डंठल जलाने से खत्म हो रहे खेत के जैव उर्वरक, फंफूदीनाशी, मित्र कीट
Gorakhpur News - गोरखपुर में किसान गेहूं के डंठल जलाने लगे हैं, जिससे खेतों में आग लगने की घटनाएं बढ़ रही हैं। कृषि विभाग इसे रोकने में असमर्थ है। कृषि निदेशक ने चेतावनी दी है कि इससे खेत की उर्वरा शक्ति कम हो रही है।...
गोरखपुर, मुख्य संवाददाता। गेहूं की कटाई के बाद किसानों ने डंठल जलाना शुरू कर दिया है। ऐसे में खेतों में आग लगने के हादसे भी सामने आ रहे हैं। लेकिन कृषि विभाग इस पर लगाम नहीं लगा पा रहा है। मंगलवार की रात खोराबार ब्लॉक के छितौना गांव में गेहूं के डंठल बड़े क्षेत्र में जलते दिखे। निकल रहे धुएं से सड़क से गुजर रहे लोगों को दिक्कत भी हो रही थी। संयुक्त कृषि निदेशक डॉ अरविंद कुमार सिंह कहते हैं कि गेहूं की डंठल जलाने से खेत की उर्वरा शक्ति निरंतर घट रही है। उन्होंने बताया कि हर साल किसान खेत में उपलब्ध जैव उर्वरक राई जोवियम, अजोटो बैक्टर, एजो स्पाई रिलियम, ब्लू ग्रीन एल्गी और फास्फोरस विलायक जीवाणु, नाईट्रोजन को स्थिरीकरण करते हैं। कृषि अवशेष फास्फोरस को घुलनशील बना कर पौधों को उपलब्ध कराते हैं पर खेतों में गेहूं का डंठल जलाने पर सभी जल कर नष्ट हो जा रहे हैं। इसके अतिरिक्त लाभदायक जैविक फफूंदी नाशी-ट्राईकोडर्मा बबेरिया बेसियाना आग की लपटों में जल कर नष्ट हो रहे हैं। इन सभी जैव उर्वरक एवं जैव कीटनाशी को किसान बाजार से महंगे दाम पर खरीदकर खेत में डाल रहे हैं लेकिन उसका संरक्षण नहीं कर रहे हैं।
फसल अवशेष से खेतों को मिलता है पोषक तत्व
पर्यावरणविद् डॉ. अनिता अग्रवाल कहती हैं कि गेहूं के डंठल में नाइट्रोजन 0.5 प्रतिशत, फास्फोरस 0.1 प्रतिशत, पोटास 1.10 प्रतिशत मिलता है। इतना पोषक तत्व गोबर में भी नहीं मिलता। एक एकड़ खेत से 18 से 20 कुंतल औसतन भूसा मिलता है। इसी तरह गन्ने के एक एकड़ खेत से 38 से 40 कुंतल सूखा पत्ता मिलता है जिसमें 0.5 प्रतिशत नाईट्रोजन, फास्फोरस- 0.3 फीसदी, पोटाश 0.6 फीसदी मिलता है। इसी प्रकार धान का पुआल में 0.3 प्रतिशत नाइट्रोजन, 0.08 फीसदी फास्फोरस, 0.7 फीसदी पोटाश मिलता है। लेकिन किसान जानकारी के अभाव में खेत में गेहूं के डंठल को जला कर खेत की उर्वरा शक्ति को नष्ट कर दे रहे हैं।
फसल अवशेष से ऐसे बनाए जैविक खाद
डॉ. अनिता कहती हैं कि किसान भाई बाजार में उपलब्ध 20 रुपये के वेस्ट डीकम्पोजर से गेहूं की फसल के अवशेष को जैविक खाद में बदल कर खेत की उर्वरा शक्ति को बढ़ा सकते हैं। वेस्ट डीकम्पोजर की एक शीशी 200 लीटर पानी भरे ड्रम में डालने के बाद उसमें दो किलोग्राम गुड़ का घोल बना कर मिला दें। चार से पांच दिनों तक उसे लकड़ी से हिलाएं। जब पानी की ऊपरी सतह में फफूंद पड़ जाए तो उसे गेहूं के खेत में पानी चला कर छिड़काव करें। फसल अवशेष कुछ दिनों में जैविक खाद में तब्दील हो जाएगा। ऐसा कर वे पर्यावरण का संरक्षण भी कर सकते हैं।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।