पष्ट कहना है कि गीडा की फैक्ट्रियों में रोजगार मिला है, लेकिन यह संख्या कम है। स्थानीय युवाओं को तरजीह मिले तो उन्हें रोजगार मेले में 10 हजार रुपये में दिल्ली-जयपुर जैसे शहरों में अवसर की जरूरत नहीं पड़े। वहीं पाठ्यक्रम को भी रोजगार परक बनाने की जरूरत है। गोरखपुर₹। तकनीकी छात्र-छात्राओं की दिनचर्या सुबह जल्दी उठने, संस्थान जाने, होमवर्क पूरा करने और ट्यूशन के बीच सिमटी होती है। इनके लिए खेलकूद और आराम का समय बहुत कम होता जा रहा है। मोबाइल फोन और सोशल मीडिया का अत्यधिक उपयोग भी इनकी एकाग्रता और नींद पर असर डाल रहा है। इनका कहना है कि इन सारी सुविधाओं ने काम को जितना आसान किया है उससे कहीं ज्यादा जीवन को कठिन बनाया है। करियर को लेकर परेशान ये छात्र-छात्राएं रोज कुछ नया करने की होड़ में लगे हुए हैं, ताकि बेहतर नौकरी मिल सके। बताते हैं कि इनके सामने कई बार मानसिक दबाव जैसी स्थिति बन जाती है। परीक्षा व पढ़ाई का दबाव इतना हावी हो जाता है कि तनाव आम समस्या बन चुकी है। कभी-कभी संस्था में अच्छे अंकों की प्रतिस्पर्धा और सहपाठियों से तुलना भी तनाव को जन्म देती है। इन प्रशिक्षुओं का कहना है कि ज्यादा से ज्यादा प्रयोगात्मक ज्ञान ही इन्हें भीड़ से अलग कर सकती है। संस्थान इस दिशा में इनका पूरा सहयोग कर रही है। बढ़ती हुई फीस और बढ़े हुए किराए भी इनके लिए चिंता का सबब है। कुछ छात्र आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों से आते हैं, जहां शिक्षा के साथ-साथ घर के कामों में भी हाथ बंटाना पड़ता है। इससे उनकी पढ़ाई प्रभावित होती है फिर भी इन वर्जनाओं को पार कर कुछ ऐसे भी हैं जो अपना किरदार खुद ही गढ़ने की जिद में मेहनत किए जा रहे हैं। बक्शीपुर कुम्हार टोला में रहने वाले तुषार अपने पुश्तैनी काम कुम्हारी कला के साथ आज आईटीएम गीडा से इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे हैं। दूसरी ओर आईटीआई ट्रेनी सतीश गौंड़ बताते हैं कि तकनीकी शिक्षा बस अच्छी नौकरी के लिए ही जरूरी नहीं, बल्कि इससे एक बेहतर राष्ट्र का भी निर्माण होता है। आईटीआई, कोचिंग के साथ घर पर पढ़ाई का तालमेल बिठाना बहुत आवश्यक है। संस्थान का हर छात्र अपने आपको भविष्य के लिए तैयार करने में जुटा हुआ है। संस्थाओं में हर तरह की एक्टिविटी होनी चाहिए, जबकि कहीं-कहीं ये देखने को नहीं मिल रहा है। ऐसे में छात्रों का सर्वांगीण विकास नहीं हो पाता है। समय-समय पर यूनिट टेस्ट वगैरह आयोजित किए जाने से सही आकलन हो पाता है। दूसरी ओर जंगल अयोध्या की रहने वाली निधि कुमारी बताती हैं कि शिक्षा तो महंगी हुई ही है, ऑटो से लेकर इलेक्ट्रिक बस का किराया महंगा हुआ है। छात्रों के लिए कोई छूट नहीं है। कुल मिलाकर महंगाई परेशानी का कारण बना हुआ है। शिक्षा के क्षेत्र में आई महंगाई ने भी छात्र-छात्राओं को खासा परेशान किया है। जॉब इंटरव्यू के लिए आए आईटीआई पास आउट सांतेश्वर पाल बताते हैं कि छात्रों को समय से नौकरी मिल जाए ये ज्यादा जरूरी है। बेहतर होगा कि स्थानीय स्तर पर लोगों का ज्यादा से ज्यादा चयन हो। खाद कारखाना हो या फिर गीडा में बड़ी फैक्ट्रियों में स्थानीय युवाओं को अवसर कम मिल रहा है। पढ़ाई-लिखाई के साथ खेलकूद भी जरूरी: आईटीआई पास राजू कुशवाहा का मानना है कि बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए शिक्षा और खेलकूद दोनों ही