Gorakhpur Man Appeals to CM for Job After 16 Years of Unfulfilled DM Promise 22 की उम्र थी तब डीएम ने किया था वादा, अब 38 के हो गए, दे दें मुझे नौकरी, Gorakhpur Hindi News - Hindustan
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22 की उम्र थी तब डीएम ने किया था वादा, अब 38 के हो गए, दे दें मुझे नौकरी

Gorakhpur News - - गीडा के रहने वाले जंगीलाल ने सीएम से लगाई गुहार, प्रकरण की जांच पुलिस को सौंपी गई के आश्वासन का याद दिलाते हुए फरियाद करके थक चुके गीडा के जंगीलाल

Newswrap हिन्दुस्तान, गोरखपुरTue, 20 May 2025 05:41 AM
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22 की उम्र थी तब डीएम ने किया था वादा, अब 38 के हो गए, दे दें मुझे नौकरी

शिवम सिंह गोरखपुर। बीते 16 वर्ष से प्रशासन को डीएम के आश्वासन की याद दिलाते हुए थक चुके गीडा के जंगीलाल निषाद ने अब नौकरी के लिए सीएम से फरियाद की है। उनका कहना है कि वर्ष 2009 में पुलिस और बदमाशों से मुठभेड़ में चार बदमाश गोली लगने के बाद नदी में गिर गए थे, इसमें से एक लाश खोजे नहीं मिल रही थी। तब तत्कालीन डीएम ने यह एलान कराया था कि जो भी गोताखोर लाश को बाहर निकाल देगा, उसे सरकारी नौकरी दे दी जाएगी। तीन दिन खोजने के बाद नदी से लाश तो निकाल दिया, लेकिन नौकरी नहीं मिली।

कुछ दिन तक सहजनवा थाने पर काम भी कराया गया और थानेदार रुपये भी दिए, लेकिन बाद में हटा दिया गया। अब जंगीलाल डीएम के उसी आश्वासन को याद दिलाकर नौकरी की मांग कर रहे हैं। सीएम के जनता दर्शन में पेश हुए जंगीलाल के प्रार्थना पत्र पर पुलिस को जांच कराने के लिए कहा गया है। पुलिस को जांच करनी है कि उनकी बातों में कितनी सच्चाई है। पुलिस की रिपोर्ट के बाद इस पर अग्रिम कार्रवाई संभव है। गीडा इलाके के बरवार, पोस्ट छपिया के रहने वाले जंगीलाल गोताखोर है। उनका कहना है कि 2009 में उनकी उम्र करीब 22 वर्ष थी। तब पुलिस और बदमाशों के बीच फायरिंग हो गई थी। पुलिस की गोली से घायल होकर नदी में गिरे तीन बदमशों का शव मिल गया था, लेकिन एक का शव नहीं मिलने से पुलिस और प्रशासन दोनों परेशान थे। तब डीएम ने एलान कराया कि जो भी शव को बाहर निकाल देगा, उसे इनाम के तौर पर नौकरी दी जाएगी। नदी से शव खोजकर निकाला तो भीड़ के बीच तत्कालीन डीएम ने सम्मानित भी किया था, लेकिन बाद में नौकरी नहीं मिली। अब उम्र 38 की हो गई है और देवरिया में एक प्राइवेट काम करने को मजबूर हैं। एक हजार प्रार्थना पत्र दिया, लेकिन कुछ नहीं हुआ जंगीलाल बताते हैं, प्रशासन को एक हजार प्रार्थना पत्र दिया, लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हुई। प्रार्थना पत्रों की मोटी फाइल उनके घर में धूल फांक रही है, इसीलिए आखिरी उम्मीद लेकर सीएम के पास पहुंचा हूं। डीएम के कहने पर ही उन्होंने अपने जान को जोखिम में डालकर शव को खोजा था। नौकरी मिली तो तकदीर बदल जाएगी।

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