प्रो. नैय्यर मसूद उर्दू और फारसी दोनो जबानों के आलिम
Lucknow News - लखनऊ में प्रो. नैयर मसूद, प्रसिद्ध उर्दू लेखक, पर चर्चा की गई। उनके मोनोग्राफ का विमोचन साहित्य अकादमी दिल्ली ने किया। विद्वानों ने उनकी कहानियों की संवेदनशीलता और रोजमर्रा की भावनाओं का बखान किया।...

लखनऊ, कार्यालय संवाददाता प्रो.नैयर मसूद एक प्रसिद्ध उर्दू लेखक थे और उनकी मन को छूने वाली कहानियां वास्तविक जीवन के अनुभवों और सामाजिक मुद्दों पर केंद्रित होती थीं। उस्लूब आर्गनाइजेशन की ओर से हिन्दी संस्थान के निराला सभागार में ये निष्कर्ष प्रसिद्ध उर्दू कथाकार प्रो.नैयर मसूद के मोनोग्राफ और उनके व्यक्तित्व और कृतित्व पर चली पर चर्चा में उर्दू विद्वानों ने रखे। साहित्य अकादमी दिल्ली ने हाल में ही प्रो.मसूद पर कानपुर के उर्दू विद्वान शुएब निजाम के लिखे मोनोग्राफ का विमोचन भी यहां हुआ। मुख्य अतिथि के तौर पर पूर्व प्रशासनिक अधिकारी डा.अनीस अंसारी ने हिंदी उर्दू भाषाओं को बढ़ाने की बात करते हुए कहा कि प्रो. नैयर मसूद अधिकांश कहानियां रोजमर्रा की भावनाओं और संवेदनाओं का जीवंत विवरण देती हैं।
अध्यक्षता कर रहे लखनऊ विश्वविद्यालय के पूर्व उर्दू विभागाध्यक्ष डा.अनीस अश्फाक ने उन्हें निहायत संवेदनशील व्यक्तित्व वाला लेखक बताया। उन्होने कहा कि उनके दौर में उर्दू साहित्य अपने उत्कर्ष पर था। उनकी पहली कहानी छपकर आई थी और उसकी ताजगी ने उर्दू साहित्य जगत में हलचल मचायी थी। मानवीय संवेदनाओं को पेश करने के साथ किसी खास मुद्दे या विषय के लिए कैसी भाषा उपयुक्त रहेगी, इसपर नैय्यर मसूद की गहरी रचनात्मक पकड़ थी। विषय प्रवर्तन करते हुए शुएब निजाम ने प्रो.नैयर मसूद को उर्दू और फारसी दोनों जबानों का आलिम बताया। उन्होंने कहा कि प्रो.मसूद की बुनियादी पहचान अफसानानिगार की है। कुछ लोगों ने उन्हें उर्दू के सबसे बड़ा कथाकार कहा है। उनके अफसाने प्रेमचन्द से अब तक जो अफसाने उर्दू में लिखे गये हैं, उन से बिल्कुल अलग शैली में हैं। इन अफसानों की फिजा ख्वाब की सी होती है। उर्दू विद्वान शकील सिद्दीकी ने कहा कि उर्दू के अग्रणी लेखकों में से एक नैयर मसूद को पुराने लखनऊ के बेहतरीन चित्रण के लिए जाना जाता है। प्रो.परवीन शुजाअत ने उन्हें उर्दू की चार प्रसिद्ध कथा संग्रहों का रचयिता बताते हुए कहा कि उनकी कहानियों में रवानी के संग ऐसी बेतहाशा ताजगी भरी होती थीं कि वे पढ़ने पर अपरिचित, असहज और बहुत से मायनों में नई लगती हैं। इस मौक पर प्रो. नैय्यर मसूद के पुत्र डा. तिम्साल मसूद, डा. हारून रशीद, शाहिद अख्तर, प्रो.सबीहा फातिमा, समीना खान, डा. बुशरा, रिजवाना परवीन और मोहसिन किदवाई समेत अन्य वक्ताओं ने अपनी बात रखते हुए मसूद की रची मूरासिला, वक्फा, ताऊस चमन की मैना, गंजिफा, सासान ए अंजुम, शीशा घाट, पाक नामों वाला पत्थर, बाई के मातमदार के संग अल्लाम और बेटा जैसी चर्चित कहानियों और उनकी विशेषताओं का जिक्र किया।
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