Lack of Basic Facilities in Mahi Kothilwa Village Kushinagar Residents Demand Immediate Action बोले कुशीनगर:गांव में सड़क-नालियों का हो निर्माण, सफाई कर्मचारियों की बढ़ाई जाएं संख्या, Kushinagar Hindi News - Hindustan
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बोले कुशीनगर:गांव में सड़क-नालियों का हो निर्माण, सफाई कर्मचारियों की बढ़ाई जाएं संख्या

Kushinagar News - कुशीनगर जिले के माघी कोठिलवा गांव में बुनियादी सुविधाओं की कमी है, जैसे खराब सड़कें, जलनिकासी का अभाव, लटकते बिजली के तार, और स्वास्थ्य सेवाओं की कमी। ग्रामीणों ने प्रशासन से समस्याओं के समाधान की...

Newswrap हिन्दुस्तान, कुशीनगरSat, 14 June 2025 04:37 AM
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बोले कुशीनगर:गांव में सड़क-नालियों का हो निर्माण, सफाई कर्मचारियों की बढ़ाई जाएं संख्या

कुशीनगर जिले के विशुनपुरा ब्लॉक के ग्रामसभा माघी कोठिलवा आज भी बुनियादी सुविधाओं से वंचित है। जर्जर सड़कें, जलनिकासी की कमी, लटकते बिजली के तार, खुले में रखे गए ट्रांसफार्मर, खराब पेयजल व्यवस्था और स्वास्थ्य सेवाओं का अभाव यहां के लोगों की रोजमर्रा की मुश्किलें हैं। बरसात में हालात और भी बदतर हो जाते हैं, जब गांव की गलियों में पानी भर जाता है। ग्रामीणों द्वारा लगातार प्रशासन से समस्याओं के समाधान की मांग की जा रही है, लेकिन समाधान की दिशा में अब तक कोई कदम नहीं उठाया जा सका है। ‘हिन्दुस्तान से बातचीत करते हुए गांव के लोगों ने अपनी समस्याओं को साझा किया।

विशुनपुरा ब्लॉक के माघी कोठिलवा गांव की आबादी 15 हजार से अधिक है और 6,500 से अधिक मतदाता है। यह गांव 12 टोलों में बंटा हुआ है, लेकिन बंटवारे के इस नक्शे में गांव का समग्र विकास कहीं खो गया है। यह गांव आज भी मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहा है। गांव की बदहाल सड़कों, जलनिकासी की कमी, बिजली आपूर्ति की जर्जर व्यवस्था और अन्य समस्याएं ग्रामीणों के जीवन को मुश्किल बनाती जा रही हैं। ‘हिन्दुस्तान से बातचीत करते हुए माघी कोठिलवा गांव के लोगों ने कहा कि, गांव के अधिकतर संपर्क मार्ग कच्चे हैं या उबड़-खाबड़ गड्ढों से भरे हुए हैं। गांव में प्रवेश करते ही आपको जगह-जगह गड्ढे और पानी से भरी सड़कें देखने को मिलेंगी। बारिश के दिनों में यह समस्या और गंभीर हो जाती है। कई बार बुजुर्ग, बच्चे और महिलाएं फिसलकर गिर चुके हैं। खासकर विद्यालय जाने वाले बच्चों को बहुत परेशानी उठानी पड़ती है। सड़कें इतनी खराब हैं कि बाइक लेकर भी निकलना खतरे से खाली नहीं है। हर बरसात में यही हाल होता है, लेकिन कोई देखने वाला नहीं है। लोगों ने कहा कि, गांव की एक बड़ी समस्या जलनिकासी की है। सड़कों के किनारे न तो नालियां बनी हैं और न ही कोई स्थायी ड्रेनेज सिस्टम मौजूद है। बारिश के दिनों में बारिश का पानी घरों में घुस जाता है। लोग अपने-अपने साधनों से पानी निकालते हैं, लेकिन यह अस्थायी समाधान है। बरसात में तो हम लोगों का जीना मुहाल हो जाता है। घर से बाहर निकलना मुश्किल, बच्चे बीमार पड़ जाते हैं, लेकिन पंचायत या प्रशासन को कोई चिंता नहीं रहती है। इसके अलावा गांव में बिजली की आपूर्ति तो होती है, लेकिन व्यवस्था बेहद लचर है। कई जगहों पर बिजली के जर्जर तार पेड़ों या लकड़ी के खंभों के सहारे लटक रहे हैं। इससे दुर्घटना का खतरा बना रहता है। गांव के कई हिस्सों में ट्रांसफार्मर खुले में रखे गए हैं, जिनके आसपास कोई बैरिकेडिंग नहीं है। कभी-कभी बच्चे खेलते-खेलते ट्रांसफार्मर