आवश्यक हैं। इन्हें केवल किताबों तक सीमित न रखकर खेलों में भी भागीदारी करनी चाहिए। वहीं राजनाथ यादव बताते हैं कि खेल बच्चों के शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाते हैं साथ ही यह टीमवर्क, अनुशासन और आत्मविश्वास जैसे गुणों को विकसित करते हैं। इसलिए स्कूलों और कॉलेजों में पाठ्यक्रम के साथ-साथ खेलों को भी महत्व दिया जाता है। सभी को अपनी दिनचर्या में थोड़ा समय अपने खेल के लिए निकालना चाहिए। माता-पिता का भी यह दायित्व बनता है कि वे अपने बच्चों को खेलों के प्रति उत्साहित करें। हालांकि परिवारों में अब जागरूकता बढ़ रही है। डिजिटल लैब में वर्चुअल रिएलिटी से मिल रहा प्रशिक्षण प्रशिक्षण निदेशालय लखनऊ की ओर से प्रदेश की पांच राजकीय औद्योगिक संस्थानों में वीआर लैब के निर्माण की घोषणा की गई थी। इस क्रम में राजकीय आईटीआई चरगांवा में वीआर (वर्चुअल रियलिटी) लैब का उद्घाटन किया गया है। इससे अब प्रशिक्षुओं को आधुनिक तकनीक के माध्यम से व्यावहारिक प्रशिक्षण मिल सकेगा। यह लैब छात्रों को न केवल सुरक्षित वातावरण में सीखने का मौका देगी, बल्कि इन्हें उद्योग की आवश्यकताओं के अनुरूप दक्ष बनाएगी। राजकीय आईटीआई चरगांवा के प्रधानाचार्य संतोष कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि अत्याधुनिक वर्चुअल रियलिटी लैब में प्रशिक्षु वेल्डिंग, इलेक्ट्रिकल, फिटर, मशीनिस्ट, ऑटो मैकेनिक जैसे ट्रेड्स की बारीकियों को वर्चुअल तरीके से सीख पा रहे हैं। इस तकनीक से इन्हें किसी असली मशीन या उपकरण को चलाए बिना ही व्यावहारिक अनुभव प्राप्त हो रहा है। खास बात यह है कि इसमें थ्री-डायमेंशनल विजुअल्स और इंटरेक्टिव कंटेंट के माध्यम से छात्रों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इससे सीखने की प्रक्रिया रोचक और प्रभावशाली तो हो ही गई साथ में छात्रों की दक्षता भी बढ़ गई। इससे प्रशिक्षण में लगने वाले संसाधनों और समय की भी बचत होगी। शिकायतें किसी भी प्रकार का अत्यधिक दबाव छात्रों के भीतर अवसाद और तनाव जैसी समस्या को जन्म देती है। स्थानीय स्तर पर तकनीकी क्षेत्र में रोजगार के अवसर कम है। कम वेतन पर बाहर जाना कठिन है। सभी संस्थाओं में प्रयोगात्मक विषय पर उतना जोर नहीं दिया जाता। ऐसे में नई जानकारी का अभाव रहता है। खामियों की वजह से कभी-कभी परीक्षाएं समय से आयोजित नहीं हो पाती हैं। इससे परेशानी होती है। पूर्वांचल के छात्रों का व्यक्तित्व कम प्रभावशाली है। उन्हें किसी से बातचीत करने में झिझक होती है। सुझाव बच्चों को घर में अच्छा माहौल देते हुए किसी भी प्रकार का मानसिक दबाव देने से बचना चाहिए। गीडा में मेगा फैक्ट्रियां खुली हैं। इनमें स्थानीय तकनीकी संस्थानों से उत्तीर्ण युवाओं के लिए विशेष अवसर मुहैया होना चाहिए। सभी संस्थानों में प्रयोगात्मक विषय पर ज्यादा जोर देते हुए छात्रों को तकनीकी रूप से पूरी तरह से तैयार करना चाहिए। शासन को ध्यान देते हुए समय पर परीक्षाएं करानी चाहिए ताकि छात्र आगे की योजना बना सके। समय-समय पर पर्सनालिटी डेवलपमेंट की कक्षाएं आयोजित करनी चाहिए ताकि छात्रों का व्यक्तित्व निर्माण हो सके। बोले जिम्मेदार छात्रों के लाभ के लिए हर बेहतर विकल्प उपलब्ध कराए जा रहे हैं। संस्थान में वर्कशॉप व प्रयोगात्मक विषय पर पहले ही जोर दिया जा रहा था। हाल ही में वीआर लैब का निर्माण होने से