बेसिक शिक्षकों पर ड्रॉपबॉक्स खाली करने का दबाव
Mathura News - मथुरा में बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों द्वारा शिक्षकों पर यू-डायस का ड्रॉपबॉक्स खाली करने का दबाव बनाया जा रहा है। बिना उचित प्रशिक्षण और जानकारी के, शिक्षकों को छात्रों को डिलीट करने की चुनौती का...

मथुरा,बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों द्वारा परिषदीय शिक्षकों पर यू-डायस का ड्रॉपबॉक्स खाली करने का दबाव बनाया जा रहा है। बिना पर्याप्त प्रशिक्षण के और बिना वाजिब समस्या जाने विभाग द्वारा शत-प्रतिशत निस्तारण का आदेश दिया गया है। अब शिक्षक पसोपेश में है कि किस तरीके से ड्रॉपबॉक्स से छात्रों को डिलीट करें जिससे वह कार्रवाई की जद में आने से खुद को बचा सकें। यू-डायस पर डिलीट किए जाने वाले छात्र ड्रॉपबॉक्स में चले जाते हैं। यह छात्र तब तक ड्रॉपबॉक्स में पड़े रहते हैं, जब तक कि कोई अन्य स्कूल इनको इम्पोर्ट न कर ले या फिर इन छात्रों को निष्क्रिय न किया जाए।
निष्क्रिय करने का अर्थ है, कि संबंधित छात्र पढ़ाई छोड़ चुका है, लेकिन शासन का दबाव है, कि कक्षा आठ के बाद भी कोई बच्चा पढ़ाई न छोड़े। इसकी जिम्मेदारी भी बेसिक के शिक्षकों को दे दी गई है। शिक्षक संबंधित विद्यालय से बात कर छात्र को इम्पोर्ट करवाएं या पढ़ाई छोड़ चुके छात्र के अभिभावकों को प्रोत्साहित कर आगे की पढ़ाई जारी रखवाएं। गत वर्ष अपार आईडी बनाने के आदेश में भी शिक्षकों को ड्रॉपबॉक्स में शामिल छात्रों की अपार आईडी बनाने का आदेश दिया गया था। ऐसे में नवीन नामांकन समेत दर्जनों शासकीय कार्यों में लगे परिषदीय शिक्षक एक और ऐसे फरमान को पूरा करने में लगे हैं, जो उनका है ही नहीं। समस्या को समझने के लिए तैयार नहीं है कोई यू-डायस कार्य में लगे शिक्षकों का कहना है, कि कक्षा आठ उत्तीर्ण करने वाले छात्रों के आगे की पढ़ाई का दायित्व अभिभावकों व माध्यमिक शिक्षा विभाग का है। ऐसे में इन बच्चों को ड्रॉपबॉक्स से हटाना बेसिक शिक्षकों के लिए चुवौती है। कई बच्चों के अभिभावकों ने निजी विद्यालय में नाम लिखवा कर नए पैन (परमानेंट एजुकेशन नंबर) आवंटित करवा लिए हैं। कई बच्चे परिवार समेत गांव से ही पलायन कर गए हैं। अब ऐसे में ड्रॉपबॉक्स खाली करने के लिए शिक्षक इन्हें वापस इम्पोर्ट कर रहे हैं, लेकिन विद्यालय में अध्ययनरत न होने के चलते अपार आईडी बनाने में फिर दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा। शिक्षकों की इन समस्याओं को कोई जवाब जिम्मेदारों के पास नहीं है। शिक्षक आखिर करें भी तो क्या करें। अधिकारी तो तुगलकी फरमान जारी कर चेन से बैठे हुए हैं।
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