के पास चले जाते हैं, जिससे डर बना रहता है कि कोई हादसा न हो जाए। विभाग से कई बार शिकायत की गई, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। आबादी के लिहाज से इस गांव में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र नहीं है। एक एएनएम सेंटर है, जहां सिर्फ टीकाकरण ही हो पाता है। आयुष्मान आरोग्य मंदिर बना है, लेकिन अब तक सीएचओ की तैनाती नहीं हुई है। छोटी-मोटी बीमारियों के लिए गांव के लोगों को पांच से 10 किलोमीटर दूर जाना पड़ता है। गंभीर मामलों में तो समय पर इलाज न मिल पाने से स्थिति और बिगड़ जाती है। अगर किसी को अचानक अस्पताल ले जाना हो तो मुसीबत आ जाती है। लोगों ने कहा कि, पानी की समस्या गांव के कुछ टोलों में गंभीर बनी हुई है। हैंडपंप ही एकमात्र स्रोत हैं, लेकिन कई जगह पानी खारा है। जो सार्वजनिक नल हैं, वे या तो टूटे हुए हैं या वर्षों से खराब पड़े हैं। शिकायतों के बाद भी कोई समाधान नहीं हो सका है। ------ दलित बस्ती में जाने के लिए नहीं है पक्की सड़क : लोगों ने बताया कि माघी कोठिलवा गांव सिर्फ जनसंख्या के लिहाज से ही बड़ा नहीं है, यह सामाजिक और सांस्कृतिक रूप से भी विविधतापूर्ण है। यादव, कुशवाहा, राजभर, मुस्लिम, मुसहर, पासवान, गोंड समेत दर्जनों बिरादरी के लोग यहां रहते हैं। बावजूद इसके, समावेशी विकास की कमी साफ तौर पर नजर आती है। लोगों ने कहा कि, मुन्नीलाल टोले में दलित बस्ती है, लेकिन वहां तक जाने के लिए पक्की सड़क तक नहीं है। कच्ची सड़क से ही लोग आवागमन करते हैं। इसके कारण परेशानी होती है। बरसात के दिनों में तो इस बस्ती के लोगों को घर से बाहर निकलना भी मुश्किल हो जाता है। ग्राम पंचायत के जिम्मेदारों से कई बार शिकायत करने के बाद भी न तो सड़क बन सकी है और न ही नाली का निर्माण हो सका है। ----- खुले में रखा है ट्रांसफार्मर, बरसात में उतर जाता है करंट : ग्रामसभा माघी कोठिलवा के 12 टोलों में से सबसे खराब स्थिति मुन्नी लाल टोले की है। यहां बिजली के तार नीचे लटक रहे हैं। ट्रांसफार्मर पोल पर ही खुले में रखे गए हैं। लोगों का कहना है कि बरसात के दिनों में इस टोले में जब जलभराव होता है तो पोल और ट्रांसफार्मर से करंट उतर जाता है। इसके कारण कई बार लोग करंट की चपेट में भी आ चुके हैं। ग्राम पंचायत से लगायत बिजली विभाग के अधिकारियों से भी तार के नीचे जाली लगवाने और ट्रांसफार्मर को सुरक्षित तरीके से रखने की मांग की गई, लेकिन किसी ने इस तरफ ध्यान नहीं दिया। ---- 2022 में बना था ओवरहेड टैंक, तीन साल शुरू हुई आपूर्ति, काम अधूरा : माघी कोठिलवा गांव में साल 2022 में जल निगम द्वारा शुद्ध पेयजल मुहैया कराने की गरज से ओवरहेड टैंक बनवाया गया था। बनने के तीन साल बाद यानि 2025 में इससे आपूर्ति शुरू हुई। ग्रामीणों का आरोप है कि जल्दबाजी में निर्माण कार्य किए जाने और पाइप लाइन बिछाने के बाद भी 60 फीसदी घरों में कनेक्शन नहीं दिए जाने के कारण आज भी गांव के लोग छोटे हैंडपंपों पर निर्भर हैं। उनकी मांग है कि जल्द से जल्द सभी घरों को पेयजल परियोजना के तहत नि:शुल्क कनेक्शन दिया जाए ताकि लोगों को भी शुद्ध पेयजल मिल सके। ---- 2017 में हैंडपंप रिबोर के दौरान करंट से हुई थी व्यक्ति की मौत : मुन्नीलाल टोले में बिजली के तार काफी नीचे हैं। गांव के लोगों का कहना है कि साल 2017 में गांव निवासी सुदर्शन यादव उम्र 45 वर्ष अपने हैंडपंप रिबोर करा रहे थे। इसी दौरान लोहे का पाइप बिजली के तार से स्पर्श हो गया और करंट की चपेट में आने से सुदर्शन की मौत हो गई। उस वक्त भी गांव के लोगों ने जर्जर तार को बदलने और जाली लगाने की मांग की थी। तब मौके पर आये अधिकारियों ने भी ग्रामीणों को आश्वासन दिया था। मगर, इस घटना के आठ साल गुजर जाने के बाद भी स्थिति जस की तस बनी हुई है। अब तो कई घरों के ऊपर से हाईटेंशन तार गुजर रहा है, जो कभी भी बड़े हादसों को न्योता दे सकता है। ---- आठ से नौ किमी के दायरे में ग्रामसभा, सिर्फ एक सफाईकर्मी : लोगों ने बताया कि माघी कोठिलवा ग्रामसभा आठ से नौ किमी के दायरे में फैला हुआ है। 