नगर निगम कर्मियों की जन्म तिथि में बदलाव का निर्णय रद्द
Prayagraj News - इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने नगर निगम प्रयागराज के कर्मचारियों की जन्मतिथि में एकतरफा बदलाव को रद्द कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि कर्मचारियों का पक्ष सुने बिना बदलाव करना अवैध है। कर्मचारियों ने याचिका...

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने नगर निगम प्रयागराज के कर्मचारियों की सेवा पुस्तिका में उनकी जन्मतिथि में किए गए बदलाव को रद्द कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि कर्मचारियों का पक्ष सुने बिना उनकी जन्म तिथि में बदलाव करना अवैध और प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ है। जन्म तिथि में बदलाव के खिलाफ राम नरेश और 5 अन्य कर्मचारियों ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। याचियों का कहना था कि वे दैनिक वेतन भोगी के रूप में काम कर रहे थे। एक जून 1992 को उनकी सेवाओं को नियमित किया गया और उन्होंने गैंगमैन के रूप में पदभार ग्रहण किया। याचिकाकर्ताओं के अनुसार, उनकी नियुक्ति के समय उनकी जन्मतिथि चिकित्सा अधिकारी द्वारा जारी प्रमाण पत्रों के आधार पर दर्ज की गई थी। हालांकि, अक्टूबर 2025 में जब नगर निगम ने बायोमीट्रिक उपस्थिति प्रणाली शुरू की तो उनकी उपस्थिति को सेवा पुस्तिका में दर्ज जन्मतिथि से मेल नहीं खाने के कारण अस्वीकार कर दिया गया। जब कर्मचारियों ने अपनी सेवा पुस्तिकाएं प्राप्त कीं तो पता चला कि जन्मतिथि में एकतरफा बदलाव किया गया था। इस बदलाव के कारण उनकी सेवा अवधि एक से आठ साल तक कम हो गई थी।
कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करते हुए नगर निगम के इस कदम पर कड़ी आपत्ति जताई। न्यायमूर्ति डोनाडी रमेश ने कहा कि कर्मचारियों की जन्मतिथि में बदलाव करने से पहले उन्हें अपना पक्ष रखने का मौका दिया जाना चाहिए था, जो कि इस मामले में नहीं किया गया। अदालत ने नगर निगम की इस दलील को भी खारिज कर दिया कि बदलाव नियमों के अनुसार किया गया था। कोर्ट ने कहा कि नगर निगम का यह फैसला प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन है और यह पूरी तरह से अवैध है। कोर्ट ने नगर निगम को निर्देश दिया कि वह कर्मचारियों की सेवा अवधि को मूल रिकॉर्ड के अनुसार बहाल करे। इसके साथ ही कर्मचारियों को सभी बकाया लाभों का भुगतान किया जाए।
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