मानव तस्करों को चकमा देकर भागी किशोरी, घर के काम करवाते, करते थे शोषण
- आगरा में चंद रुपयों की खातिर जगदीशपुरा क्षेत्र की 15 वर्षीय किशोरी को एक महिला ने कोटा के मानव तस्करों को बेच दिया था। कोटा में उससे घरेलू काम कराया गया। शारीरिक शोषण किया गया। लगातार शोषण से तंग आकर किशोरी मौका पाकर छत से कूदकर भाग निकली और पुलिस के पास जा पहुंची।

आगरा में चंद रुपयों की खातिर जगदीशपुरा क्षेत्र की 15 वर्षीय किशोरी को एक महिला ने कोटा के मानव तस्करों को बेच दिया था। कोटा में उससे घरेलू काम कराया गया। शारीरिक शोषण किया गया। लगातार शोषण से तंग आकर किशोरी मौका पाकर छत से कूदकर भाग निकली और पुलिस के पास जा पहुंची। 62 दिन बाद आखिरकार आगरा पुलिस किशोरी को आगरा ले आई। यहां माता पिता से लिपटकर किशोरी फूट-फूटकर रोई और खुद पर हुए जुल्मों की दास्तां सुनाई। दरअसल दो महीने पहले जगदीशपुरा क्षेत्र की एक 15 वर्षीय किशोरी को एक महिला जॉब दिलाने के बहाने गुरुद्वारा के पास एक होटल में ले गई।
उम्र संबंधी फर्जी दस्तावेज तैयार करके चार लोगों को 3.70 लाख रुपए में बेच दिया। कोटा में उससे घरेलू काम कराया गया। शारीरिक शोषण किया गया। लगातार शोषण से तंग आकर किशोरी मौका पाकर छत से कूदकर भाग निकली और कैतुन थाना जा पहुंची। पुलिस ने आरोपी को पकड़ लिया, लेकिन बाद में छोड़ दिया। किशोरी को बालिका गृह में निरुद्ध क करा दिया। बाल कल्याण समिति ने आगरा पुलिस को कोटा बुलाकर पुलिस के सुपुर्द कर दिया। शुक्रवार को मेडिकल कराया गया। शनिवार को कोर्ट में बयान दर्ज कराकर परिजनों के सुपुर्द कर दिया जाएगा।
आगरा-कोटा के बीच फुटबॉल बने परिजन
परिजनों ने थाना जगदीशपुरा में मुकदमा दर्ज करा दिया। 14 फरवरी को कोटा बाल कल्याण समिति द्वारा परिजनों को सूचना दी गई जिस पर पुलिस के साथ परिजन कोटा पहुंचे। कहां गया कि मुकदमा दर्ज होने के बाद किशोरी सुपुर्द की जाएगी। परिजन लौट आए। उन्होंने चाइल्ड राइट्स एक्टिविस्ट नरेश पारस से मदद मांगी। वह परिजनों को लेकर कोटा पहुंचे। बाल कल्याण समिति, पुलिस और न्यायालय में किशोरी का पक्ष रखा। उन्होंने मुकदमा दर्ज कराने के बाद किशोरी को आगरा भिजवाने को कहा लेकिन मुकदमा दर्ज नहीं कराया। लगातार पैरवी के बाद कोटा बाल कल्याण समिति ने आगरा पुलिस को कोटा बुलाकर पुलिस के सुपुर्द कर दिया।