12 टोले में विभाजित इस ग्रामसभा की साफ-सफाई की जिम्मेदारी मात्र एक सफाई कर्मचारी के कंधे पर है। इस कारण ग्रामसभा में नियमित रूप से साफ-सफाई नहीं होती है। मुन्नीलाल टोले में नालियों के नहीं होने से लोगों के घरों का पानी सड़क पर बहता है या फिर गड्ढा खोदकर उसमें बहाया जाता है। लोगों का कहना है कि सफाई कर्मचारी की संख्या कम से कम पांच होनी चाहिए, लेकिन एक सफाई कर्मी पर पूरे गांव की सफाई व्यवस्था की जिम्मेदारी सौंपी गई है, जो कहीं से भी उचित नहीं है। ---- चार से अधिक प्रमुख सड़कें क्षतिग्रस्त, जिम्मेदार खामोश : माघी कोठिलवा गांव के मुन्नीलाल टोला से चनमन टोला जाने वाली सड़क पूरी तरह क्षतिग्रस्त है। बैरागी टोला से बाजुपट्टी, मुन्नीलाल टोला से किन्नरपट्टी आदि सड़कें भी क्षतिग्रस्त होकर गड्ढों में तब्दील हो चुकी हैं। ग्रामीणों का कहना है कि इन सड़कों के निर्माण को लेकर जिम्मेदारों ने कभी पहल की ही नहीं। इतनी बड़ी आबादी होने के बाद भी आवागमन की सुविधा काफी खराब है। कम से कम इन सड़कों का प्राथमिकता के आधार पर निर्माण कराया जाना चाहिए। साथ ही जलनिकासी की व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए नाला व नालियों का भी निर्माण हो ताकि बरसात के समय लोगों को जलभराव की समस्याओं का सामना न करना पड़े। ---- गांव का खेल मैदान भी उपेक्षित : माघी कोठिलवा ग्रामसभा का खेल मैदान भी उपेक्षित पड़ा है। इस खेल मैदान में न तो ओपन जिम की व्यवस्था है और न ही कोई खेल के उपकरण लगाए गए हैं। युवाओं का कहना है कि यह मिनी स्टेडियम है और जिम्मेदारों की उदासीनता से उपेक्षित पड़ा है। कई बार ओपन जिम और खेलकूद के संसाधन उपलब्ध कराए जाने की मांग की गई, लेकिन किसी ने इस तरफ ध्यान ही नहीं दिया। प्रस्तुति : गंगेश्वर त्रिपाठी/सुनील कुमार मिश्र/भारती यादव ------------------------------------------------------------------------- शिकायतें : 1. गांव के भीतर और बाहर संपर्क मार्गों की हालत बेहद खराब है। बारिश में कीचड़ और गड्ढों से राह गुजरना मुश्किल हो जाता है। 2. जलनिकासी की व्यवस्था नहीं है। गांव में नालियों का अभाव है। बारिश का पानी सड़कों पर भर जाता है। इससे बीमारियां फैलती हैं। 3. कई जगहों पर बिजली के तार पेड़ या लकड़ी के खंभों पर टंगे हैं, जिससे खतरा बना रहता है और ट्रांसफार्मर भी खुले में रखे गए हैं। 4. गांव में पीएचसी नहीं है। बीमार पड़ने पर 5-10 किमी दूर जाना पड़ता है। आयुष्मान आरोग्य मंदिर पर सीएचओ की तैनाती नहीं है। 5. सिर्फ एक सफाईकर्मी पर इतनी बड़ी आबादी और 12 टोले में सफाई की जिम्मेदारी है। गांव में आज तक नियमित सफाई नहीं हुई है। ------------------------------------------------------------------------- सुझाव : 1. सभी टोलों में प्राथमिकता के आधार पर संपर्क मार्गों और अन्य सड़कों का निर्माण किया जाए ताकि आवागमन बेहतर हो सके। 2. ग्रामसभा में नालियों का निर्माण और ड्रेनेज सिस्टम विकसित किया जाए ताकि जलभराव की समस्या से छुटकारा मिल सके। 