खीरी की मिट्टी में कम हो रही है कार्बन की मात्रा, कृषि वैज्ञानिक चिन्तित
Lakhimpur-khiri News - खीरी जिले की मिट्टी की सेहत खराब हो रही है, जिसमें कार्बन की मात्रा घट रही है। रासायनिक खादों के अधिक उपयोग से यह समस्या बढ़ रही है। कृषि विभाग ने किसानों से हरी और गोबर की खाद का इस्तेमाल करने की...

तराई के खीरी जिले की मिट्टी की सेहत खराब हो रही है। मिट्टी में कार्बन की मात्रा लगातार घट रही है। इसका सबसे बड़ा कारण रासायनिक खादों का अंधाधुंध प्रयोग है। अगर इसका उपचार नहीं किया गया तो उत्पादन पर इसका असर पड़ेगा। मिट्टी की जांच रिपोर्ट आने के बाद कृषि विभाग के अधिकारी, कृषि वैज्ञानिक चिन्तित हैं। किसानों से सम्पर्क करके हरी व गोबर की खाद मिट्टी में मिलाने की अपील की जा रही है जिससे मिट्टी की सेहत सुधर सके। मिट्टी की सेहत की जांच (मृदा परीक्षण) के लिए 150 गांवों से प्रति गांव 10-10 खेतों से मिट्टी के सैम्पल भरकर प्रयोगशाला में जांच की गई। जांच रिपोर्ट आने के बाद विभाग के अधिकारी चिन्तित हो गए। मिट्टी में कार्बन की मात्रा काफी कम आई है। उपकृषि निदेशक, कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि ज्यादा उत्पादन लेने के लिए किसान रासायनिक खादों का अंधाधुंध प्रयोग कर रहे हैं। इससे लागत बढ़ती है साथ ही मिट्टी की सेहत खराब हो रही है। इसका असर आने वाले दिनों में उत्पादन प पड़ेगा। उपकृषि निदेशक अरविन्द मोहन मिश्रा का कहना है कि किसानों को लगातार जागरूक किया जा रहा है। खेतों में हरी खाद, गोबर की खाद डालने और रासायनिक खादों का प्रयोग कम करने, सहफसली खेती को प्रेरित किया जा रहा है। जिससे मिट्टी में कार्बन की मात्रा बढ़ सके। उन्होंने बताया कि किसान एक खेत में एक बार रासायनिक की जगह गोबर की खाद डालें। अगली बार दूसरे खेत में इसी तरह करें। इसके अलावा देशी अनाज का उत्पादन करें।
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अति न्यून है कार्बन की मात्रा, करें सुधार
-उपकृषि निदेशक ने बताया कि मिट्टी में कार्बन की मात्रा दशमलव पांच से आठ के बीच होनी चाहिए। दशमलव आठ अच्छा रहता है। इससे कम होने पर न्यून श्रेणी आती है। जिले में मिट्टी की जांच के जो नतीजे आए हैं उनमें कार्बन की मात्रा दशमल दो तक आ रही है, जो अति न्यून की श्रेणी में है। उपकृषि निदेशक का कहना है कि मिट्टी में कार्बन की मात्रा बढ़ाने के लिए हरी खाद व गोबर की खाद जरूर डालें।
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