केडीए नहीं कर पाया विकास, एमडीए की टूटी आस
Kanpur News - कानपुर देहात के माती शहर के विकास में 30 सालों का समय बीत गया है, लेकिन अभी तक इसे शहर के रूप में विकसित नहीं किया जा सका। माती विकास प्राधिकरण के गठन और बृहद नगर पालिका बनने के प्रस्ताव शासन में...
कानपुर देहात , संवाददाता। जिला मुख्यालय माती को शहर बनाने की जिम्मेदारी संभाले केडीए तीस साल बीतने के भी माती को शहर के रूप में विकसित नहीं कर सका। जबकि माती के विकास के लिए पृथक प्राधिकरण (एमडीए) बनाने के प्रस्ताव को शासन की मंजूरी नहीं मिल सकी। इसके अलावा अकबरपुर व रनियां नगर पंचायतो के साथ ही 39 गाँवों को जोड़कर बृहद नगर पालिका बनने के प्रस्ताव के लंबित हो जाने से माती के शहर बनने का सपना पूरा होने का अभी तक इंतजार है। ग्रामीण क्षेत्र के विकास के लिए 25 अप्रैल 1981 को कानपुर नगर से दूसरी बार पृथक होकर जिला अस्तित्व में आया था।11
अप्रैल 1994 को माती में जिला मुख्यालय बनाने के साथ ही माती को मॉडल टाउन के रूप में विकसित करने के लिए अकबरपुर तहसील के 109 गांव केडीए के आधीन कर विकास की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। इसके बाद केडीए की अकबरपुर माती महायोजना - 2021 को वर्ष 2005 में शासन से अनुमोदन भी हुआ,लेकिन 19 साल बीतने के बाद भी इस पर काम शुरू नहीं हो सका। वर्ष 2013 में जनप्रतिनिधियों के हस्तक्षेप पर तत्कालीन मंडलायुक्त ने माती मुख्यालय पर जिला प्रशासन के साथ ही केडीए व आवास विकास अफसरों की संयुक्त बैठक में विकास की कार्ययोजना तैयार कराई, लेकिन इसपर भी अमल तो दूर केडीए अफसर अकबरपुर में खोले गए दफ्तर का भी ठीक से संचालन नहीं करा सके। पिछले साल सुनियोजित विकास के नाम पर रनियां क्षेत्र के गोइनी, फतेहपुर रोशनाई, रायपुर, लोधीपुर, शेरपुर तरौंदा, किशरवल,खरगपुर बिठूर, टोडर पुर, चिरौरा, ढिकिया,धनजुआ, विसायक पुर व मैथा क्षेत्र के भाऊपुर, मलिकपुर, मुबारकपुर, रास्तपुर, जैतपुर, शेखूपुर, सिंहपुर देवनी हृदयपुर व प्रतापपुर आदि 24 गांव भी केडीए के हवाले कर दिए गए,इसके बाद भी माती के शहर बनाने वा विकास का सपना पूरा नहीं हो सका। माती विकास प्राधिकरण के गठन के प्रस्ताव को नहीं मिली मंजूरी केडीए के विकास में रुचि न लेने पर 27 जनवरी 2015 को माती विकास प्राधिकरण के गठन का प्रस्ताव शासन को भेजा गया था। इसमें नगर पंचायत अकबरपुर के अलावा अकबरपुर तहसील के 156 गांवों व भोगनीपुर तहसील के मांवर गांव को शामिल किया गया था। जिले से निरंतर पत्राचार के बाद भी प्रस्ताव शासन में लंबित पड़ा है।फरवरी 2021में बिना विकास प्राधिकरण वाले जिलों से शासन से ङ्मप्रस्ताव मांगे जाने पर 2015 में भेजे गए प्रस्ताव का हवाला देकर माती विकास प्राधिकरण गठन को नया प्रस्ताव भी भेजा जा चुका है, लेकिन उसको भी मंजूरी नहीं मिल सकी। बृहद नगर पालिका के गठन का प्रस्ताव भी शासन में लंबित पिछले साल नगर पंचायत अकबरपुर व रनियां के साथ जगजीवनपुर, बनारअलीपुर, दस्तमपुर, बारा, स्वरुपपुर, जैनपुर, मंगोलपुर, सीधामऊ, कंधिया, जलालपुरनागिन, पातेपुर, कटराऐमा, पतारी, भुगनियापुर, बलिहारा,मड़वाई,रहनियापुर, बिगाही, कमीर, बिलवाहार, नरिहा, ताहरपुर मैदू, उमरन,बिलसरायां,मुबारकपुर लाटा, चिरौरा, रायपुर कुकहट, फतेहपुर रोशनाई, लोदीपुर,जरैला, घनारामपुर,धंजुआ, देवकली, गोइनी, करसा, सुल्तानपुर पेराजोर, करबक, पामा और गोपीपुर आदि 39 गांव मिलाकर वृहद नगर पालिका बनने का प्रस्ताव शासन को भेजा गया था, जो अभी तक शासन में लंबित है।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।