Train Delays in Uttar Pradesh Platforms Shortage and Overloaded Tracks Cause Major Disruptions यूपी के हर बड़े स्टेशन के आउटर पर फंसती हैं रेलगाड़ियां, Prayagraj Hindi News - Hindustan
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यूपी के हर बड़े स्टेशन के आउटर पर फंसती हैं रेलगाड़ियां

Prayagraj News - उत्तर प्रदेश के प्रमुख रेलवे स्टेशनों पर प्लेटफॉर्म की कमी और ट्रैक पर बढ़ते लोड के कारण ट्रेनें अक्सर आउटर पर रुकी रहती हैं। समर स्पेशल ट्रेनें औसतन 2 से 10 घंटे तक की देरी का सामना कर रही हैं।...

Newswrap हिन्दुस्तान, प्रयागराजTue, 3 June 2025 10:52 AM
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यूपी के हर बड़े स्टेशन के आउटर पर फंसती हैं रेलगाड़ियां

प्रयागराज, वरिष्ठ संवाददाता। उत्तर प्रदेश के प्रमुख रेलवे स्टेशनों पर प्लेटफॉर्म की कमी और ट्रैक पर बढ़ते लोड के कारण ट्रेनें अक्सर आउटर पर रुकी रहती हैं। हालांकि वंदेभारत, तेजस, शताब्दी और राजधानी एक्सप्रेस जैसी प्रीमियम ट्रेनों के लिए अक्सर रूट क्लियर करा दिया जाता है, लेकिन आम सवारी गाड़ियों विशेषकर समर स्पेशल ट्रेनों को सबसे अधिक विलंब का सामना करना पड़ रहा है। हालत ये है कि समर स्पेशल ट्रेनें औसतन दो से 10 घंटे तक की देरी से चल रही हैं, जिससे यात्रियों को भारी असुविधा हो रही है। हैरानी की बात ये है कि यूपी में आगरा मंडल को छोड़ किसी भी रेल मंडल में 80 प्रतिशत भी ट्रेनें समय पर नहीं चल रही हैं।

