- फसल को कीड़े और रोग से बचाएगी ग्रीष्मकालीन जोताई
Kausambi News - जिला कृषि रक्षा अधिकारी इन्द्रजीत यादव ने किसानों को ग्रीष्मकालीन जोताई करने की सलाह दी है। उन्होंने कहा कि रबी फसल की कटाई के बाद गहरी जोताई करने से कीड़े और रोगों से बचाव होता है। इससे मृदा की...

जिला कृषि रक्षा अधिकारी इन्द्रजीत यादव ने जिलेभर के किसानों को ग्रीष्मकालीन जोताई की सलाह दी है। उन्होंने कहा है कि रबी की फसल की कटाई के बाद खेत की गहरी जोताई आगामी खरीफ फसलों के लिए रोगों एवं कीड़ों से बचाव के लिए अत्यंत लाभकारी होगी। मानसून आने से पूर्व मई व जून महीने में खेतों की ग्रीष्मकालीन जोताई की जाती है। गर्मी में खेत की गहरी जोताई (लगभग 10-12 इंच) करने से जहां मृदा के अंदर छिपे हानिकारक कीड़े, मकोड़े (दीमक, गिडार) उनके अंडे, लार्वा प्यूपा एवं खरपतवार के बीज सूर्य की तेज किरणों के संपर्क में आने से नष्ट होते हैं।
वही दूसरी ओर खेत की कठोर परत को तोड़कर मृदा को जड़ों के विकास के लिए अनुकूल बनाते हैं। साथ ही साथ मृदा संरचना में भी सुधार होता है और जलधारण क्षमता भी बढ़ती है, जो फसलों के बढ़वार के लिए उपयोगी होती है। गर्मी की गहरी जोताई के उपरातं मृदा में पाए जाने वाले हानिकारण जीवाणु, कवक निमेटोड एवं अन्य हानिकारक सूक्ष्मजीव मर जाते हैं जो फसलों की बीमारी के प्रमुख कारण होते हैं। गर्मी में गहरी जोताई से मृदा में वायु संचार बढ़ता है, जो लाभकारी सूक्ष्म जीवों के वृद्धि एवं विकास में सहायक होता है। इसके अलावा मिट्टी में पड़े खरपतवारनाशी एवं कीटनाशी रसायनों के विषाक्त अवशेष सूर्य की तीव्र रोशनी में नष्ट हो जाते हैं। इसके साथ किसानों को आगामी फसल की बोआई से पूर्व हरी खाद के लिए ढैंचा, सनई एवं उर्द, मूंग का प्रयोग करना चाहिए, जिससे भूमि की उर्वरता एवं कार्वन-नाइट्रोजन अनुपात में सुधार होता है और फसल उत्पादन में वृद्धि होती है।
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