3. बिजली की सुरक्षा व्यवस्था मजबूत हो। लटकते तारों को सही कर सीमेंट के खंभे लगाए जाएं। ट्रांसफार्मरों के चारों ओर बैरिकेडिंग हो। 4. गांव में पीएचसी खोला जाए या सप्ताह में डॉक्टरों की मोबाइल यूनिट आए। आयुष्मान आरोग्य मंदिर पर सीएचओ की तैनाती हो। 5. आबादी को ध्यान में रखकर इस ग्रामसभा में कम से कम पांच सफाई कर्मचारियों की तैनाती की जाए ताकि सफाई नियमित हो सके। ---------------------------------------------------------------------------- यह दर्द गहरा है। बरसात में घर से निकलना मुश्किल हो जाता है। सड़कों पर पानी भर जाता है और कीचड़ में फिसलकर कई लोग चोटिल हो चुके हैं। -सकलदेव --- बिजली के तार बहुत नीचे लटक रहे हैं। बच्चों को खेलने से रोकना पड़ता है। अगर इसे सही नहीं कराया गया तो कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है। -जगदीश यादव --- हमारे टोले में कोई भी सरकारी हैंडपंप नहीं है। जो निजी लगाए गए हैं, उनमें भी खारा पानी निकलता है। घर-घर पानी के लिए कनेक्शन भी नहीं मिला है। -राधा --- ट्रांसफार्मर के पास कोई घेराबंदी नहीं की गई है। बरसात के दिनों में करंट उतर जाता है। कई बार लोग इसकी चपेट में भी आ चुके हैं। इसे ठीक कराया जाए। -बिट्टू राजभर --- मुन्नीलाल टोले में नाली न होने की वजह से घर का पानी बाहर ही बहाना पड़ता है। इससे गंदगी और मच्छर पनपते हैं। जिम्मेदारों को इस पर ध्यान देना चाहिए। -सुदामा गुप्ता --- सड़कों के निर्माण को लेकर जिम्मेदारों ने प्रयास नहीं किया। इतनी बड़ी आबादी होने के बाद भी आवागमन में परेशानियां झेलनी पड़ती है। -जिउत --- कई जगहों पर बिजली पोल के टेढ़े हो चुके हैं। जब भी हवा चलती है तो डर लगता है कि कहीं पोल गिर न जाए और कोई करंट की चपेट में न आ जाए। -नगीना --- गांव में एक सफाई कर्मचारी की तैनाती है, जो आबादी और क्षेत्रफल के लिहाज से काफी कम है। इससे नियमित साफ-सफाई नहीं हो पाती है। संख्या बढ़ाई जाए। -सुरेंद्र राजभर --- हम लोग अपने घर के आसपास खुद ही साफ-सफाई करते हैं। सफाई कर्मचारियों की संख्या बढ़ाने को लेकर कई बार मांग की गई, लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया। -लक्षन प्रसाद --- गांव में एएनएम सेंटर है, जहां टीकाकरण इत्यादि उससे जुड़ी सेवाएं मिलती है, लेकिन आयुष्मान आरोग्य मंदिर का कोई लाभ नहीं मिलता। सीएचओ तैनात नहीं हैं। -राजेश गुप्ता --- गांव में मिनी स्टेडियम तो बना है, लेकिन इसका फायदा स्थानीय युवाओं को नहीं मिलता है। खेल मैदान उबड़-खाबड़ होने के साथ ही उसमें कोई उपकरण भी नहीं लगे हैं। -रोहित प्रसाद --- 2022 में ओवरहेड टैंक बना और 2025 में उससे आपूर्ति शुरू हुई। गांव के अधिकांश हिस्से में आज भी कनेक्शन नहीं हो सका है। इससे यह परियोजना अधूरी है। -छोटेलाल --- पूरे ग्रामसभा में जलनिकासी की उचित व्यवस्था नहीं है। नालियों का अभाव है। बारिश का पानी सड़कों पर भर जाता है। इससे बीमारियां फैलती हैं। -मधई माघी कोठिलवा गांव की समस्याओं के बारे में जानकारी नहीं थी। अगर वहां मूलभूत सुविधाओं की कमी है तो गांव का स्थलीय निरीक्षण कर उसके समग्र विकास की योजनाएं तैयार की जाएंगी। सफाई कर्मचारियों की संख्या जिले में कम है। जितने सफाई कर्मचारी हैं, उतने से ही काम चलाया जा रहा है। कोशिश होगी कि वहां एक और सफाई कर्मचारी को तैनात किया जाए ताकि नियमित रूप से साफ-सफाई व्यवस्था बनी रहे। सड़क, जलनिकासी और पेयजल की समस्याओं को भी दूर किया जाएगा। -आलोक प्रियदर्शी, डीपीआरओ-कुशीनगर

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