छात्रों के सीखने में सहायता मिलेगी। संस्थान की ओर से हर माह रोजगार मेला भी आयोजित होता है, जिससे करीब 2600 छात्रों को प्रतिवर्ष रोजगार मिल रहा है। -संतोष कुमार श्रीवास्तव, प्रधानाचार्य राजकीय आईटीआई चरगांवा प्रयोगात्मक विषय पर जोर दिया जाता है। हर माह रोजगार मेला आयोजित होता है। जिसमें पिछले एक दशक में अच्छी संख्या में छात्रों को रोजगार मिला है। छात्रों को संयम से बेहतरी का इंतजार करना चाहिए। पिछले कुछ वर्षों का आंकड़ा देखें तो हर साल करीब एक हजार छात्रों को रोजगार मिल रहा है। यहां पौधारोपण आदि कार्यक्रम भी आयोजित किए जा रहे हैं। -माधवेन्द्र राज, शिक्षक एमपी पॉलिटेक्निक हमारी भी सुनिये अपेक्षा से ज्यादा पढ़ाई का दबाव हमेशा गलत होता है। इसलिए संतुलन बना कर काम करते रहना बहुत जरूरी है। पढ़ाई के साथ खेलकूद व मनोरंजन पर भी ध्यान देना चाहिए। -परमेंद्र गुप्ता अच्छे अंक लाने का दबाव मानसिक थकान का कारण होता है। साथियों को घुल मिलकर रहना चाहिए। अपने दैनिक काम करते हुए शिक्षकों की बात माननी चाहिए। -देवेंद्र चौधरी किसी की किसी अन्य से तुलना उसके आत्मविश्वास को कम करती है। ऐसे में ध्यान देना चाहिए कि कोई भी बच्चा इससे ग्रसित न हो। किताबी ज्ञान के साथ प्रयोगात्मक ज्ञान लेने पर जोर देना चाहिए। -अमित चौधरी हर विषय में अच्छा प्रदर्शन रहे ये संभव नहीं और न ही ये व्यवहारिक है। वर्तमान में खेलकूद और मनोरंजन का अभाव बहुत ज्यादा देखने को मिल रहा है। पढ़ाई के बोझ में बच्चे खेलकूद नहीं पाते। -फैजान ट्रेन की टाइमिंग अलग होने से आईटीआई आने-जाने में समस्या हो रही है। कभी-कभी बिना भोजन किए घर से निकलना पड़ता है। मजबूरी ये है कि पढ़ाई नहीं करेंगे तो अच्छी नौकरी नहीं मिलेगी। -अक्षय घर पर भी आराम के बजाय काम का दबाव बना रहता है। बहुत से छात्रों को सही मार्गदर्शन की कमी झेलनी पड़ती है। ऐसे में करियर या भविष्य को लेकर चिंता बनी रहती है। काउंसलिंग बहुत जरूरी है। -सतीश गौड़ आजकल ज्यादातर लोगों का झुकाव तकनीकी शिक्षा की तरफ देखने को मिल रहा है। ऐसे में चिंता होती है कि आने वाले समय में कैसी नौकरी मिलेगी। इस ओर भीड़ तो बढ़ती जा रही है। -सूरज विश्वकर्मा पिपराइच से आईटीआई तक आने में काफी मसक्कत करनी पड़ती है। जहां मैं रहता हूं , वहां से मेरे समय अनुसार किसी प्रकार की बस की सुविधा नहीं है। ये सुविधा हो जाए तो सहूलियत मिलेगी। -अजय चौहान आए दिन नकहा रेलवे क्रॉसिंग पर घंटों इंतजार करना पड़ता है ऐसे में कई बार क्लासेज छूट जाती हैं। किसी तरह का मानसिक दबाव नहीं होना चाहिए। इंटरव्यू देने आया था, नौकरी पाकर अच्छा लग रहा है। -सांतेश्वर यात्रा में छूट के साथ शिक्षा में आई महंगाई पर ध्यान देते हुए इसे कम करने की आवश्यकता है। इसका बोझ हर कोई वहन नहीं कर पा रहा है। सरकारी योजनाओं का पूरा लाभ मिल रहा है। -सविता गौड़ सबको एक दूसरे से समान व्यवहार करना चाहिए। वीआर लैब हमारे लिए बिल्कुल नया अनुभव रहा। इसके पूर्व नहीं पता था कि पढ़ाई के लिए ऐसी भी कोई व्यवस्था है, जिससे इतना ज्ञान मिल सकता है। -नेहा साहनी वर्कशॉप या प्रयोगशाला में सहपाठियों के साथ काम करने में सदैव कुछ नया सीखने को मिलता है। अच्छी जानकारी से ही हम आगे बढ़ सकते हैं। रोजगार के लिए अधिक कारखाने खुलने चाहिए। -निधि कुमारी

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