प्राचीन ज्ञान प्रणाली को पतन करने का किया जा रहा प्रयास
Moradabad News - आईएफटीएम विश्वविद्यालय में प्राचीन वैदिक शिक्षा पर एक राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी के मुख्य अतिथि प्रो. मुरलीमनोहर पाठक ने भारतीय शिक्षा प्रणाली की समृद्धता पर चर्चा की। डॉ. संजीव...

आईएफटीएम विश्वविद्यालय में इंडियन नॉलेज सिस्टम सेल की ओर से ‘प्राचीन वैदिक शिक्षा पर विचार पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी के मुख्य अतिथि और लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, दिल्ली के कुलपति प्रो. मुरलीमनोहर पाठक और आईएफटीएम विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. संजीव अग्रवाल ने मां सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन और पुष्पार्पण कर कार्यक्रम का उद्घाटन किया। विवि के कुलसचिव डॉ. अग्रवाल ने कहा कि आधुनिक शिक्षा के साथ-साथ भारत की प्राचीन कालीन ज्ञान परंपराओं को जीवंत रखने का प्रयास किया जाना भी अत्यंत आवश्यक है। मुख्य अतिथि प्रो. पाठक ने प्राचीन कालीन भारतीय शिक्षा प्रणाली अत्यंत समृद्धिशाली बताते हुए कहा कि हमारे यहां के चारों वेदों की रचना विश्व की सर्वोत्तम ज्ञान परंपरा का जीवंत उदाहरण है।
प्रो. पाठक ने कहा कि हमारी प्राचीन ज्ञान प्रणाली और बौद्धिक क्षमताओं को पतन करने का प्रयास किया जा रहा है। संगोष्ठी के विशिष्ट अतिथि व गुरु गोविंद सिंह इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी, नई दिल्ली के स्कूल ऑफ मास कम्युनिकेशन के डीन दुर्गेश त्रिपाठी ने कहा कि स्वामी विवेकानंद की मेधा से पूरा विश्व परिचित है। संगोष्ठी के रिसोर्स पर्सन व चौधरी चरण सिंह विवि मेरठ के अर्थशास्त्र विभाग के प्रो. अतिवीर सिंह ने बताया कि भारतवर्ष की शिक्षा पद्धति बेहद समृद्धशाली रही है, जिसका अनुसरण करके हम सभी प्राचीन कालीन वैदिक ज्ञान परंपराओं को पुनर्जीवित कर सकते हैं। इस मौके पर संगोष्ठी के अध्यक्ष व स्कूल ऑफ एजुकेशन एण्ड ह्यूमेजिटीज के निदेशक डॉ. मोहन लाल आर्यने सभी अतिथियों को बुके और प्रतीक-चिह्न भेंट कर उनका स्वागत किया। इस मौके पर पुलकित शर्मा, डॉ. मोहित मिश्रा, डॉ. सरिता, डॉ. राजेश कुमार शुक्ल आदि मौजूद रहे।
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