बोले मुजफ्फरनगर..... बदहाल रास्ते और लंबी दूरी, समय पर कैसे स्कूल पहुंचें शिक्षक-शिक्षिकाएं
Muzaffar-nagar News - बोले मुजफ्फरनगर..... बदहाल रास्ते और लंबी दूरी, समय पर कैसे स्कूल पहुंचें शिक्षक-शिक्षिकाएं
परिषदीय स्कूलों में पढ़ाई के लिए सुविधाएं तो निजी स्कूलों की दर्ज पर तेजी से बदली जा रही है, लेकिन जनपद के अधिकतर स्कूलों में रास्तों को लेकर समस्याओं को अंबार अभी भी जस का तस है। शहरी क्षेत्र के स्कूलों को छोड़ दिया जाए तो ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूलों तक पहुंचना आसान नहीं है। शिक्षकों के पास स्वयं के वाहनों की सुविधाएं न हो तो वह स्कूल तक नहीं पहुंच आते हैं। कई बार ग्रामीण क्षेत्रों को जंगलों के रास्तों से 10 से भी अधिक किलोमीटर पार करने में घंटों ई-रिक्शा या अन्य वाहनों से लिफ्ट लेने की जरूरत पड़ती है, जिसके कारण वह विद्यालय में लेट भी पहुंचते हैं। पुरकाजी के खादर क्षेत्र के स्कूलों में ट्रांसपोर्ट सुविधा के अलावा कच्चे रास्तों की भी परेशानी है।
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पुरकाजी, मोरना के स्कूलों में जाने के लिए हैं कच्चे रास्ते
मुजफ्फरनगर के बेसिक शिक्षा विभाग में 951 परिषदीय विद्यालय संचालित है, जिसमें से 29 विद्यालय नगर क्षेत्र के अंतर्गत है। नगर क्षेत्र के विद्यालयों में पहुंचने की सुविधाएं सभी जगह बेहतर है। यहीं कारण है कि वहां पहुंचने में शिक्षकों व अधिकारियों को कोई कठिन समस्या से नहीं गुजरना पड़ा है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में संचालित परिषदीय विद्यालयों की बात की जाए तो वहां गांव में स्कूल होने के कारण वहीं के पंजीकृत बच्चों को पहुंचने में सुविधा रहती है, लेकिन विद्यालयों में तैनात प्रधानाध्यापक, सहायक शिक्षक-शिक्षिकाएं सहित शिक्षा मित्रों को घर से स्कूल के आवागमन में अनेकों समस्याओं से गुजरना पड़ता है। पुरकाजी के खादर क्षेत्र में संचालित प्राथिमिक, उच्च प्राथमिक, कंपोजिट विद्यालयों के शिक्षक-शिक्षिकाओं की बात की जाएं तो वह बताते हैं कि विद्यालय संचालित हो रहा है, जिसमें पढ़ाने वाले शिक्षक मुजफ्फरनगर, मेरठ, सहारनपुर सहित अन्य विभिन्न शहरों से पहुंचते हैं। खादर के विद्यालयों में पहुंचने के लिए शिक्षकों को अपने वाहनों की जरूरत प्राथमिकता पर रहती है, क्योंकि पुरकाजी, मोरना के बाद स्कूल तक जाने के लिए रास्ते कच्चे हैं और ट्रांसपोर्ट के नाम पर बस तो छोड़िए ई-रिक्शा तक की सुविधाएं वहां नहीं मिल रही है। इसके अलावा बघरा और चरथावल ब्लाक में भी कई विद्यालय काफी अंदर है। जहां मुख्य बस स्टैंड से अंदर के लिए शिक्षकों को अन्य लोगों से लिफ्ट लेकर या फिर अपने ही साथी के वाहनों से जाना पड़ रहा है। कई जगह ऐसे भी स्थिति है कि विद्यालयों में पहुंचने के लिए शिक्षकों को रास्तों के संकरी होने की समस्या है। बझेडी के स्कूल में बरसात के दिनों में जलभराव की अधिक समस्या है। शिक्षकों को कहना है कि विद्यालय परिसर में जलभराव के कारण विद्यालय डूब जाता है, जिस कारण कई-कई दिन तक पढ़ाई बाधित हो जाती है। विभिन्न ब्लाक के ग्रामीण क्षेत्रों में संचालित परिषदीय स्कूलों के शिक्षकों का कहना है कि विद्यालयों तक ट्रांसपोर्ट सुविधाएं होनी चाहिए। बहुत शिक्षक ऐसे हैं, जिन्हें वाहन भी चलाने नहीं आते हैं, जो अन्य शिक्षक या परिजनों पर आने-जाने के लिए निर्भर है।
