Employment Challenges for Rural Job Seekers in Hardoi Delayed Payments and Lack of Support बोले हरदोई: ठेकेदारी प्रथा पर लगे रोक तो काम कर पाएं बेरोकटोक, Hardoi Hindi News - Hindustan
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बोले हरदोई: ठेकेदारी प्रथा पर लगे रोक तो काम कर पाएं बेरोकटोक

Hardoi News - हरदोई के रोजगार सेवक ग्रामीणों को 100 दिन का काम देने के बावजूद समय पर मानदेय न मिलने से परेशान हैं। उन्हें काम के दौरान कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है, जैसे ठेकेदारी प्रथा, फर्जी जॉब कार्ड और...

Newswrap हिन्दुस्तान, हरदोईMon, 21 April 2025 02:06 PM
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बोले हरदोई: ठेकेदारी प्रथा पर लगे रोक तो काम कर पाएं बेरोकटोक

हरदोई। ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोजगारों को उनके गांव और घर के आसपास 100 दिन काम के मौकों की गारंटी के साथ रोजगार उपलब्ध करवाते हैं। गांवों के विकास कार्य में अहम भूमिका निभा रहे हैं पर हम खुुद परेशान हैं। यह कहना है रोजगार सेवकों का। बोले- न तो समय पर मानदेय मिलने की गारंटी है और न ही सेहत की कोई सुध लेता है। ग्राम सभा के रहमोकरम पर हमारी नौकरी टिकी है। ग्राम पंचायत में मनरेगा कार्य होने पर मानदेय तय है। आपके अपने अखबार ‘हिन्दुस्तान से चर्चा के दौरान रोजगार सेवकों ने कहा कि सर्दी-गर्मी या बरसात हो, उन्हें हर दिन काम करना होता है पर जब मानदेय की बात आती है तो उसे मिलने में चार से छह महीने लग जाते हैं। जिम्मेदारों को समस्याओं का हल निकालना चाहिए।

रोजगार सेवक पूरी मेहनत और लगन से अपना कार्य करते हैं पर उनकी खुद सुनवाई नहीं होती। हरदोई की 1293 ग्राम पंचायतों में 937 रोजगार सेवक देश की सबसे बड़ी योजनाओं में से एक मनरेगा के संचालन में ड्यूटी निभा रहे हैं। हर साल तीन अरब से अधिक बजट से बेरोजगारों को रोजगार उपलब्ध करवाने के साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में विकास करवाने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका है पर शासनादेश में उल्लेखित अधिकारों के न मिलने से वे मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं। आपके अपने अखबार ‘हिन्दुस्तान से चर्चा के दौरान संजीव सिंह ने बताया कि जिम्मेदारों की नाक के नीचे मनरेगा में ठेकेदारी प्रथा से काम करवाया जा रहा है। अगर ठेकेदारी प्रथा पर रोक लगे तो ही हम काम बेरोकटोक कर सकेंगे। सबके अपने-अपने हित हैं। इसलिए कोई कुछ नहीं बोलता है।

रोजगार सेवक संघ के जिलाध्यक्ष इमरान बताते हैं कि रोजगार गारंटी योजना संचालित करने के लिए ग्राम पंचायतों को आईडी-पासवर्ड देने के निर्देश दिए थे। पायलट प्रोजेक्ट के तहत अहिरोरी विकास खंड में इसका संचालन शुरू किया गया। सफलतापूर्वक संचालन होने के बाद सभी विकास खंडों में ग्राम पंचायतों में तैनात रोजगार सेवकों को आईडी-पासवर्ड देने का निर्देश हुआ पर उस पर अमल नहीं हो सका। हर माह समय से मानदेय मिलने के आश्वासनों पर भी कुछ नहीं हुआ। त्योहारों पर भी मानदेय के लिए इन्तजार करते रह जाते हैं। अधिकतर ब्लॉकों में दिवाली के बाद से मानदेय नहीं मिला है।

काम भरपूर लिया जाता : प्रदेश उपाध्यक्ष मनमोहन सिंह बताते हैं कि काम तो भरपूर लेते हैं पर समय से मानदेय नहीं मिलता है। छह महीने हो गए पर मानदेय का पता नहीं है। ओमेंद्र यादव ने बताया कि ईपीएफ में मानदेय से 12 प्रतिशत की कटौती तो की जा रही है पर एम्पलॉयर की ओर से दिया जाने वाला 13 प्रतिशत यूएएन खाते में नहीं जमा किया जा रहा है। सत्यपाल सिंह ने कहा कि उनके कई रोजगार सेवक साथी विपरीत परिस्थितियों में संघर्ष करते हुए मर गए पर न तो उन रोजगार सेवकों के परिजनों को मृतक आश्रित में नौकरी मिली न ही कोई धनराशि, जिससे उनके परिवारजन जीवन यापन कर सकें। मांग करते हुए कहा, मृतक रोजगार सेवक के परिवारजनों को कम से कम छह लाख रुपये दिए जाने चाहिए। संदीप सिंह ने बताया अगर रोजगार सेवक को आईडी-पासवर्ड मिल जाए तो वे कार्य की डिमांड गांव से ही लगा पाएंगे। मस्टर रोल ग्राम पंचायत कार्यालय से निकाला जा सकेगा। वेज लिस्ट ग्राम पंचायत स्तर पर ही बन सकेगी। आधार सीडिंग रोजगार सेवक करेंगे। ब्लॉक कार्यालय तक की दौड़ बचेगी और विकास खंड स्तर से की जा रही मनमानी पर भी रोक लग जाएगी। रोजगार सेवकों के मुताबिक आवासीय सुविधा, आयुष्मान कार्ड और अंत्योदय राशन कार्ड जैसी सुविधाएं दी जाएं। कई ग्राम पंचायतों में आसपास की ग्राम पंचायतों के फर्जी जॉब कार्ड बना दिए गए हैं। उन पर मजदूरी का पैसा निकाला जा रहा है।

