होली और रमजान पर बहस के बीच रिजवान ने अपनी जमीन पर हनुमान मंदिर को संवारा, कल से पूजा शुरू
- लखनऊ के वकील रिजवान अहमद को फार्म हाउस के लिए खरीदी जमीन पर एक 75 साल पुराना जर्जर हनुमान मंदिर मिला। कुछ लोगों की मदद से रिजवान ने मंदिर को सजाया-संवारा है।

होली और रमजान के बीच भाईचारे की मिसाल पेश की है लखनऊ के एक राजनीतिक विश्लेषक और अधिवक्ता मोहम्मद रिजवान अहमद ने। बाराबंकी जनपद के हैदरगढ़ में रिजवान अहमद ने फार्म हाउस के लिए एक जमीन खरीदा, जहां उन्हें एक जर्जर हनुमान मंदिर मिला। उन्होंने अपनी जमीन पर इस मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया है। भव्य द्वार भी बनकर तैयार हैं। 11 मार्च को पूजा-अर्चना के बाद मंदिर का नए सिरे से लोकार्पण होगा। इस तरह की खबरें तब सौहार्द और शांति में भरोसा बढ़ाती हैं, जब होली और जुमे की नमाज को लेकर बयानबाजी की होड़ लगी हो।
मंदिर के पुराने धार्मिक अवशेषों को सम्मान के साथ ज्यों का त्यों रखा गया है। उसके चारों ओर नए मंदिर का निर्माण किया गया है। मूर्ति प्राचीन समय से ही प्राण प्रतिष्ठित है इसलिए मंगलवार से उसमें पूजा-पाठ दोबारा शुरू करवाया जाएगा।
गोमती नगर के विवेक खंड में रहने वाले सैयद रिजवान अहमद ने ‘हिन्दुस्तान’ को बताया कि एक साल पहले बाराबंकी के हैदरगढ़ में मकनपुर-मौलाबाद मार्ग पर उन्होंने तीन बीघा जमीन खरीदी थी। यहां उनको फार्म हाउस बनाना था। इसी जमीन पर बने एक टीले पर वो जब एक दिन गए तो देखा कि वहां एक प्राचीन निर्माण है जो पूरी तरह जंगली पौधों और झाड़ियों से ढकी थी। नजदीक से देखने पर रिजवान को पता चला कि वह एक मंदिर है। बहुत प्राचीन पत्थर पर साधारण तरीके से तराशी बजरंग बली की मूर्ति स्थापित थी, जो मंदिर की जर्जरता के बाद भी ठीक थी।
बड़े-बूढ़ों से जानकारी हासिल ली तो पता चला कि 75 साल पुराना है मंदिर
रिजवान ने वहां के बड़े-बूढ़ों से इस मंदिर के बारे में जानकारी हासिल की तो पता चला कि करीब 75 वर्ष पूर्व मंझार निवासी रामजानकी देवी ने जमीन मंदिर को दान देकर मूर्ति की स्थापना की थी। उनके स्वर्गवास के बाद मंदिर की उपेक्षा होती रही। आबादी दूर थी, इसलिए देखरेख के अभाव में मंदिर जर्जर होने लगा। लोगों ने भी यहां आना बंद कर दिया।
मंदिर में ही जीर्णोद्धार का संकल्प लिया
रिजवान ने बताया कि मंदिर का इतिहास सुनकर उन्होंने वहीं संकल्प लिया कि बजरगं बली और श्रीराम-जानकी का आर्शीवाद रहा तो मंदिर का जीर्णोद्धार और विस्तार कराएंगे। अब मंदिर ठीक से बनकर तैयार है। मंदिर तक जाने के लिए मकनपुर-मौलाबाद मुख्य मार्ग पर बजरंग गढ़ी द्वार का निर्माण भी किया गया है। मंदिर निर्माण में रिजवान को बेंगलुरु में रहने वाली उषा शरण और डॉक्टर पंकज मेहरोत्रा से भी मदद मिली है। 11 मार्च को मंदिर में पूजा-अर्चना होगी। इसके बाद प्रसाद वितरण और वृक्षारोपण भी होगा। बजरंग गढ़ी द्वार के पास मैदान में एक मेला लगेगा।
पहले ऐसी थी मंदिर की हालत

अब इस तरह दिख रहा है मंदिर