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ट्रांसपोर्ट नहीं होने से करनी पड़ जाती है छुट्टी
सदर क्षेत्र के गांव गढ़ी दुर्गनपुर स्थित कंपोजिट विद्यालय में प्रधानाध्यापिका सहित अन्य शिक्षक-शिक्षिकाएं मेरठ तक से आते हैं। इस विद्यालय में पहुंचने के लिए शिक्षकों को हाईवे से अंदर करीब 12 किलोमीटर तक अपने वाहनों से आना-जाना पड़ता है। शिक्षकों को कहना है कि यदि कभी अपना वाहन नहीं होता और लेट होने की संभावना लगती है तो छुट्टी करनी पड़ती है। रास्तें में से भी कई बार वापस जाना पड़ता है। यह स्थित चरथावल के छिमाऊ सहित इस मार्ग पर पड़ने वाले अन्य स्कूलों के शिक्षकों के साथ भी है। भिक्की के कंपोजिट विद्यालय भी मुख्य रोड से तीन किलोमीटर अंदर है, जहां स्टाफ को आने-जाने के लिए अपने की वाहनों की जरूरत पड़ती है।
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खादर के इन विद्यालयों में ट्रांसपोर्ट सहित कई सुविधाओं का आभाव
मुजफ्फरनगर के पुरकाजी ब्लाक के खादर में बने 24 प्राथमिक और आठ जूनियर स्कूलों में पहुंचने के लिए मुख्य रास्ते से 15 किलोमीटर तक का ट्रांसपोर्ट कोई साधन नहीं है। शिक्षकों को अपने या अपने साथियों की मदद से स्कूलों में पढ़ाने के लिए पहुंचना पड़ रहा है। भदौला स्कूल के सहायक अध्यापक शुभनंद बताते हैं कि बरसात के दिनों में रास्ते आने-जाने लायक तक नहीं रहते हैं, क्योंकि बाढ़ का पानी स्कूलों तक में पहुंच जाता है। शिक्षकों का कहना है कि इन क्षेत्रों में ई-रिक्शा तक नहीं चलती है। इन खादर क्षेत्र के स्कूलों में अमरावाला, हुसैनपुर, मिर्जापुर, शांहजहांपुर, जिंदावाला, चमरावाला, नंगला, उदियावाली, शेरपुर, खामपुर, बढ़ीकंला, भैंसलीवाला आदि शामिल है।
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शिक्षक-शिक्षिकाओं ने किया दर्द बयां
बझेड़ी रोड स्थित बागोवाली कंपोजिट विद्यालय में 11 शिक्षक शिक्षिकाएं तैनात हैं। इसमें 9 शिक्षक व दो अनुदेशक हैं, 6 महिला शिक्षक हैं। यह सब गांव तक ई रिक्शा या अपने वाहन से ही आ पाते हैं। बरसात में स्कूल पानी में डूब जाता है। इससे पढ़ाई भी बाधित हो जाती है। स्कूल में चोरी की समस्या है।यदि चारदीवारी ऊंची हो जाए तो चोरी की घटना से राहत मिलेगी।
- आबिद अली, इंचार्ज अध्यापक
बागोवाली कम्पोजिट विद्यालय में आवागमन की परेशानी होती हैं। विद्यालय गांव के काफ़ी अंदर होने के कारण शिक्षक अपने वाहन के बिना स्कूल नहीं आ सकते हैं। बरसात के दिनों में स्कूल और सड़कों पर पानी भर जाता है, जिससे बच्चों को भी आने जाने में परेशानी होती है।
फारूख हसन, सहायक अध्यापक
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भिक्की स्थित प्राथमिक विद्यालय में पहुंचने के लिए सड़कों की कोई समस्या नहीं है। सड़क साफ-सुथरी है, लेकिन ट्रांसपोर्ट की समस्या मुख्य है। भोपा रोड से विद्यालय तीन किलोमीटर से ज्यादा दूरी पर है। यदि शिक्षकों के पास स्वयं का ट्रांसपोर्ट नहीं हो तो विद्यालय पहुंचने में शिक्षक प्रतिदिन लेट होगा, जिससे बच्चों की पढ़ाई भी बाधित होनी निश्चित है।
- संजय चंदेल, शिक्षा मित्र
