अब प्लेटलेट्स को नहीं लगानी होगी दूसरे जिलों की दौड़
Lakhimpur-khiri News - लखीमपुर में एमसीएच विंग जिला अस्पताल में ब्लड कंपोनेंट सेपरेटर यूनिट शुरू हो गई है। इससे एक साथ चार लोगों की जान बचाई जा सकेगी। यह यूनिट रक्त को अलग-अलग भागों में बांटकर, प्लेटलेट्स, आरबीसी, प्लाज्मा...

लखीमपुर। एमसीएच विंग जिला अस्पताल में पूर्णरूप से ब्लड कंपोनेंट सेपरेटर यूनिट शुरू हो गई है। इस यूनिट के शुरू होने से जिले में अब एक साथ चार लोगों की जान बचाने की बचाई जा सकेगी। मरीजों को प्लेटलेट्स को दौड़ लगानी नहीं पड़ेगी। सीएमएस जिला अस्पताल डॉ. आरके कोली ने बताया कि ब्लड सेपरेटर यूनिट को लगाने के लिए एमसीएच बिल्डिंग में बनी ब्लड बैंक में पहले ही शासन से सभी मशीन भेजी जा चुकी थी। इसे सोमवार से शुरू कर दिया गया। ब्लड डोनेशन के बाद ब्लड सेपरेटर यूनिट से आरबीसी और प्लेटलेट्स सहित क्रायोप्रेसी और प्लाज्मा को अलग-अलग किया जा सकेगा। इससे एक यूनिट ब्लड से चार लोगों की जान बचाई जा सकेगी। अभी तक यह सुविधा जिला अस्पताल में नहीं थी। इस दौरान स्वशासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालय की प्रधानाचार्य डॉ. वाणी गुप्ता, सीएमओ डॉ. संतोष गुप्ता, मुख्य चिकित्सा अधीक्षिका डॉ. ज्योति मेहरोत्रा, रक्त कोष प्रभारी डॉ. संतोष मिश्रा, महंत सिंह, रवि प्रकाश, प्रीति यादव, अमित कुमार, रति वर्मा, कैलाश चंद्र, राम सागर, सुनीता वर्मा कर्मचारी मौजूद रहे।
चार भागों में बांट सुरक्षित रहेगा खून
पीआरबीसी : पैक्ड रेड ब्लड सेल्स को अब तक 35 दिन तक ही सुरक्षित रखा जा सकता था। यूनिट लगने के बाद 42 दिन तक, 2 डिग्री सेंटीग्रेड से 6 डिग्री सेंटीग्रेड पर रखकर सुरक्षित रखा जा सकेगा। एफएफपी- फ्रेल फ्रोजल प्लाजमा- इसको डी फ्रिजर में 30 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान पर रख एक साल तक सुरक्षित रखा जा सकेगा। इसका उपयोग बर्नकेस और हेपेटिक सर्जर में होता है। प्लेटलेट्स- इसको पांच दिन तक 20 से 24 सेंटीग्रेड पर रखकर लगातार इसको हिलाते रहने वाली मशीन में रखकर सुरक्षित रखा जा सकता है। इसका प्रयोग ल्यूकिमा कैंसर, डेंगू, बोनमैरो में आता है। क्राउसीटीपएट- इसको एक साल तक डीप फ्रिजर में 30 सेंटीग्रेड तापमान पर रख सुरक्षित रखा जा सकता है। इसका उपयोग हीमोफीलिया फ्रीब्रारिन जिमीया में काम आता है।
कंपोनेंट सेपरेशन यूनिट
ब्लड में 4 कंपोनेंट होते हैं। इनमें रेड ब्लड सेल (आरबीसी), प्लाज्मा, प्लेटलेट्स और क्रायोप्रेसीपिटेट शामिल हैं। सेपरेशन यूनिट में ब्लड को घुमाया (मथा) जाता है। इससे ब्लड परत दर परत (लेयर बाई लेयर) हो जाता है और आरबीसी, प्लाज्मा, प्लेटलेट्स और क्रायोप्रेसीपिटेट अलग-अलग हो जाते हैं। जरूरत के मुताबिक इनको निकाल लिया जाता है। एक यूनिट 3 से 4 लोगों की जरूरत पूरी कर सकती है।
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