नेपाल सीमा पर पनप रहे नव धनाढ्य राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा: योगी
Lucknow News - मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि 2017 से पहले वनटांगिया और थारू जनजातियों को कोई अधिकार नहीं था। सरकार बनने के बाद इन जनजातियों को वोटिंग, राशन कार्ड, और अन्य सुविधाएं प्रदान की गईं। उन्होंने...

-वर्ष 2017 से पहले वनटांगिया और थारू जनजाति को वोट का अधिकार तक नहीं था -कुछ मिशनरी और वामपंथी कर रहे थे जनजातीय समाज का ब्रेनवॉश : योगी
-थारू, मुसहर, कोल, गोंड, समेत सभी जनजातियों को उपलब्ध कराई हर सुविधा
-2017 से पहले जन जातियों को नहीं थे वोटिंग राइट, न राशन कार्ड और न कनेक्टिविटी
-श्री गुरु गोरखनाथ स्वास्थ्य सेवा यात्रा बनी भारत-नेपाल सीमा पर विश्वास का माध्यम
-राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले और सीएम ने किया दीप प्रज्ज्वलन
-गोरक्ष-अवध प्रांत के कार्यकर्ताओं को सीएम ने किया सम्मानित, जताया आभार
लखनऊ, विशेष संवाददाता
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि वर्ष 2017 से पहले वनटांगिया व थारू जनजातियों को कोई भी अधिकार नहीं थे। जब तक प्रदेश में भाजपा सरकार नहीं बनी तब तक जनजातियों को कोई अधिकार ही नहीं मिला। चाहे वोट का अधिकार हो या फिर राशन कार्ड या मकान या फिर आयुष्मान कार्ड। सरकार बनने के बाद भारत-नेपाल सीमा पर बसे करीब 54 गांवों को पहले बार राजस्व गांव घोषित किया। उन्होंने कहा कि एक ओर थारू व वनटांगिया जनजातियों की गरीबी चिंता का विषय है वहीं सीमा पर पनप रहे नव धनाड्य राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा हैं।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सोमवार को गुरु गोरखनाथ स्वास्थ्य सेवा यात्रा के पांचवें सम्मान समारोह में बोल रहे थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि वनटांगिया को वर्ष 1905 से लेकर वर्ष 1920 के बीच में महाराजगंज, सिद्धार्थनगर, गोंडा. बहराइच व लखीमपुरखीरी में तराई के क्षेत्र में जंगल लगाने का काम ब्रिटिश सरकार ने दिया। कहा तुम जंगल बसाओ, जंगल लगाओ तुम्हें खेती के लिए जमीन देंगे। वनटांगिया के 54-55 गांवों को 1947 से लेकर वर्ष 2017 तक जब तक भाजपा की सरकार नहीं बन गई, तब तक कोई भी अधिकार नहीं प्राप्त था। न वोटिंग हक, न कनेक्टेविटी, न राशन कार्ड न मकान..। वर्ष 2017 में सरकार बनी तो हमने उनके बारे में सोचा। पुलिस व वन विभाग के लोग उनका शोषण करते थे। उनके बीच में कुछ मिशनरी से जुड़े और कुछ वामपंथियों ने उनका ब्रेनवाश करना शुरू कर दिया था। योगी ने कहा कि हमारी सरकार ने ही सबसे पहले राजस्व गांव के रूप में मान्यता दी है। 54 गांवों में आज सभी सुविधाओं से आच्छादित हैं। उन्हें वोटिंग के अधिकार दिए गए। कुछ लोगों को वर्ष 2022 व कुछ को 2024 में वोट का अधिकार मिला। उनके पास बिजली भी है। एक भी पक्का घर नहीं था। तालाब का पानी पीने को मजबूर थे। कोई बिजली नहीं, आंगनबाड़ी नहीं आज सभी के पास मकान हैं। सभी के पास बिजली हैं। सभी के लिए पेयजल आंगनबाड़ी केंद्र व बेसिक शिक्षा के स्कूल खोले गए हैं। पेंशन मिलनी शुरू हुई है, आयुष्मान कार्ड व राशन कार्ड दिए गए हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत में यात्राओं की लंबी श्रंखला रही है। यह यात्रा भारत की ऋषि परंपरा ने भारत को जोड़ने के लिए शुरू की थी। पूरा भारत आदिकाल से एक सांस्कृतिक इकाई के रूप में रहा है। केरल में जन्मे आदि शंकराचार्य ने देश को जोड़ने के लिए शंकर दिग्विजय यात्रा की थी। यह धार्मिक यात्राएं अलग-अलग क्षेत्रों में निकल कर लोगों की चेतना को जागरूक करने और समाज को एकता के सूत्र में बांधने का कार्य करती रही हैं। अनेक