Allahabad University Receives 1 8 Crore Project for 6G Research अब 6जी सहित नई टेक्नोलॉजी पर इविवि में होगा काम, Prayagraj Hindi News - Hindustan
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अब 6जी सहित नई टेक्नोलॉजी पर इविवि में होगा काम

Prayagraj News - इलाहाबाद विश्वविद्यालय को इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा 1.8 करोड़ रुपये का प्रोजेक्ट दिया गया है। इस प्रोजेक्ट के तहत 6जी सहित नई तकनीकों पर शोध किया जाएगा। डॉ. नीलेश आनंद...

Newswrap हिन्दुस्तान, प्रयागराजSun, 4 May 2025 10:49 AM
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अब 6जी सहित नई टेक्नोलॉजी पर इविवि में होगा काम

प्रयागराज। इलाहाबाद विश्वविद्यालय (इविवि) को इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने 1.8 करोड़ रुपये का प्रोजेक्ट दिया है, जिसमें 6जी सहित नई टेक्नोलॉजी पर काम किया जाएगा। यह प्रोजेक्ट विश्वविद्यालय को नई तकनीकों के विकास और अनुसंधान में मदद करेगा। भारत सरकार के इलेक्ट्रानिक और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय की ओर से विश्वेश्वरैया पीएचडी योजना-चरण द्वितीय के अंतर्गत इलेक्ट्रानिक एवं सूचना प्रौद्योगिकी में शोध के लिए जनवरी 2025 में आवेदन मांगे गए थे। इसके तहत इलाहाबाद विश्वविद्यालय का चयन हुआ। असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. नीलेश आनंद श्रीवास्तव को कुलपति प्रो. संगीता श्रीवास्तव ने नोडल आफिसर नामित किया है। योजना के तहत आवेदन के परीक्षणोपरांत, भारत सरकार के डिजिटल इंडिया कॉर्पोरेशन, इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने प्रथम बार इस योजना में डॉ. नीलेश के प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए एक करोड़ आठ लाख निन्यानबे हजार चार सौ रुपये की राशि का अनुदान देने का आदेश दिया है।

मंत्रालय ने छात्रों की फेलोशिप, एचआरए, लैब सेटअप, अंतरराष्ट्रीय यात्रा और संस्थान के ओवरहेड के खर्चों को कवर करने के लिए इविवि को इस बजट परिव्यय की मंजूरी दी है। इसके तहत विश्वविद्यालय को पीएचडी की तीन सीटें प्राप्त हुई हैं। पहले दो साल शोधार्थी को 38,750 रुपये प्रति माह और अगले तीन साल के लिए 43,750 रुपये रुपये प्रति माह की फ़ेलोशिप दी जाएगी। प्रति वर्ष शोध के लिए 1.20 लाख मिलेगा पीएचडी के दौरान अनुसंधान से संबंधित खर्चों के लिए प्रति वर्ष 1,20,000 रुपये भी दिए जाएंगे। अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों में भाग लेने के लिए प्रत्येक अभ्यर्थी को 1.5 लाख रुपये तक की वित्तीय सहायता दी जाएगी। इसके अतिरिक्त, इस योजना के तहत तीसरे वर्ष से सभी नामांकित पूर्णकालिक शोधार्थियों को छह महीने के लिए विदेश में प्रयोगशालाओं का दौरा करने का मौका भी मिल सकता है। विदेश यात्रा के दौरान, छह महीने के लिए शोधार्थियों की मासिक फेलोशिप 1.50 लाख रुपये होगी। इसके अलावा, 1.50 लाख रुपये तक की यात्रा/वीज़ा लागत भी प्रदान की जाएगी। डा. नीलेश ने बताया की विश्वविद्यालय के इतिहास में इस तरह की यह पहली योजना है। इससे गुणवत्ता पूर्ण शोध के साथ समाज के लिए उपयोगी नवाचारों की खोज की जाएगी।

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