शिकायतें

1. लगातार काम कराने के बावजूद मानदेय समय पर नहीं दिया जाता।

2. ईपीएफ का पूरा अंशदान जमा नहीं होता और न ही जानकारी मिल रही है।

3. रोजगार सेवकों को आईडी और पासवर्ड नहीं मिला। इससे काम में दिक्कत आती है।

4. ग्राम पंचायतों में अक्सर अराजकतत्व काम के दौरान अभद्रता करते हैं।

5. ठेकेदारी प्रथा से मनरेगा में काम पर अंकुश न लगने से रोजगार सेवकों पर ग्रामीण आरोप लगाते हैं।

6. विकास खंड स्तर पर रोजगार सेवकों की समस्या पर सुनवाई नहीं होती है।

7. मृतक रोजगार सेवकों के परिजन उपेक्षा का शिकार हैं।

समाधान

1. हर महीने एक से पांच तारीख के मध्य में मानदेय का भुगतान किया जाए।

2. ईपीएफ अंशदान पूरा जमा किया जाए। इसका साक्ष्य भी मुहैया कराया जाए।

3. रोजगार सेवकों को आईडी और पासवर्ड देकर योजना में पारदर्शिता लाई जाए।

4. मजदूरों को समय से भुगतान किया जाए ताकि वे काम करने के लिए जल्द तैयार हों।

5. ठेकेदारी प्रथा पर पूरी तरह रोक लगाकर रोजगार सेवकों से ही काम कराया जाए।

6. छह महीने में एक बाद उच्चाधिकारी बैठक कर हमारी समस्याएं सुनें।

7. मृतक रोजगार सेवकों के परिवारों को आर्थिक सहायता मिले।

बोले रोजगार सेवक

ग्राम पंचायतों में तैनात रोजगार सेवकों को आईडी व पासवर्ड मिलना चाहिए ताकि उन्हें कोई दिक्कत न हो। - इमरान, जिलाध्यक्ष

काम भरपूर लिया जाता है पर मानदेय समय से नहीं। बीमा करा आपात स्थिति में आर्थिक लाभ मिले। -मनमोहन सिंह, प्रदेश उपाध्यक्ष

ईपीएफ में 12 % की कटौती हो रही है। सरकार द्वारा भी 13 % जमा होना चाहिए, जो नहीं हो रहा है। - ओमेंद्र यादव, सुरसा

महंगाई के हिसाब से कम मानदेय है। इन हालातों के बीच कई सेवक मृत हो गए। - सत्यपाल सिंह, संयोजक

दूर के गांवों के लोगों के नाम पर फर्जी कार्ड बना मजदूरी निकाली जाती है। हस्ताक्षर के बाद मजदूरी मिले। - रिंकू पाल, ब्लॉक उपाध्यक्ष

कुछ प्रधानों ने करीबियों को महिला मेट बना दिया। उनकी आईडी ले ली और योजना में गड़बड़ी हो रही है। - पवन, कोषाध्यक्ष

मोबाइल मॉनीटरिंग सिस्टम चलाने को जारी आईडी प्रधान व प्रतिनिधि चला रहे हैं। - कृष्णपाल सिंह कुशवाहा, जिला सचिव

सेवकों को आईडी पासवर्ड मिलने से योजना में नियम विरुद्ध किए जा रहे कार्य नहीं होंगे। - संदीप सिंह, बावन

कई श्रमिकों को 11 माह से मजदूरी नहीं मिली है। सेवकों को छह माह से मानदेय नहीं जारी किया गया। - सुरेश पाल, ब्लॉक महामंत्री

कई ग्राम पंचायतों में कार्य को अनियमित रूप से स्वीकृति दी जाती है तो कई में काम नहीं हो रहे हैं। - विनोद यादव, बावन

मनरेगा मांग आधारित योजना है। ठेकेदारी प्रथा से काम बन्द कर रोजगार सेवकों के जरिए ही काम लिया जाए। - संजीव सिंह, बावन

बोले जिम्मेदार

शासन की मंशा के अनुरूप रोजगार सेवकों को मनरेगा अधिनियम में दिए गए अधिकार दिलवाए जाएंगे। स्थानीय स्तर पर होने वाली किसी भी प्रकार की समस्या को सुन कर उनका निस्तारण करवाया जाएगा। शासन स्तर से धनराशि जारी होते ही रोजगार सेवकों को मानदेय उपलब्ध करवाएंगे। -रवि प्रकाश सिंह, उपायुक्त श्रम एवं रोजगार

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