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बोले मुजफ्फरनगर: समस्याओं के बोझ तले दबे पल्लेदार

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Newswrap हिन्दुस्तान, मुजफ्फर नगरThu, 15 May 2025 05:39 PM
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बोले मुजफ्फरनगर: समस्याओं के बोझ तले दबे पल्लेदार

पल्लेदार कड़ी मेहनत और पसीना बहाकर व्यापार की प्रवाह को चलाने का काम करते है। जिले में 2000 से अधिक पल्लेदार हैं, जो दो वक्त की रोटी के लिए अपने कंधों पर भारी बोरियां और अन्य वजन उठाकर व्यापारियों के बीच माल का आदान-प्रदान करते हैं। स्टेशन पर आने वाली मालगाड़ी से भी यही पल्लेदार दिनभर माल उतारने का काम करते है,जिसके लिए उन्हें पर्याप्त पैसे भी नहीं मिल पाते है। यहां तक कि इनके बिना मंडी संचालन की व्यवस्था भी अधूरी रहती है। मंडी संचालन की रीढ़ होने के बावजूद भी पल्लेदारों की समस्याओं पर न तो कारोबारी ध्यान देते हैं न ही अधिकारी।

---------------- -- श्रम विभाग में पंजीकरण नहीं होने के कारण सरकारी योजनाओं से हो रहे वंचित पल्लेदारों का काम इतना मेहनत भरा होता की दिन रात इन्हें पसीना बहाकर भारी से भारी बोझ को अपनी पीठ और कंधे पर ढोना पड़ता है। जिससे बाजारों तक सामान सरलता के साथ पंहुच पाता है लेकिन कड़ी मेहनत करने वाले पल्लेदारों के लिए सुविधा की बात करें तो इन्हें जानकारी के आभाव में सरकारी योजनाओं तक का लाभ नहीं मिल पाता है। पल्लेदारों को कहना है की न तो मंडी में समिति में इनका कोई रजिस्ट्रेशन है और न ही श्रम विभाग में ये पंजीकृत हैं, जिस कारण सरकार द्वारा चलाई जा रही कल्याणकारी योजनाओं से वंचित रहना पड़ता है। पल्लेदारों ने अपना दर्द बयां करते हुए बताया कि सुबह से शाम तक इनकी कोशिश रहती है कि ज्यादा से ज्यादा पल्लेदारी करके दो वक्त की रोटी का जुगाड़ कर परिवार का पालन पोषण कर सके। -------------- -- जी-तोड़ मेहनत के बाद मजदूरी गुजारे भर भी नहीं शहर की विभिन्न मंडियों और रेलवे स्टेशन पर मजदूरी करने के लिए हर दिन शहर से लेकर गांव के एक हजार से अधिक पल्लेदार आते हैं। जो मंडियों से लेकर विभिन्न बाजार की दुकानों और गोदामों सहित रेलवे स्टेशन पर सुबह से शाम तक गल्ला उतारने का काम करते हैं। जिसकी एवज में उन्हें पर्याप्त पैसे नही मिल पाने के कारण रोजमर्रा के खर्चे चलाने तक मुश्किल हो जाते है। सुबह से शाम तक जीतोड़ मेहनत करने के बाद इनके हाथ में चंद रुपये आते हैं, जिससे जैसे-तैसे करके इनका परिवार चलता है। गर्मी के मौसम में अपनी मेहनत से पसीना बहाने के बाद भी उनको न ही तो पर्याप्त भुगतान हो पाता है न ही सरकारी योजनाओं का लाभ ही मिल पाता है। जानकारी के अभाव में सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाने पड़ते है, जिससे पूरा दिन काम से वंचित रहकर दिनभर के खर्चे चलाने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। ------------- -- रेलवे स्टेशन पर पल्लेदारों के लिए नहीं है पेयजल की उचित व्यवस्था प्लेटफार्म नम्बर चार पर आने वाली मालगाड़ी से कड़ी मेहनत के साथ माल उतारने का काम पल्लेदार करते