कृषि विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की कमी पूरी करेंगे पीएचडी छात्र
Lucknow News - उत्तर प्रदेश के सभी सरकारी कृषि विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की कमी को पूरा करने के लिए पीएचडी के छात्रों को टीचिंग असिस्टेंटशिप दी जाएगी। प्रति लेक्चर 500 रुपये और अधिकतम 15000 रुपये प्रति माह का...

लखनऊ, प्रमुख संवाददाता। प्रदेश के सभी सरकारी कृषि विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की कमी को पीएचडी के विद्यार्थियों से पूरी की जाएगी। सरकार कृषि विश्वविद्यालय में स्नातक के छात्र-छात्राओं के नियमित शिक्षण कार्य के लिए पीएचडी के विद्यार्थियों की सेवा लेने पर विचार कर रही है। इसके तहत पीएचडी के विद्यार्थियों को टीचिंग असिस्टेंटशिप का अवसर दिया जाएगा। बदले में मानदेय के रूप में विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से टीचिंग असिस्टेंटशिप के लिए पीएचडी विद्यार्थियों को प्रति लेक्चर 500 रुपये एवं अधिकतम 15000 रुपये प्रतिमाह तक का भुगतान किया जाएगा। प्रदेश के कृषि विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की भारी कमी है। कृषि शिक्षा विभाग के आंकड़े के अनुसार कृषि विश्वविद्यालयों में करीब 50 फीसदी से अधिक शिक्षकों के पद खाली पड़े हैं। तकनीकी कारणों से इन्हें तत्काल नहीं भरा जा सकता। ऐसे में सभी विश्वविद्यालयों में शिक्षण कार्यों पर इसका खासा असर पड़ रहा है। इसे देखते हुए उत्तर प्रदेश कृषि अनुसंधान परिषद (उपकार) की संस्तुति पर सरकार ने कृषि विश्वविद्यालयों में शिक्षण कार्य को सुचारू रखने के लिए उसी विश्वविद्यालय में पीएचडी कर रहे विद्यार्थियों की सेवा लेने का निर्णय किया है। जल्द ही इस बारे में शासन की ओर से आदेश जारी किए जाएंगे। बताया जाता है कि शिक्षण कार्य में सहयोग करने वाले पीएचडी के छात्र-छात्राओं को कक्षाओं में पढ़ाने के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से मानदेय का प्रावधान किया जा रहा है।
बदलते परिदृश्य में कृषि शिक्षा की नई पद्धति पर है सरकार का जोर
कृषि क्षेत्र की तेजी से बदलते परिदृश्य को देखते हुए शिक्षण कार्य में नवाचार को बढ़ावा दिए जाने के उद्देश्य से भी नई पीढ़ी के इन पीएचडी छात्र-छात्राओं से सरकार की कुछ ज्यादा ही अपेक्षाएं बताई जा रही है। यही कारण है कि सरकार क्वालिटी प्रोसेस को कोर्स में शामिल करने की तैयारी में है। इसके तहत रोजगार परक कृषि शिक्षा शुरू करने से लेकर फार्मर्स फीडबैक, टेक्नालॉजी एडॉप्सन, क्षेत्र विस्तार, बौद्धिक सम्पदा विकास मसलन, कापीराईट, पेटेंट, भौगोलिक संकेतांक, ट्रेड मार्क, डिजाइन तथा प्रजाति संरक्षण इत्यादि की पूरी शिक्षा स्नातक के विद्यार्थियों को देने की तैयारी में है जिसमें पीएचडी के छात्र-छात्राएं बेहतर प्रर्दशन कर सकते हैं क्योंकि हाईटेक होती जा रही कृषि क्षेत्र में वैश्विक पटल पर ऑनलाइन माध्यम से कदमताल करने की क्षमता फिलहाल उच्च शिक्षा में पारंगत इन विद्यार्थियों में ही माना जा रहा है।
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