मजदूर पंचायत में उठी चारों श्रम संहिता रद्द किए जाने की मांग
Lucknow News - सीटू के आह्वान पर असंगठित क्षेत्र के संगठनों ने मजदूर पंचायत का आयोजन किया। नेताओं ने न्यूनतम वेतन 26 हजार रुपए, आठ घंटे काम, स्कीम वर्कर्स को राज्य कर्मचारी घोषित करने और चारों श्रम संहिताओं के रद्द...

सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियंस (सीटू) के आह्वान पर सोमवार को असंगठित क्षेत्र के संगठनों व यूनियनों ने ईको गार्डेन में मजदूर पंचायत का आयोजन कर धरना दिया। इस दौरान नेताओं ने न्यूनतम वेतन 26 हजार रुपए प्रतिमाह दिए जाने, काम के आठ घंटे निर्धारित करने, स्कीम वर्कर्स को राज्य कर्मचारी घोषित किए जाने और चारों श्रम संहिता रद्द किए जाने की मांगों को रखा। सीटू के राष्ट्रीय महामंत्री व पूर्व सांसद तपन सेन ने कहा कि 29 श्रम कानूनों को बदलकर चार श्रम संहिता बनायी गई है। इन श्रम संहिताओं के जरिए मजदूरों के पक्ष के कानूनों को कमजोर किया गया है। मालिकों के पक्ष में इसे मजबूत किया गया है। उन्होंने चारों श्रम संहिता रद्द किए जाने की मांग की।
राष्ट्रीय सचिव केएन उमेश ने कहा कि विकास के मौजूदा रास्ते पर रोजगार का सृजन नहीं हो रहा है। रोजगार में लगे लोग बेरोजगार हो रहे है। सरकार की आर्थिक नीतियों के कारण दिन प्रति दिन मजदूर, किसान व आम जनता की क्रयशक्ति कमजोर हो रही है। इस दौरान श्रम संहिता को रद्द किए जाने समेत अन्य मांगों को लेकर 20 मई को प्रस्तवित आम हड़ताल का समर्थन किया गया। पंचायत को उत्तर प्रदेश किसान सभा के महामंत्री मुकुट सिंह, अखिल भारतीय खेत मजदूर यूनियन के महामंत्री बीएल भारती, सीटू के यूपी उपाध्यक्ष सुरेन्द्र सिंह, प्रेमनाथ राय, रवि मिश्रा, विमेश मिश्रा, बीना गुप्ता, शशि सिंह, विकास स्वरूप, राजीव निगम, अमर सिंह शाक्य समेत अन्य नेताओं ने संबोधित किया।
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