है, कई बार अनाज से भरी बोरियां तो कई बार सीमेंट से भरी मालगाड़ी को खाली करने का काम पल्लेदार बखूबी करते है। जिससे अधिकांश पल्लेदार फेफड़ों में संक्रामक रोग जैसी गंभीर बीमारी का शिकार तक हो जाते है। गर्मी और गर्म हवाओं में भी कड़ी मेहनत और पसीना बहाकर सामान को इधर से उधर पहुंचाना पड़ता है, लेकिन पल्लेदारों के लिए प्यास बुझाने के लिए वाटर कूलर तक का निर्माण नही कराया गया है। प्यास बुझाने के लिए पल्लेदारों को या तो प्लेटफार्म पार करके एक या दो पर आना पड़ता है या सीढ़ीयों का सहारा लेकर वाटर कूलर तक पहुंचना पड़ता है, इससे समय के साथ ही लगातार ट्रेन आने के कारण ट्रेक पार करते समय हादसे का भी खतरा बना रहता है। -------------- -- ठेकेदारों की मनमानी के चलते समय से नहीं होता भुगतान शहर की विभिन्न मंडियों से लेकर रेलवे स्टेशन तक माल उतारने से लेकर लोड करने तक का जिम्मा ठेकेदार लेते है, जिसके लिए ठेकेदार पल्लेदारों को सहारा लेकर माल को इधर-उधर पहुंचाने का काम करते है। लेकिन दिनभर मेहनत करने के बाद भी ठेकेदारों की मनमानी के चलते पल्लेदारों को समय से भुगतान नही मिल पाता है, पल्लेदारों के एक दिन के काम के पैसे रोक लिए जाते है। समय से भुगतान नही होने के कारण रोज मर्रा के खर्चे चलाना इनके लिए कठिन हो जाता है। जिसके लिए पल्लेदार व्यापारियों से अपनी पीड़ा सुनाते है, लेकिन ठेके का नाम लेकर बात को टाल दिया जाता है। पल्लेदार सुधीर और बिजेंद्र का कहना है की मंडी समिति में इनका रजिस्ट्रेशन होना चाहिए, जिससे इन्हें रेलवे स्टेशन के साथ ही मंडियों में सीधे काम मिल सके और ठेकादारी प्रथा को खत्म किया जा सके। --------------- ---शिकायतें और सुझाव--- शिकायतें -- 1. रेलवे स्टेशन पर मालगाड़ियों से माल उतारने वाले पल्लेदारों गर्मी में अपनी प्यास बुझा सके, इसके लिए मालगाड़ी वाले प्लेटफार्म पर वाटर कूलर का निर्माण कराया जाना चाहिए। 2. दिन रात भारी से भारी सामान को इधर-उधर ढोने वाले पल्लेदारों को उनकी कड़ी मेहनत के अनुसार पर्याप्त पैसे का भुगतान समय से किया जाना सुनिश्चित होना चाहिए। 3. विभिन्न मंडियों और रेलवे स्टेशन पर भारी वजन ढोने का काम करने वाले पल्लेदारों के श्रम विभाग में प्राथमिकता के साथ पंजिकरण होने चाहिए, जिससे उन्हे सरकारी योजनाओं का लाभ मिल सके। 4. रेलवे स्टेशन पर मालगाड़ियों से माल उतारने वाले पल्लेदारों गर्मी में अपनी प्यास बुझा सके, इसके लिए मालगाड़ी वाले प्लेटफार्म पर वाटर कूलर का निर्माण कराया जाना चाहिए। ----- सुझाव -- 1. पल्लेदारों को समय से भुगतान किया जाए, इसके लिए श्रम विभाग को सख्त नियम बनाने चाहिए। जिससे ठेकेदारों द्वारा पल्लेदारों का समय से भुगतान सुनिश्चित किया जा सके। 2. रेलवे स्टेशन पर पल्लेदारों के लिए के लिए वाटर कूलर का निर्माण कराया जाना चाहिए। जिससे गर्मी में कड़ी मेहनत करने वाले पल्लेदार अपनी प्यास बुझा सके। 3. श्रम विभाग में अभियान चलाकर पल्लेदारों का ई-श्रम कार्ड बनाए जाने चाहिए, जिससे सरकार द्वारा चलाई जा रही कल्याणकारी योजनाओं का प्रमुखता के साथ लाभ मिल सके। 