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बोले मैनपुरी: जिंदगी जीने को विकास और पर्यावरण में संतुलन जरूरी

Mainpuri News - मैनपुरी। हर साल 5 जून विश्व पर्यावरण दिवस के रूप में मनाया जाता है, लेकिन क्या यह सिर्फ एक दिन की रस्म अदायगी बनकर रह गया है।

Newswrap हिन्दुस्तान, मैनपुरीThu, 5 June 2025 06:33 PM
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बोले मैनपुरी: जिंदगी जीने को विकास और पर्यावरण में संतुलन जरूरी

हर साल 5 जून विश्व पर्यावरण दिवस के रूप में मनाया जाता है, लेकिन क्या यह सिर्फ एक दिन की रस्म अदायगी बनकर रह गया है। यह दिन हमें प्रकृति के महत्व की याद दिलाता है, लेकिन जिन मुद्दों पर ध्यान देना चाहिए वे साल दर साल गंभीर होते जा रहे हैं। शहरों की चकाचौंध, नित बढ़ते निर्माण और विकास की दौड़ में हम अपने सबसे बड़े जीवनदाता प्रकृति और हरियाली को पीछे छोड़ते जा रहे हैं। वहीं वन विभाग में हरियाली बनाए रचाने पर कोई ध्यान नहीं दे रहा है। हिन्दुस्तान के बोले मैनपुरी संवाद में शहर के लोगों ने शहर से समाप्त हो रही हरियाली पर अपना दर्द व्यक्त किया और सरकार व जिला प्रशासन से पर्यावरण संतुलन बनाए रखने की मांग की।

आज जब हम पर्यावरण दिवस मना रहे हैं, तो यह सवाल करना बेहद जरूरी है कि क्या वास्तव में हम पर्यावरण के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को निभा रहे हैं या सिर्फ औपचारिकताएं पूरी कर रहे हैं। विकास कोई बुरी चीज नहीं है, लेकिन इसका अर्थ हरियाली की बलि नहीं होनी चाहिए। वर्तमान समय में सड़कों के चौड़ीकरण, नई कॉलोनियों के निर्माण, और उद्योगों की स्थापना के नाम पर हरे-भरे पेड़ों की अंधाधुंध कटाई हो रही है। यह बेहद दुखद बात है। क्योंकि 100 साल से अधिक पुराने पीपल, बरगद और नीम जैसे छायादार पेड़ भी बिना सोचे-समझे काटे जा रहे हैं। इन पेड़ों ने न केवल कई पीढ़ियों को छाया और प्राणवायु दी है, बल्कि वे हमारे सामाजिक और सांस्कृतिक जीवन का भी अभिन्न हिस्सा रहे हैं। ऐसी अंधी विकास नीति पर सवाल उठना स्वाभाविक है। पर्यावरण संरक्षण सिर्फ सरकारी नीति नहीं, जन-आंदोलन होना चाहिए। लेकिन आज पौधारोपण अभियानों में आम जनता की भागीदारी न्यूनतम है। कई बार सिर्फ औपचारिक कार्यक्रम कर फोटो खिंचवाओ और भूल जाओ वाली नीति अपनाई जाती है। यही वजह है कि पौधारोपण के बाद उन पौधों की देखभाल नहीं होती और वे कुछ ही महीनों में सूख जाते हैं। वन विभाग का काम पर्यावरण को संजोकर रखना है, लेकिन लोगों की शिकायत है कि छायादार और धार्मिक महत्व वाले वृक्षों की जगह अब इमारती लकड़ी देने वाले पेड़ लगाए जा रहे हैं। विशेष रूप से पीपल और बरगद जैसे वृक्ष अब वृक्षारोपण योजनाओं में नदारद हैं। वहीं जनपद की सड़कों और सार्वजनिक स्थलों पर हरियाली न के बराबर है। वन विभाग द्वारा वृक्षों को काटने से पहले आमजन को जानकारी नहीं दी जाती और न ही वैकल्पिक व्यवस्था की जाती है। यदि पेड़ को शिफ्ट किया जा सकता है तो उस दिशा में कदम क्यों नहीं उठाए जाते? बोले लोग पर्यावरण संरक्षण करने के लिए लोग घरों के बाहर व छतों पर हरियाली लगाते हैं। मगर रोड के किनारे लगे कई वर्ष पुराने पेड़ों का कटान देखकर कोई सवाल नहीं उठाता है कि इतने पेड़ आखिर क्यों काटे जा रहे हैं। -अमर सिंह जनपद में जो भी विकास कार्य हो रहा है। वह जरूरी है लेकिन उसके चक्कर में इन हरे पेड़ों को नुकसान नहीं पहुंचाया जाए। हमारे बड़े बुजुर्गों ने काफी सोच समझकर पेड़ लगाए थे। अब पेड़ कटेंगे तो लोगों की भावनाओं पर असर पड़ेगा। -रामबाबू वर्मा वन विभाग द्वारा जनपद के सभी मार्गों पर पेड़ो को लगाया जाए। पेड़ लगेंगे तो ऑक्सीजन लेवल ठीक होगा और गर्मी के मौसम में लोगों को परेशानी नहीं होगी। पेड़ कटने से लोग बीमार पड़ने लगेंगे। इन पेड़ों को न काटा जाए। -अनूप कुमार 100 साल से अधिक पुराने पेड़ों को बिना सोचे समझे काटा जा रहा है। यदि किसी पेड़ को काटना आवश्यक हो, तो उसे पहले किसी सुरक्षित स्थान पर ट्रांसप्लांट करने की कोशिश की जाए। -रामपाल यादव वन विभाग द्वारा प्रत्येक पेड़ काटने की जगह 10 पेड़ लगाने की बात कही गई है। मगर स्थानीय लोगों को इस पर भरोसा नहीं है। क्योंकि विभाग ने कोई पेड़ नहीं लगाए हैं। हरियाली की भी विभाग की ओर से कोई रक्षा नहीं की जाती। -पंकज पांडेय शहर मे जो भी पेड़ हैं, उनका वन विभाग द्वारा संरक्षण किया जाए। जो आने वाले समय में लोगों को छाया देंगे। जब तक पेड़ पूर्णत: रूप से लोगों को छाया देना शुरू न कर दे तब तक विभाग इसकी जिम्मेदारी ले। -पूरन सिंह शाक्य वन विभाग ने पीपल, बरगद जैसे छायादार पेड़ लगाना तो बंद कर दिया है लेकिन लगे पेड़ काटना कहां की बात है। इन पेड़ों का कटान रुकना चाहिए और विभाग को पेड़ और लगाने चाहिए। जिससे शहर में हरियाली खत्म न हो। -सुरेश चौहान हरे पेड़ काटे जाने को लेकर लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया और सड़क पर भी जाम लगाया। हरे पेड़ का कटान जल्द रोके जाने की बात कही। अगर पेड़ काटना बंद नहीं हुआ तो हम लोग सड़क पर जाम लगाकर बैठ जाएंगे। -गंगाराम यादव

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