सबसे बड़े मंडल प्रयागराज में ट्रेनों की समयपालनता केवल 72 प्रतिशत ही है। रेलवे के अधिकारियों का मानना है कि लेटलतीफी की मुख्य वजह ट्रैक पर क्षमता से अधिक ट्रेनों का संचालन, प्लेटफॉर्म की कमी और अलार्म चेन पुलिंग (एसीपी) जैसी अनावश्यक रुकावटें हैं। उत्तर प्रदेश के प्रमुख स्टेशनों पर ट्रेनों की लेटलतीफी पर सोमवार को आपके अपने अखबार हिन्दुस्तान ने पड़ताल की तो पता चला कि प्लेटफार्मों की कमी के कारण ट्रेनें आउटर पर रोकी जा रही हैं। प्रमुख स्टेशनों की स्थिति: प्रयागराज: केवल 72 प्रतिशत समयपालनता महाकुम्भ 2025 के पहले ही प्रयागराज के प्रमुख रेलवे स्टेशनों पर प्लेटफॉर्म की संख्या बढ़ाई गई थी। रामबाग रेलवे स्टेशन पर छह से सात, झूंसी, प्रयाग और छिवकी में तीन से चार और सूबेदारगंज में चार से बढ़ाकर छह प्लेटफॉर्म किए गए थे। इसके साथ ही 90 प्रतिशत से अधिक मालगाड़ियों को डीएफसी पर शिफ्ट किया जा चुका है। इसके कारण दिल्ली-हावड़ा रूट पर यातायात कम हुआ और तेजस, शताब्दी, राजधानी और वंदेभारत जैसी ट्रेनों की समयपालनता में सुधार हुआ। इन सब कदमों के बावजूद प्रयागराज मंडल में अब भी सिर्फ 72 प्रतिशत ट्रेनें समय पर चल रही हैं। लखनऊ: आधा घंटा तक आउटर में फंसती हैं ट्रेनें उत्तर रेलवे के चारबाग स्टेशन पर नौ में से सात प्लेटफॉर्म फुल लेंथ(24 बोगी का प्लेटफॉर्म) के हैं। रोज 272 ट्रेनों में से 10-12 ट्रेनें रोज 20-30 मिनट आउटर में फंसती हैं। एक जून को ही 11 ट्रेनों को 20 मिनट से अधिक समय तक आउटर पर रोका गया था। वहीं, एनईआर लखनऊ मंडल के गोमतीनगर और ऐशबाग स्टेशनों का अपग्रेडेशन होने से वहां की स्थिति बेहतर हुई है। गोरखपुर: वंदेभारत भी औसतन 15 मिनट लेट गोरखपुर रेलवे स्टेशन पर 10 प्लेटफॉर्म हैं, जिनमें एक पैसेंजर ट्रेनों के लिए रिजर्व है। रोज 160 ट्रेनें गुजरती हैं, जबकि स्टेशन की क्षमता 45 प्रतिशत तक ओवरलोड है। दो आउटर (कैंट और डोमिनगढ़) पर अक्सर ट्रेनों को 20-60 मिनट तक रोका जाता है। वंदेभारत ट्रेन औसतन 15-20 मिनट लेट होती है। दो नए प्लेटफॉर्म प्रस्तावित हैं। आगामी दिनों में दो नए प्लेटफॉर्म बनाए जाएंगे। सरदारनगर- खजनी- सहजनवा बाईपास लाइन प्रस्तावित है। इसके बन जाने से गोरखपुर जंक्शन पर मालगाड़ियों का लोड बहुत हद तक कम हो जाएगा। कानपुर: हर तीसरी ट्रेन आउटर पर रुकती है कानपुर सेंट्रल में दस प्लेटफॉर्म हैं, जबकि जरूरत 13 की है। इस स्टेशन से रोज़ाना करीब 270 ट्रेनें संचालित होती हैं। लगभग 130 ट्रेनें हर दिन आउटर पर 5-10 मिनट खड़ी रहती हैं। दिल्ली, झांसी और हावड़ा रूट पर हर दूसरी-तीसरी ट्रेन को आउटर में रोकना पड़ता है। डीएससी चालू होने से मेल/एक्सप्रेस ट्रेनों की 60 प्रतिशत लेटलतीफी घटी है। झांसी: तकनीकी कारणों से ट्रेनें होती हैं लेट झांसी रेलवे स्टेशन पर सात प्लेटफॉर्म हैं और मालगाड़ियों को यार्ड लाइन से निकाला जाता है, जिससे यात्री ट्रेनों की आवाजाही सुगम है। थर्ड लाइन के चलते आउटर पर गाड़ियां नहीं रोकनी पड़तीं। नॉन-इंटरलॉकिंग और तकनीकी कारणों से ही ट्रेनें लेट होती हैं। झांसी में ट्रेन लेट होने का कारण चेन पुलिंग और तकनीकी कारण है। --- बॉक्स डीएफसी से दिल्ली-हावड़ा रूट हुआ खाली प्रयागराज। डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (डीएफसी) पर मालगाड़ियों को शिफ्ट कर सवारी गाड़ियों के लिए ट्रैक खाली किए गए हैं। इसका सबसे ज्यादा फायदा प्रयागराज मंडल को हुआ है। दिल्ली-हावड़ा रूट पर डीएफसी के कारण वंदे भारत व राजधानी जैसी ट्रेनों की लेटलतीफी बंद हो गई। वहीं, सामान्य ट्रेनें की समयपालनता में 80 प्रतिशत सुधार हुआ। इससे प्रयागराज, कानपुर, टूंडला, अलीगढ़, इटावा, मिर्जापुर, चुनार, विंध्याचल और फतेहपुर को सबसे ज्यादा फायदा हुआ हैं। कोट- चेन पुलिंग की घटनाएं हर दिन ट्रेनों को 10-15 मिनट तक रोक देती हैं, जिससे प्लेटफॉर्म पर आने वाली दूसरी ट्रेनें भी प्रभावित होती हैं। शशिकांत त्रिपाठी, सीपीआरओ, उत्तर मध्य रेलवे

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