मुकंदपुर कंपोजिट विद्यालय में भी आवागमन की सुविधाएं ज्यादा बेहतर तो नहीं है। मुख्य सड़कों से मुकंदपुर तक पहुंचने के लिए रास्ते अच्छे हैं, लेकिन ट्रांसपोर्ट की सुविधा नहीं है। स्कूल मे पहुंचने के लिए बघरों से हैदरनगर और फिर मुकंदपुर पहुंचते है। स्कूल में दो सहायक अध्यापक व शिक्षा मित्र है, जो मुजफ्फरनगर व अन्य स्थान से पहुंचते है। ट्रांसपोर्ट सुविधा नहीं होने से सभी एक-दूसरे से सहयोग से आते-जाते हैं।
- पुष्पेंद्र चौधरी, सहायक अध्यापक
मुकंदपुर पहुंचने के लिए शिक्षकों को तो ट्रांसपोर्ट व्यवस्था की दरकार है, लेकिन वहां के गांव के लोगों के लिए भी सोचना जरूरी है। बघरा से मुकंदपुर पहुंचने के लिए यातायात सुविधा बेहतर होनी चाहिए। इससे अन्य आसपास के गांव के बच्चें भी विद्यालय में पढ़ने पहुंचेंगे।
- उपेन्द्र बालियान, प्रधानाध्यापक
बघरा ब्लाक के कुटबी स्थित प्राथमिक विद्यालय एक तक पहुंचने के लिए शिक्षकों को विभिन्न समस्याओं से गुजरना पड़ता है। ट्रांसपोर्ट व्यवस्था नहीं होने से बड़ी परेशानी उठानी पड़ती है। मुख्य सड़क मार्ग काकड़ा से यह विद्यालय सात किलोमीटर और बघरा से नौ किलोमीटर पड़ता है। यहां पब्लिक ट्रांसपोर्ट की अत्यंत आवश्यकता है।
- नेहा चौधरी, सहायक अध्यापिका
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बघरा ब्लाक के कुटबी प्राथमिक विद्यालय में उंची दीवारे न होने से भी समस्या है। इसके अलावा बघरा और काकड़ा के बाद कुटबी आने के लिए ट्रांसपोर्ट व्यवस्था नहीं है। सुबह के समय निजी वाहनों के बिना शिक्षक शहर या अन्य स्थान से अपने विद्यालय नहीं पहुंच सकते है। इस स्थिति को बेहतर करने के लिए शिक्षा विभाग के साथ पूर्व केंद्रीय मंत्री को प्रयास करना चाहिए, क्योंकि यह गांव डा. संजीव बालियान का है।
- राहुल देव, इंचार्ज अध्यापक
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गांव पीपलहेड़ा के कंपोजिट उच्च प्राथमिक विद्यालय के लिए ट्रांसपोर्ट सुविधाएं नहीं है। विद्यालय पहुंचने के लिए शिक्षक-शिक्षिकाओं को केवल धौलरा तक ही ट्रांसपोर्ट की सुविधा मिलती है। इसके बाद विद्यालय तक पहुंचने के लिए निजी ट्रांसपोर्ट की मदद लेनी पड़ती है। ई-रिक्शाएं भी विशेष रूप से होती है, जो ज्यादा रुपये मांगते हैं।
- रीना ठाकुर, शिक्षा मित्र
कंपोजिट उच्च प्राथमिक विद्यालय पीपलहेड़ा ब्लॉक बघरा में है। यह विद्यालय मुख्य सड़क मार्ग धोलरा से आठ किलोमीटर की दूरी पर पड़ता है। इस आठ किलोमीटर के बीच में पब्लिक ट्रांसपोर्ट की सुविधाएं नहीं है। निजी वाहनों से ही विद्यालय पहुंचना पड़ता है। कई बार निजी वाहन नहीं होने पर देरी का भी सामना करना पड़ता है।
- कृष्ण पाल इंचार्ज अध्यापक
शहर से मुकंदपुर पहुंचने के लिए बघरा तक ही पब्लिक की यातायात सुविधा मिलती है। इसके बाद विद्यालय पहुंचने के लिए परेशानी झेलनी पड़ती है। विद्यालय के अन्य शिक्षक या अन्य किसी मदद से ही विद्यालय पहुंचते हैं, जबकि मौसम खराब या अन्य किसी समस्या का अंदेशा होता है तो विद्यालय पहुंचने के लिए भी चिंतन करना पड़ता है।
- रीना तोमर, शिक्षा मित्र
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पुरकाजी ब्लाक के विभिन्न विद्यालयों में पब्लिक ट्रांसपोर्ट की बड़ी समस्या है। विभाग की तरफ से विद्यालयों में बेहतर शिक्षा की सुविधा दी जा रही है, लेकिन शिक्षकों को विद्यालय तक पहुंचने के लिए पब्लिक ट्रांसपोर्ट का आभाव झेलना पड़ रहा है। यदि पब्लिक ट्रांसपोर्ट खादर के क्षेत्रों में बेहतर किया जाए तो स्थितियां और अधिक बेहतर होगी।
