बोले बेल्हा : एसटीपी निर्माण करा भूले जिम्मेदार, गंगा में नालों का पानी गिर रहा लगातार
Pratapgarh-kunda News - मानिकपुर नगर पंचायत में नमामि गंगे योजना के तहत 3 करोड़ रुपये की लागत से स्थापित सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट चार साल बाद भी चालू नहीं हुआ है। इससे नगर व ग्रामीण क्षेत्रों का गंदा पानी नालों से गंगा में गिर...
गंगा में गंदा पानी न गिरे इसके लिए नगर पंचायत मानिकपुर में चार वर्ष पहले नमामि गंगे योजना के तहत तीन करोड़ रुपये की लागत से एसटीपी (सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट) की स्थापना कराई गई। इसका निर्माण पूरा होने के बाद यहा कर्मचारी भी नामित कर दिए जिन्हें हर महीने लाखों रुपये मानदेय दिया जाता है लेकिन इसका संचालन नहीं होने से नगर सहित ग्रामीण इलाकों से आने वाला गंदा पानी नालों के माध्यम से गंगा में ही गिर रहा है, इससे गंगा का जल प्रदूषित हो रहा है। गंगा के किनारे रहने वाले लोग गंगा को मां का दर्जा देते हैं और ऐसे परिवार नियमित गंगा में ही स्नान करते हैं लेकिन मानिकपुर में गंगा के जिस घाट पर लोग स्नान करते हैं उससे महज चंद कदम की दूरी पर नगर के गंदे नाले का पानी गंगा में गिरता है जो ग्रामीणों के लिए समस्या पैदा करता है। इसे लेकर आसपास के लोग लगातार नगर पंचायत के जिम्मेदारों से पूछते रहते हैं लेकिन नगर पंचायत की ओर से बार-बार बताया जाता है कि अभी एसटीपी नगर पंचायत को हैंडओवर नहीं हो सका है। हैंडओवर होने के बाद ही नगर पंचायत एसटीपी का संचालन नियमित करेगा। इससे नगरवासी निराश हो जाते हैं। खास बात यह कि एसटीपी पर ड्यूटी कर रहे कर्मचारी भी इसके संचालन के बारे में कुछ स्पष्ट नहीं बता पाते। आपके अपने अखबार हिन्दुस्तान ने आसपास रहने वाले ग्रामीणों से गंगा की सफाई पर चर्चा की तो बारी-बारी से ग्रामीणों ने खुलकर अपनी बात रखी।
नगर पंचायत मानिकपुर में वर्तमान में कुल 17 वार्ड हैं और यहां की कुल आबादी करीब 32 हजार है। यह नगर पंचायत मां गंगा के कछार पर बसी है। ऐसे में मोहल्लों में रहने वाले परिवारों के घर से निकलने वाला गंदा पानी नालों से होकर गंगा में गिरता है, जिससे घाट का जल दूषित हो जाता है। शासन की ओर से नमामि गंगे योजना के तहत गंगा के जल को स्वच्छ करने की शुरुआत हुई तो मानिकपुर के मोहल्लों में रहने वालों की उम्मीदें बढ़ गईं। फिलहाल शासन के निर्देश पर जिला प्रशासन की ओर से गंगा का जल शुद्ध करने और नालों का गंदा पानी गंगा में न गिरे, इसके लिए प्रयास भी शुरू किए गए। इसी क्रम में मानिकपुर नगर पंचायत के मोहल्लों से निकलने वाले गंदे पानी को फिल्टर करने के लिए नमामि गंगे योजना के तहत सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित करने की योजना पर शासन ने मुहर लगा दी। जिम्मेदारों ने तीन करोड़ रुपये की लागत से गंगा के किनारे सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट की स्थापना करा दी। इसकी टेस्टिंग भी हो चुकी है लेकिन चार वर्ष बीत गए, इसका संचालन नहीं हो सका। नतीजा पहले की तरह की नालों का गंदा पानी गंगा में गिर रहा है। इससे गंगा के कछार पर रहने वाले लोग आहत हैं। यही नहीं गंगा के कछार पर कूड़ा करकट फेंकने से भी घाट पर गंदगी का अंबार लगा रहता है, इससे लोगों को आने जाने में भी असुविधा होती है। नगर पंचायत की ओर से भी गंगा के घाट को साफ कराने और गंगा में गिरने वाली गंदगी रोकने के लिए कोई ठोस प्रयास नहीं किया जा रहा है।
कुल पांच नालों से गंगा में गिरता है गंदा पानी
नगर पंचायत मानिकपुर में गंगा कछार पर बसे मोहल्लों में रहने वाले ग्रामीण बताते हैं कि नमामि गंगे योजना के तहत सिर्फ ही नाले पर सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाया गया है जबकि नगर के मोहल्लों का गंदा पानी पांच नालों से होकर गंगा में गिरता है। ऐसे में यह भी तय है कि सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट का संचालन किए गए जाने से गंगा में गिरने वाला गंदा पानी थमेगा नहीं। इसके लिए जिम्मेदारों को सबसे पहले सभी नालों को जोड़कर एक मुख्य नाला बनाना चाहिए जिसका पानी एसटीपी में फिल्टर करने के बाद ही गंगा में छोड़ा जाए। यदि ऐसा नहीं किया गया तो करोड़ों रुपये का सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित करने के बाद भी गंगा में नालों का गंदा पानी गिरता रहेगा।
