सूखे अमृत सरोवर, नदियों का जलस्तर भी घटा
Mau News - मऊ जिले में गर्मी के कारण आम लोग और पशु-पक्षी दोनों परेशान हैं। अमृत सरोवर सूख चुके हैं और मनरेगा से खोदे गए तालाबों में पानी नहीं है। जलस्तर गिरता जा रहा है, जिससे पशु पक्षियों को पानी की कमी का...
मऊ। जिले में इस समय पड़ रही गर्मी से आम लोग ही नहीं पशु-पक्षी भी परेशान हैं। शासन की ओर से जिले में बनाए गए अधिकतर अमृत सरोवर सूख चुके हैं। मनरेगा से खोदवाए गए तालाबों में दरारें पड़ चुकी हैं। विभाग के अनुसार 50 करोड़ की धनराशि खर्चकर 301 अमृत सरोवर बनाए गए हैं, लेकिन इस समय पानी के अभाव में इनमें से धूल उड़ रही है। इनके किनारों पर लगाए गए पौधे भी देख रेख के अभाव में सूख गए हैं। वहीं, पानी के अभाव में शहर से सटकर बहने वाली तमसा के साथ ही भैंसही नदी भी नाले के रूप में तब्दील हो गई है।
गिरते जा रहे भू-जलस्तर को बेहतर करने के लिए शासन की ओर से अनेक योजनाओं के माध्यम से गांव से लेकर शहर में स्थित तालाबों का जीर्णोद्धार कराया गया है। इस क्रम में जिले के लगभग सभी गांवों में अमृत सरोवर का निर्माण कराया गया है, जिसमें 264 ग्रामसभाओं में लगभग 301 अमृत सरोवर का निर्माण कराया गया है। लेकिन अप्रैल माह में ही तापमान 40 डिग्री के पार पहुंचने से अधिकतर अमृत सरोवर पानी के अभाव में सूख गए हैं। यही नहीं, मनरेगा से खोदवाए गए लगभग 700 से अधिक तालाब सूखे पड़े हैं। परिणामस्वरूप इन तालाबों का लाभ लोगों के साथ ही पशु-पक्षियों को नहीं मिल पा रहा है। प्यास से तड़प रहे वन्य जीव जंतु इधर-इधर भटकते देखे जा रहे हैं। नहरों के समीपवर्ती गांवों के तालाबों में भी पानी नहीं भरवाया जा सका है। इसके चलते भू-जलस्तर लगाकर खिसकता जा रहा है। जबकि, प्रशासन की ओर से नहर के समीपवर्ती तालाबों में नाली के माध्यम से पानी भरवाने का निर्देश दिया गया है। हालांकि, ये फरमान हवा हवाई साबित हो रहे हैं। वहीं, तालाबों के सूखने के पीछे बरसात कम होने का अधिकारी तर्क दे रहे हैं। चिरैयाकोट संवाद के अनुसार थाना क्षेत्र के ग्राम भीखमपुर में लाखों की लागत से (सगड़वां पोखरा) अमृत सरोवर का निर्माण कराया गया है। लेकिन इस समय पड़ रही भीषण गर्मी के बीच इसमें पानी की एक बूंद भी देखने को नहीं मिलेगी। इस सम्बंध में ग्राम प्रधान अच्छेलाल यादव ने बताया कि पहले पानी था। इस समय गर्मी के चलते सूख गया है। बहुत जल्द ही अमृत सरोवर को पानी से भर दिया जाएगा। परन्तु ग्रामीणों का कहना है कि अबतक कभी ग्राम प्रधान ने पानी भरवाया ही नहीं। पानी के अभाव में इस सरोवर से धूल उड़ रहा है। इस कारण पशु पक्षी पानी के लिए तरस रहे हैं। मुहम्मदाबाद गोहना संवाद के अनुसार शमशाबाद में निर्मित अमृत सरोवर इस समय पड़ रही भीषण गर्मी के बीच पूरी तरह से सूख गया है। पहले इस पोखरे में हमेशा पानी जमा रहता था। लेकिन जबसे इसका कायाकल्प किया गया है तबसे अप्रैल माह समाप्त होने के साथ ही यह पूरी तरह से सूख जाता है। वहीं भाटपारा में भी निर्मित अमृत सरोवर पानी के अभाव में सूख गया है। अमृत सरोवर में पानी नहीं होने से इस समय पड़ रही गर्मी के बीच पशु पक्षी बेहाल हैं। तीन साल बाद भी पतिला जमीन पतिला में अधूरा अमृत सरोवर घोसी। विकास खंड अंतर्गत मझवारा क्षेत्र के पतिला जमीन पतिला में पंचायती