फर्जी डिग्री के मामले में दीनू उपाध्याय को मिली जमानत
Kanpur News - कानपुर। प्रमुख संवाददाता तृतीय श्रेणी से स्नातक पास करने के बावजूद वकालत का पंजीकरण

तृतीय श्रेणी से स्नातक पास करने के बावजूद वकालत का पंजीकरण कराने के मामले में आरोपी अधिवक्ता धीरज उर्फ दीनू उपाध्याय की अग्रिम जमानत अर्जी अपर जिला जज 11 सुभाष सिंह ने मंजूर कर ली है। गिरफ्तारी की स्थिति में 50-50 हजार की दो जमानतें व निजी मुचलका दाखिल करने पर दीनू को रिहा करने के आदेश दिए हैं। चकेरी के मंगला विहार निवासी धर्मेंद्र सिंह सेंगर ने कोतवाली थाने में दर्ज रिपोर्ट में कहा था कि उनके भाई बसपा नेता पिंटू सेंगर की दिनदहाड़े नृशंस हत्या कुख्यात अपराधी मोहम्मद आसिम उर्फ पप्पू स्मार्ट और सऊद अख्तर ने अपने गिरोह के सदस्यों धीरज उपाध्याय उर्फ दीनू उपाध्याय, राशिद कालिया के साथ मिलकर की थी। आरोप है, कि दीनू क्राइस्ट चर्च कॉलेज से वर्ष 1992 में बीए में थर्ड डिवीजन पास हुआ था। आपराधिक गतिविधियों में बने रहने के लिए वकालत की कूटरचित दस्तावेजों से डिग्री बनवाकर बार कौंसिल ऑफ उप्र में वकील के रूप में अपना पंजीकरण करा लिया। दीनू की जमानत अर्जी का विरोध करते हुए डीजीसी दिलीप अवस्थी व एडीजीसी भास्कर मिश्रा ने तर्क रखा कि दीनू संगठित गिरोह बनाकर विवादित जमीनों पर कब्जे का व्यापार करते हैं। अपने अपराधों को आवरण देने के लिए वकालत की डिग्री हासिल की। कई गंभीर मुकदमे दर्ज हैं।
वहीं अधिवक्ता शिवाकांत दीक्षित ने तर्क रखा कि दीनू ने बीएनएसडी इंटर कॉलेज से हाईस्कूल, कानपुर देहात से इंटर और क्राइस्ट चर्च कॉलेज से बीए तृतीय श्रेणी में 44.4 प्रतिशत अंक से पास किया था। बिहार में वर्ष 2005 में एलएलबी में प्रवेश लिया था। ऑल इंडिया बार एग्जाम भी पास किया है।
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