फाइलों में चल रहा प्रशासन का जागरूकता अभियान
जिल की नगर पंचायत मानिकपुर के साथ ही 18 ग्राम पंचायतें भी ऐसी हैं जो गंगा के कछार पर बसी हैं। इन ग्राम पंचायतों का गंदा पानी भी गंगा में ही गिरता है। इस पर रोक लगाने के लिए जिला प्रशासन की ओर से किए गए अब के सभी प्रयास नाकाफी हैं। गंगा का जल स्वच्छ करने के लिए प्रशासन की ओर से चलाए जा रहे तमाम जागरूकता अभियान भी फाइलों तक सिमट कर रहे गए हैं। जबकि इसके लिए गंगा ग्राम समितियां गठित की गई हैं जिनका काम प्रत्येक ग्रामीण को जागरूक कर यह बताना है कि गंगा जल गंदा न करें। बावजूद इसके जागरूकता के अभाव में ग्रामीण गंगा के जल में ही तमाम गंदगी फेंक रहे हैं। जिससे गंगा का जल प्रदूषित हो रहा है।
सिद्ध पीठ मां ज्वाला देवी का मंदिर यहां की पहचान
मानिकपुर नगर पंचायत की अधिकतर आबादी मां गंगा के कछार पर बसी है, इसके अलावा यह नगर पंचायत पौराणिक मान्यताओं से भी जुड़ी है। मां ज्वाला देवी (योगमाया) का सिद्धपीठ भी इसी नगर पंचायत में है और मां गंगा के घाट से चंद कदम की दूरी है।श्रद्धालु मां ज्वाला देवी धाम पर हजारों की संख्या में दर्शन पूजन करने जुटते हैं। नवरात्र में श्रद्धालुओं का जमावड़ा होता है। इसी तरह कुंडा इलाके में गंगा के कछार पर ही प्रसिद्ध शिवालय बाबा हौदेश्वरनाथ धाम भी है। जहां सफाई की उचित व्यवस्था नहीं होने से गंदगी गंगा में फेंकी जाती है और नालों का पानी गंगा में गिरता है।
गंगा स्नान के लिए वर्ष में दो बार जुटते हैं श्रद्धालु
मानिकपुर से होकर गुजरी गंगा में डुबकी लगाने और पुण्य कमाने के लिए वैसे तो हर दिन घाट पर श्रद्धालु जुटते हैं लेकिन वर्ष में दो बार स्नान करने के लिए श्रद्धालुओं का जबरदस्त जमावड़ा होता है। इसके कार्तिक पूर्णिमा पर पांच दिवसीय मेला और आषाढ़ सप्तमी पर मेले का आयोजन होता है। इन दिवसों पर मानिकपुर गंगा घाट पर श्रद्धालुओं सर्वाधिक भीड़ होती है। ऐसे में नालों से गिरने वाला गंदा पानी और नगर सहित ग्राम पंचायतों की गंदगी से श्रद्धालुओं को समस्या होती है लेकिन जिम्मेदार इस बात से कोई इत्तेफाक नहीं रखते।
पुरोहितों तक नहीं पहुंचा है जागरूकता अभियान
मानिकपुर स्थित मां गंगा के घाट पर तमाम पुरोहित रहते हैं जो स्नान करने के लिए आने वाले श्रद्धालुओं को पिंडदान और पूजन आदि कराते हैं। गंगा के जल में गिर रहे गंदे पानी को लेकर सबसे बड़ी समस्या पुरोहित और उनके यजमानों को होती है लेकिन आज तक न नगर पंचायत की ओर से उन्हें इस बाबत जागरूक किया गया है और न प्रशासन की कोई टीम आज तक घाट पर पहुंची है। पुरोहित कहते हैं कि गंगा में गिरने वाला गंदा पानी देखकर मन आहत होता है लेकिन शिकायत करें भी तो किससे। नगर पंचायत कार्यालय पर कई बार इसकी शिकायत की जा चुकी है लेकिन जिम्मेदारों पर कोई असर नहीं होता। नतीजा सबने चुप्पी साध ली।
शिकायत
- मोहल्लों का गंदा पानी नाले होकर गंगा में गिरने से गंगा का पानी दूषित हो रहा है।
- जागरूकता के अभाव में कछार पर रहने वाले परिवार के लोग कूड़ा कचरा भी गंगा में फेंक देते हैं।
- गंगा को स्वच्छ रखने के प्रति नगर पंचायत और ग्राम पंचायतों में जागरूकता का अभाव है।
- चार वर्ष से बना एसटीपी संचालित नहीं किया जा रहा है जबकि इस पर करोड़ों रुपये खर्च हो चुके हैं।
- गंगा के कछार पर बसी ग्राम पंचायत के लोग भी गंगा का जल गंदा कर रहे हैं।
सुझाव
- गंगा के किनारे बसी ग्राम पंचायतों में स्वच्छता कार्यक्रम सख्ती से लागू कराए जाएं।
- करोड़ों रुपये की लागत से बनाया गया सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट संचालित कराया जाए।
- गंगा को स्वच्छ बनाने के लिए चलाए जा रहे जागरूकता अभियान नियमित किए जाएं।
- गंगा में गंदा पानी गिराने वाले नालों को चिह्नित कर उन्हें सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट से जोड़ा जाए।
- गंगा ग्राम समिति के सदस्यों की नियमित बैठक कर उनके कार्यक्रमों की समीक्षा की जाए।
जरा हमारी भी सुनिए.....
