उर्दू साहित्य में देवबंद की भूमिका महत्वपूर्ण
Meerut News - मेरठ में ऑनलाइन सम्मेलन में मौलाना शाह आलम गोरखपुरी ने उर्दू साहित्य के प्रचार में विद्वानों की भूमिका पर जोर दिया। कार्यक्रम में कई प्रमुख विद्वानों ने भाग लिया, जिन्होंने उर्दू शायरी और आलोचना में...

मेरठ। उर्दू भाषा के जन्म से लेकर आज तक विद्वानों ने उर्दू के प्रचार-प्रसार में प्रमुख भूमिका निभाई है। विद्वानों ने हमेशा उर्दू साहित्य को पोषित किया है। यह कहना है प्रसिद्ध धार्मिक विद्वान मौलाना शाह आलम गोरखपुरी का। वह सीसीएसयू के उर्दू विभाग और अंतर्राष्ट्रीय युवा उर्दू स्कालर्स एसोसिएशन द्वारा ऑनलाइन आयोजित उर्दू साहित्य में देवबंद की भूमिका विषय पर मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे। कार्यक्रम की शुरुआत सईद अहमद सहारनपुरी ने की। अध्यक्षता अलीगढ़ मुस्लिम विवि के उर्दू विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. सगीर अफ्राहीम ने की। इस अवसर पर मौलाना मुहम्मद शादाब उन्नावी, डॉ. मुहम्मद यासीन कुरैशी और मुहम्मद हारून ने शोध पत्र वक्ता के रूप में भाग लिया। आयुसा अध्यक्ष प्रोफेसर रेशमा परवीन ने विचार रखे। स्वागत भाषण डॉ. इरशाद स्यानवी, संचालन मुहम्मद नदीम ने और धन्यवाद ज्ञापन मुहम्मद ईसा ने दिया। डॉ. इरशाद स्यानवी ने भी विचार रखे। प्रोफेसर असलम जमशेदपुरी ने कहा कि देवबंद में कई साहित्यिक मित्र हैं जो उर्दू शायरी, आलोचना और पत्रकारिता के क्षेत्र में महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल कर रहे हैं। प्रोफेसर सगीर अफ्राहीम ने कहा कि देवबंद में विद्वानों के अलावा आलोचकों, शोधकर्ताओं और कहानीकारों ने भी उर्दू को महान सेवाएं दी हैं। कार्यक्रम से डॉ. आसिफ अली, डॉ. शादाब अलीम, डॉ. अलका वशिष्ठ, फरहत अख्तर, मुहम्मद शमशाद एवं छात्र जुड़े रहे।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।