राज विभाग की महत्वाकांक्षी योजना महात्मा गांधी नरेगा से 40 लाख रुपये की लागत से अमृत सरोवर के कायाकल्प का कार्य तीन साल का समय बीत जाने के बावजूद 25 प्रतिशत भी पूरा नहीं कराया जा सका है। राम जानकी मंदिर के प्रांगण में स्थित ग्राम सभा की पोखरी गाटा संख्या 279 रकबा 0.3730 हेक्टेयर में मनरेगा मद से संचालित इस योजना के अन्तर्गत 640 वर्ग मीटर में 40 लाख रुपये की अनुमानित लागत से इस पोखरे का सुंदरीकरण कराया जाना था। शिलान्यास के बाद कार्य शुरु हुआ लेकिन उक्त अमृत सरोवर का स्वीकृत कार्य का लगभग 25 प्रतिशत ही निर्माण कार्य कराकर काम पर ब्रेक लगा दिया गया। करीब तीन साल का समय बीत जाने के बावजूद इसका कार्य पूरा नहीं कराया जा सका है और न ही कार्य शुरू ही हुआ है। अमृत सरोवर का कार्य पूर्ण न होने से ग्रामवासी काफी आक्रोशित हैं और ब्लाक मुख्यालय पर पहुंचकर प्रदर्शन करने की रणनीति बना रहे हैं। भैंसही और तमसा नदी में दिख रहे टीले तपती धूप के कारण पौराणिक तमसा के साथ ही सहायक नदी में शुमार भैसही नदी वर्तमान में नाले में तब्दील हो चुकी है। तमसा नदी का जलस्तर इतना कम हो गया है कि जगह-जगह नदी में टीला दिखाई देने लगा है। साथ ही पानी दूषित होकर काला पड़ गया है। तमसा नदी के तटवर्ती गांव के लोग नदी से अपने खेतों को सिंचाई सहित पशुओं को पानी पिलाने और नहलाते भी हैं, लेकिन पानी कम होने से किसानों की सिंचाई करने में परेशानी का सामना करना पड़ेगा। पूरी मई और जून की गर्मी अभी बाकी है। पानी की पूर्ति को लेकर होना होगा जागरूक सोनीधापा इंटरकालेज की प्रवक्ता और पर्यावरणविद वीना गुप्ता बताती हैं कि इंसान तो किसी न किसी रूप में खुद के लिए पानी की व्यवस्था कर लेता है, लेकिन पशु पक्षियों के लिए जलसंकट एक बड़ी समस्या बन जाती है। नदी और तालाब पशु पक्षियों के लिए एकमात्र पानी के स्त्रत्तेत होते हैं। जो इस बार गर्मी में अब से ही सूखने लगे हैं। ऐसे में मनुष्यों से ज्यादा पशु पक्षियों के लिए पानी की पूर्ति करना कठिन हो जाएगा। ऐसे में हम सभी लोगों को इस समस्या के प्रति न सिर्फ जागरूक होने की जरूरत है, बल्कि हमें इस समस्या से निजात दिलाने के लिए ठोस पहल करनी चाहिए। सरयू नदी में पानी घटने से किसान चिंतित भीषण गर्मी के कारण सरयू नदी का भी जलस्तर तेजी से लगातार कम हो रहा है। कभी लहराती-बलखाती बहने वाली सरयू नदी का बहाव कई स्थानों पर थम गया है। नईबाजार के समीप नदी में जगह-जगह बालू के टीले उभर आए हैं। नदी का जलस्तर घटने से तटवर्ती क्षेत्रों के किसान चिंतित हैं। तटवर्ती किसान तरबूज, खीरा, खरबूजा, लौकी, नेनुवा, परवल, भिंडी, करैला सहित अन्य फसलों की सिंचाई सरयू नदी के पानी से ही करते हैं। अगर ऐसे ही नदी का जलस्तर घटता रहा तो फसलों के सिंचाई को पानी की किल्लत हो जाएगी। 301 अमृत सरोवरों का निर्माण शासन की मंशा के अनुसार जिले में लगभग 50 करोड़ से अधिक रुपये खर्च कर 301 अमृत सरोवरों का निर्माण कराया गया है। बारिश और नहर के पानी से इसको संरक्षित करना था। लेकिन कम बारिश के चलते अमृत सरोवर में पानी कम हो गया है। सरोवर में पानी उपलब्ध कराने के लिए जल्द ही इस दिशा में कोई सार्थक पहल की जाएगी। उपेन्द्र पाठक, डीसी मनरेगा, मऊ।
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