अनुराधा वर्मा, सहायक अध्यापिका
चरथावल ब्लाक के छिमाऊ के प्राथमिक विद्यालय तक पहुंचने में रास्ते की स्थिति तो बेहतर है, लेकिन पब्लिक ट्रांसपोर्ट की समस्याएं है। हम शिक्षक चरथावल तक तो आसानी से पहुंच जाते हैं, लेकिन इसके बाद भी छिमाऊ का स्कूल करीब 12 किलोमीटर दूर पड़ता है। ई-रिक्शा तक से जाना खतरे से खाली नहीं होता है। विद्यालय के अन्य साथी शिक्षकों की मदद से आते-जाते है।
- पूजा पाल, सहायक अध्यापिका
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पुरकाजी क्षेत्र में बने स्कूलों तक पहुंचने में ट्रांसपोर्ट सुविधाओं की कमी है। दादूपुर स्कूल में पहुंचने के लिए खेड़की तक ही ई-रिक्शा की सुविधा है। इसके बाद भी पांच किलोमीटर पर दादूपुर का विद्यालय है। निजी वाहनों के बिना स्कूल तक पहुंचना संभव नही है। स्कूलों तक पहुंचने के लिए पब्लिक ट्रांसपोर्ट की सुविधा होनी चाहिए।
- संगीता, सहायक अध्यापक
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- अधिकारी बोले
बेसिक शिक्षा विभाग के ज्यादातर परिषदीय स्कूल गांव-गांव तक बने हुए हैं। स्कूलों में पढ़ाई-लिखाई आदि की सुविधाएं और व्यवस्था बेहतर हैं, जो हमारे अधिकार क्षेत्र में आती है। अधिकतर स्कूलों में पहुंचने के लिए पब्लिक ट्रांसपोर्टेशन की कमी हो सकती है। पब्लिक ट्रांसपोर्ट की समस्या शिक्षकों व ग्रामीणों के लिए सामान्य है। शिक्षकों की समस्या को उच्च अधिकारियों से अवगत करा सकते हैं।
- संदीप कुमार, बीएसए
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सुझाव और शिकायतें
- परिषदीय स्कूल अक्सर दूरस्थ या ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित होते हैं, जहां सार्वजनिक परिवहन की कमी होती है।
- ग्रामीण क्षेत्रों में स्कूल अक्सर दूर स्थित होते हैं, जिससे स्कूल तक पैदल या वाहनों से जाना होता है। इसमें समय अधिक लगता है।
- ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूलों में जाने के लिए जंगल से भी गुजरना पड़ता है, जिसमें महिला शिक्षक असुरक्षा का भाव महसूस करती है।
- परिषदीय स्कूलों में परिवहन की सुविधा नहीं होना बड़ी समस्या है। जिससे शिक्षकों को समस्या उठानी पड़ती है।
- दूरस्त ग्रामीण क्षेत्रों में पहुंचने में आने वाली समस्या के कारण शिक्षक स्कूलों में लेट होते हैं।
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- समस्या के समाधान के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में पब्लिक ट्रांसपोर्ट के लिए बसों का संचालन होना चाहिए।
- महिला शिक्षिकाओं में सुरक्षा का भाव पैदा करने के लिए स्कूलों के बाहर या रास्तों में पुलिस पिकेट की तैनाती होनी चाहिए।
- एक क्षेत्र के कई परिषदीय स्कूलों के लिए स्कूल बसों का संचालन होना चाहिए। इससे शिक्षकों को राहत मिलने के साथ स्कूलों में अन्य गांव के बच्चों की संख्या भी बढ़ेगी।
- दूरस्थ स्कूलों की सूची बनाकर उनके लिए सुबह और स्कूल की छुट्टी के समय मिनी बस की सुविधा प्रशासन को करनी चाहिए, ताकि शिक्षक-शिक्षिकाओं की आनेजाने की समस्या का समाधान हो।
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