मनरेगा मजदूरों का पौने तीन करोड़ रुपये मजदूरी का नहीं हुआ भुगतान
Kushinagar News - सुकरौली ब्लॉक में मनरेगा मजदूरों को चार माह से 278.30 लाख रुपये की मजदूरी का भुगतान नहीं हुआ है। ग्राम प्रधान और मजदूर कार्यालय का चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन अधिकारी पैसे की कमी का हवाला दे रहे हैं। साथ...

कुशीनगर। मनरेगा मजदूरों को यदि काम होने के 15 दिन के अन्दर मजदूरी का भुगतान नहीं किया जाता है तो सरकार की तरफ से उन्हें भत्ता दिए जाने का प्रावधान है। लेकिन हालत यह है कि सुकरौली ब्लॉक में चार माह पूर्व कार्य कर चुके मजदूरों की 278.30 लाख रुपये मजदूरी का भुगतान अब तक खाते में नहीं पहुंचने से वे काफी निराश हैं। ग्राम प्रधान एवं मनरेगा मजदूर मजदूरी के लिए कार्यालय का चक्कर लगा रहे हैं। वहीं सामग्री का पिछले तीन वर्ष का लगभग 446.53 लाख रुपये बकाया भुगतान न होने से गांव का विकास प्रभावित हो रहा है।
भुगतान न होने से ग्राम प्रधानों को काफी दिक्कतें हो रही हैं। सुकरौली ब्लॉक में लगभग 18,251 जॉब कार्डधारक हैं। इनमें 12,733 जॉब कार्डधारक सक्रिय हैं। गांव में इन्हें काम मिले, इसके लिए प्रतिवर्ष ग्राम पंचायत द्वारा कार्ययोजना बनाई जाती है। ताकि गांव के जॉब कार्डधारकों को अधिक से अधिक कार्य मिले तथा गांव के गरीब मजदूरों का बाहर पलायन न हो। मनरेगा मजदूरों को काम तो मिल रहा है, लेकिन उनके कार्य का भुगतान समय से नहीं हो पा रहा है। मनरेगा में काम करने के बाद मजदूर सरकारी दफ्तरों का चक्कर लगा रहे हैं। ग्राम प्रधान अधिकारियों के यहां पहुंचकर मजदूरी का भुगतान कराने की मांग कर रहे हैं। अधिकारी पैसा न होने का हवाला देकर पल्ला झाड़ ले रहे हैं। उनका कहना है कि जब तक ऊपर से पैसा नहीं आएगा, तब तक भुगतान करना संभव नहीं है। मौजूदा समय में सुकरौली ब्लॉक के मनरेगा मजदूरों का पिछले चार माह से 278.30 लाख रुपये मजदूरी बकाया है। इसे दिलाने के लिए अधिकारी और सरकार गंभीर नहीं दिख रही हैं। नाम न छापने की शर्त पर एक ग्राम प्रधान ने बताया कि काम कराने के बाद भुगतान के लिए दौड़ रहा हूं। स्थिति यह हो गई है कि मजदूर कार्य करने को तैयार नहीं हैं। वहीं मजदूर सुबह सुबह उनके घर मजदूरी के लिए पहुंच जा रहे हैं। ग्राम प्रधानों को मजदूरों से जलील भी होना पड़ रहा है, जबकि सरकार दावा करती है कि 15 दिन के भीतर मनरेगा मजदूरी का भुगतान न होने पर मजदूरों को भत्ता दिया जाएगा। सरकार ऐसा कहती तो है, लेकिन वह मजदूरों का भुगतान भेजने से परहेज कर रही है। इसका खामियाजा ग्राम प्रधानों एवं मनरेगा मजदूरों को भुगतना पड़ रहा है। सामग्री खर्च का साढ़े चार करोड़ रुपए है बकाया- सुकरौली ब्लॉक में मनरेगा मजदूरों की मजदूरी ही बकाया नहीं है, बल्कि मनरेगा के तहत सड़क, नाली निर्माण में कराए गए कार्यों में लगने वाली सामग्री का भी बड़ा भुगतान लगभग साढ़े चार करोड़ रुपये अटका हुआ है। सरकारी रिकार्ड के अनुसार पिछ्ले तीन वर्ष से सुकरौली ब्लॉक का लगभग साढ़े चार करोड़ रुपये सामग्री का बकाया है। दरअसल, मिट्टी कार्य कराने के बाद ग्राम प्रधानों को 60 और 40 के अनुपात में सामग्री अंश से पक्का निर्माण कार्य कराया जाता है, जिससे खड़ंजा, नाली और अन्य कार्य पर खर्च किया जाता है। सुकरौली ब्लॉक के प्रधानों ने लम्बी रकम सामग्री पर खर्च कर दी है। अब काम कराने के बाद पिछले तीन वर्ष से इसका भुगतान रुक गया है। इससे असहज स्थिति उत्पन्न हो गई है। वहीं ग्राम प्रधानों को काम कराने के बाद मैटेरियल के भुगतान के लिए सामग्री आपूर्तिकर्ता से आए दिन जलील होना पड़ रहा है। मनरेगा मजदूरों की मजदूरी देने की प्रक्रिया पूरी कर ली गई है। जल्द ही शासन से उनके खाते में मनरेगा का भुगतान आने वाला है। राकेश कुमार, डीसी, मनरेगा
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