विघ्न बाधाएं होने के बावजूद इन धार्मिक यात्राओं पर प्रतिबंध लगाने का कोई दुस्साहस नहीं करता था। इन यात्राओं ने भारत को एकसूत्र में बांधने का काम किया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत और नेपाल के सीमावर्ती क्षेत्रों में उन्हें एकता के साथ जोड़ने का अभिनव प्रयास नेशनल मेडिकोज़ आर्गेनाइजेशन ने लखनऊ में शुरू किया। वर्ष 2019 में जब यात्रा प्रारंभ हुई तो लोगों में उमंग थी कि कैसे होगा। प्रो. एमएलबी भट्ट केजीएमयू के वीसी हुआ करते थे। उनसे हमने कहा कि बलरामपुर सदैव अटल बिहारी वाजपेयी की कर्मभूमि रही है। वहां के लोगों के मन में अटल बिहारी वाजपेयी के प्रति आत्मीय लगाव है। क्या केजीएमयू का सेटेलाइट सेंटर हम बलरामपुर में बना सकते हैं। उस दौरान जब सीमा क्षेत्र की बातें सामने आईं तो भारतीय स्वयं सेवक संघ के नेतृत्व में एनएमओ ने इस यात्रा को महाराजगंज से लखीमपुर तक के विस्तृत क्षेत्र में निकालने का काम शुरू किया। इन इलाकों में थारू जनजाति भारत व नेपाल दोनों में हैं। एक ओर उनकी गरीब और बदहाली चुनौती है और वहां पर बढ़ रहे कुछ इलाके और नेपाल सीमा के नव धनाढ्य अपने आप में चुनौती हैं। राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर चुनौती हैं।
सभी जनजातियों को देने का प्रण लिया
मुख्यमंत्री ने कहा कि जब गुरु गोरखनाथ सेवा न्याय द्वारा सेवा शुरू की गई तो थारू के बारे में भी यही स्थिति मिली। तभी हमने मुस्हर, कोल, गोड़, रुकसा, सभी जनजातियों को सुविधाएं देने का प्रण लिया। तय किया कि जमीन का पट्टा देंगे। वर्ष 2017 से पहले भूख से मौतें होती थीं। हमें आभार व्यक्त करना चाहिए, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का, नाना जी देशमुख और मेरे गुरु महंत अवेद्यनाथ जी का...जिन्होंने थारू जनजाति के बच्चों की शिक्षा के लिए स्कूल शुरू किया।
मुख्यमंत्री ने एक किस्से का जिक्र करते हुए कहा कि वर्ष 2007 में कृष्णानगर में भीषण संघर्ष चल रहा था तो मैंने सिद्धार्थनगर में हिन्दू महासभा के एक पदाधिकारी को फोन किया। वहां मदेसियों और माओवादियों में भीषण संघर्ष चल रहा था। काफी संख्या में हत्याएं हुई थीं। तब मैंने बलरामपुर जिले के इमलिया कोडर में कार्यक्रम बनाया और थारू लोगों से जुड़े लोगों से संपर्क-संवाद करने का प्रयास किया, तो वहां थारू जनजाति के लोगों ने कहा कि हम पहले भारतीय हैं और उन्होंने नानाजी देशमुख की संस्था दीनदयाल संस्थान की सराहना की थी। बलरामपुर में रात्रि निवास करना, उन लोगों को दवा की उपलब्धता कराना यह असंभव सा था, लेकिन यह यात्रा चलती रही और लोगों को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करती रही। यात्रा ने इनसेफेलाइटिस के प्रति लोगों को जागरूक किया। कहा कि बीमारी होते हैं तो उपचार करो, ज्यादातर चर्म रोग होते हैं। पौष्टिक आहार न मिलने के कारण टीबी की समस्या होती है। खानपान सही न होने के कारण विकृतियां आती है, इसके प्रति जागरूक किया गया। उन्होंने कहा कि यात्रा भारत की मुख्य धारा के साथ जोड़ने का एक अभिनंदनीय प्रयास है। मैं भरोसा करता हूं कि एनएमओ ऐसे ही अपनी यात्रा जारी रखेगा।
कार्यकर्ताओं का सम्मान, भविष्य का संकल्प
समारोह के अंत में सीएम योगी ने यात्रा से जुड़े सभी स्वयंसेवकों, पदाधिकारियों और सेवा न्यास को धन्यवाद देते हुए कहा कि यह यात्रा केवल स्वास्थ्य सेवा नहीं, बल्कि राष्ट्र निर्माण और सामाजिक एकात्मता की यात्रा है। यह हमें जगतगुरु शंकराचार्य की याद दिलाती है। जब यात्राओं के माध्यम से जनजागरण का कार्य हुआ करता था। आज यह कार्य भारत-नेपाल सीमा पर हो रहा है। यह यात्रा चलती रहनी चाहिए और सबका अभिनंदन होना चाहिए।
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