4. कडी धूप में मेहनत का करने वाले पल्लेदारों को अक्सर गंभीर बीमारी का शिकार हो जाते है, स्वास्थ्य विभाग द्वारा पल्लेदारों के आयुष्मान कार्ड प्राथमिकता के साथ बनाए जाने चाहिए। -------------- बोले जिम्मेदार--- विभाग की तरफ से मजदूरों को योजनाओं का लाभ प्रमुखता के साथ दिया जाता है, समय-समय पर विभाग की तरफ से मजदूरों के हित में ई-श्रम कार्ड बनाने के लिए अभियान चलाया जाता है। अभियान के तहत पूर्व में भी श्रम विभाग द्वारा मजदूरों को ई-श्रम कार्ड बनवाने के लिए जागरूक किया गया है। देवेश सिंह, सहायक श्रमायुक्त ----------- सुनें हमारी बात---- श्रम विभाग में रजिस्ट्रेशन नही होने के कारण सरकारी योजनाओं का लाभ नही मिल पाता है, श्रम विभाग द्वारा अभियान चलाकर ई-श्रम कार्ड बनाने चाहिए। नौशाद ----------- रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म चार पर पेयजल की सुविधा नही होने के कारण परेशानी का सामना करना पड़ता है, रेलवे द्वारा वाटर कूलर का निर्माण कराया जाना चाहिए। शन्नवर ----------- ठेकेदारों के अधीन काम करना पड़ता है, जिससे समय से भुगतान नही होने के कारण रोज मर्रा के खर्चे चलाने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। शमशाद ----------- दिन रात कड़ी मेहनत करने के बावजूद भी पर्याप्त पैसे नही मिल पाते है। काम के हिसाब से पल्लेदारों को उचित पैसे मिलन चाहिए, जिससे सरलता से परिवार का भरण-पोषण किया जा सके। हाशिम ----------- कई बार सीमेंट के कट्टे तक उठाने पड़ते है, जिससे अधिकांश पल्लेदार फेफड़ों की बीमारी का शिकार हो जाते है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा आयुष्मान कार्ड योजना का लाभ प्रमुखता के साथ दिया जाना चाहिए। इरशाद ----------- वाटर कूलर का निर्माण नही होने के कारण काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है, रेलवे विभाग द्वारा वाटर कूलर का निर्माण कराया जाना चाहिए। सुधीर ----------- मंडियों और रेलवे स्टेशन पर पल्लेदारों के लिए विश्राम गृह नही होने से काफी दिक्कतें होती है, आराम करने के लिए विश्राम गृह का निर्माण कराया जाना चाहिए। बिजेंद्र ----------- बरसात के मौसम में कई दिनों तक पल्लेदारों को काम नही मिल पाता है, जिस कारण परिवार का भरण पोषण करने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। अमित ----------- सरकार की तरफ से चलाई जा रही योजनाओं का लाभ प्रमुखता के साथ दिया जाना चाहिए, मूलभूत सुविधाएं भी प्रमुखमा के साथ उपलब्ध कराई जानी चाहिए। जितेंद्र ----------- ठेकेदारों द्वारा पल्लेदारों को समय से भुगतान नही किया जाता है, जिस कारण परिवार का भरण-पोषण करने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। अरविंद ----------- मंडी समिति व रेलवे स्टेशन पर पल्लेदारों के रजिस्ट्रेशन कराए जाने चाहिए, जिससे उन्हें ठेकेदारों से मुक्ति मिलने के साथ ही सीधे काम मिल सके। मानसिंह ----------- मंडी समिति और स्टेशन के कार्यस्थल पर पल्लेदारों के लिए पेयजल व विश्राम गृह का निर्माण कराया जाना चाहिए, जिससे कड़ी मेहनत कर रहे पल्लेदारों को आराम मिल सके। यशपाल

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