मां गंगा का संरक्षण करने और जल स्वच्छ रखने के लिए प्रशासनिक स्तर पर किए जा रहे प्रयास नाकाफी हैं। प्रशासनिक स्तर पर इसके लिए हम लोगों को संसाधन और सुविधाएं मुहैया कराना चाहिए।
राम भरोस मिश्र, संस्थापक गंगा रक्षा मंच
गंगा में गिरने वाला नालों का गंदा पानी देखकर मन द्रवित हो जाता है। इससे स्नान के लिए आने वाले यजमानों को भी समस्या होती है। करोड़ों की लागत से बनाया गया एसटीपी संचालित कराना चाहिए।
बीएल मिश्र, पुरोहित
गंगा का जल साफ रखने की अपील हम पुरोहित आने वाले यजमानों से करते हैं। यही नहीं यजमानों को जल में गंदगी फेकने से भी रोका जाता है। प्रशासन को इसके लिए लगातार जागरूकता अभियान चलाना चाहिए।
प्रेमनाथ दीक्षित
गंगा के जल में गंदगी न गिरे, इसके लिए नमामि गंगे योजना के तहत करोड़ों रुपये की लागत से मानिकपुर घाट पर सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाया गया लेकिन चार वर्ष बाद भी गंगा में गंदा पानी गिर रहा है।
नागेन्द्र कुमार शुक्ल
गंगा किनारे बसी ग्राम पंचायतों में रहने वाले परिवारों को गंगा स्वच्छता अभियान के प्रति जागरूक करने के लिए प्रशासन की ओर से गंगा ग्राम समितियां गठित की गई हैं। जिसके सदस्य निष्क्रिय हो चुके हैं, जिससे जागरूकता अभियान ठंडा पड़ गया है।
कृष्णा पाठक
गंगा को स्वच्छ बनाने के लिए शासन से करोड़ों रुपये का बजट आवंटित किया जा रहा है लेकिन जिम्मेदारों की ओर से किया जा रहा प्रयास धरातल पर नहीं दिख रहा है। जिम्मेदारों को गंगा स्वच्छता अभियान को गंभीरता से लेना चाहिए।
मोहित मिश्र
मानिकपुर स्थित गंगा घाट पर वैसे तो हर दिन श्रद्धालु स्नान, पूजन करते हैं लेकिन वर्ष में दो बार यहां मेले का आयोजन होता है। ऐसे स्थल पर नाले का पानी गंगा में गिरना मन को द्रवित करता है। जिम्मेदारों को इस पर प्राथमिकता से रोक लगानी चाहिए।
रामसुमेर प्रजापति
मानिकपुर गंगा घाट पर मोहल्लों से निकलने वाला गंदा पानी गंगा में गिरता है जबकि यही जल बोतल में भरकर लोग घर ले जाते हैं। यह श्रद्धालुओं की आस्था से खिलवाड़ करने जैसा है। जिम्मेदारों को इसे गंभीरता से लेकर एसटीपी चालू कराना चाहिए।
चुन्ना मिश्र
मानिकपुर गंगा घाट पर बनाया गया सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट से नगर का सिर्फ एक ही नाला जोड़ा गया है। ऐसे में इसके संचालित होने के बाद भी गंगा में नाले का गंदा पानी गिरेगा। इसके लिए सभी नालों को एसटीपी से जोड़ने की जरूरत है। जिससे गंगा में गंदगी गिरने से रोका जा सके।
मानिचन्द्र मौर्य
बोले जिम्मेदार
गंगा में गंदगी न फेंकी जाए, इसके लिए नगरवासियों को प्रेरित किया जाता है। सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट अब तक नगर पंचायत को हैंडओवर नहीं किया गया है। हैंडओवर होने के बाद सभी नालों को एसटीपी से जोड़कर गंदा पानी फिल्टर करने के बाद ही गंगा में छोड़ा जाएगा।
चन्द्रलता जायसवाल, अध्यक्ष नपं मानिकपुर
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