Rai Bareli Roads in Dire Condition Danger to Public Safety बोले रायबरेली: बदहाल सड़कों से लोगों की जान जोखिम में, Raebareli Hindi News - Hindustan
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बोले रायबरेली: बदहाल सड़कों से लोगों की जान जोखिम में

Raebareli News - शहर से लेकर ग्रामीण अंचल तक की कई सड़कें जानलेवा बन चुकी हैं। कई सड़कें पूरी तरह से टूट चुकी हैं। सड़कों में गड्ढे हैं या गड्ढों में सड़क कह पाना मुश्किल है।

Newswrap हिन्दुस्तान, रायबरेलीThu, 24 April 2025 10:50 PM
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बोले रायबरेली: बदहाल सड़कों से लोगों की जान जोखिम में

रायबरेली, संवाददाता। शहर से लेकर ग्रामीण अंचल तक की कई सड़कें जानलेवा बन चुकी हैं। जिनमें गड्ढे हो गए हैं जिसकी वजह से आए दिन हादसे होते रहते हैं। कई सड़कें पूरी तरह से टूट चुकी हैं। सड़कों में गड्ढे हैं या गड्ढों में सड़क कह पाना मुश्किल है। सरकारी आंकड़े बताते हैं कि जिले की 482 सड़कें खराब हो चुकी हैं, जिन्हें बनाने की आवश्यकता है। इनमें कुछ मार्ग गड्ढों में तब्दील हो चुके हैं।

शहर की सड़कें हो या फिर ग्रामीण क्षेत्रों की सभी सड़कों में इतने गड्ढे हो चुके हैं कि लोगों का चलना दूभर हो चुका है। आपके अपने अखबार हिन्दुस्तान ने इस मुद्दे पर लोगों से बात की। लोगों ने खुलकर इस समस्या पर अपनी बात रखी। शहर की कई सड़कें जो पाइप लाइन, सीवर लाइन डालने के लिए खोद दी गई हैं अभी तक ऐसे पूरी तरह गड्ढों में तब्दील हो चुकी हैं। इन मार्गों में मधुबन रोड, आईटीआई कालोनी रोड, इंदिरा नगर पावर हाउस रोड, नेहरू नगर, सत्य नगर, निराला नगर, अयोध्यापुरी, शक्ति नगर, नया पुरवा, आनंद नगर, सुभाष नगर आदि में मुख्य मार्ग क्षतिग्रस्त हो गए हैं। कई महीने बीत जाने के बाद भी इन की सुधि लेने वाला कोई नहीं है।

लोगों ने बताया कि इन सड़कों से प्रतिदिन हजारों भारी और हल्के वाहनों का आवागमन है। हजारों स्कूली बच्चे निकलते हैं। लोगों का कहना है कि इसके अलावा भी जिले की कई सड़कें पूरी तरह गड्ढों में तब्दील हो चुकी हैं। आए दिन जलभराव होता है जिसकी वजह से हादसे होते रहते हैं। केवल शहर की सड़कें ही नहीं बल्कि जिले की अधिकांश सड़कें पूरी तरह गड्ढों में तब्दील हो चुकी हैं। आलम यह है कि शहर में सीवर लाइन बिछाने के लिए सड़कों को खोद डाला गया पर मरम्मत नहीं कराई गई। ऐसे में इन सड़कों पर गड्ढे ही गड्ढे हैं। लगभग हर मोहल्ले की सड़क खुदी हुई है।

शहर में सीवर लाइन बिछाने का काम चल रहा है। इसके लिए हर गली, मोहल्ले की करीब 20 सड़कें उखाड़ दी गईं हैं। सीवर लाइन डालने के बाद ज्यादातर सड़कें बनाई नहीं गईं। जिन सड़कों की मरम्मत कराई, वह भी ध्वस्त हो गईं। रायबरेली-लखनऊ हाईवे से आईटीआई कॉलोनी, भवानी पेपरमिल होते हुए रायबरेली-सुल्तानपुर हाईवे को जोड़ने वाले मार्ग की अब तक मरम्मत नहीं कराई गई। सबसे बुरा हाल इंदिरा नगर का है यहां की मुख्य सड़क करीब तीन माह पहले खोद दी गई है लेकिन फिर से सड़क दुरस्त नहीं कराई गई है। मुख्य मार्ग में लगभग दो दर्जन से अधिक दुकानें है उड़ती धूल से कारोबार चौपट हो रहा है। धूल से लोग बीमार हो रहे हैं।

इस मार्ग से प्रतिदिन अधिकारी से लेकर जन प्रतिनिधि तक गुजरते हैं, लेकिन सड़क की बदहाली किसी को नहीं दिखाई देती। शहर में जिन सड़कों की खोदाई की गई, उसमें सभी सड़कें नगर पालिका की हैं। इसी तरह ग्रामीण इलाकों में जहां गंगा एक्सप्रेस वे निर्माण हो रहा है उन क्षेत्रों में जो भी सड़के हैं वह पूरी तरह से नष्ट हो गई हैं हालत ये है कि उनमें से दो पहिया वाहनों तक का निकलना मुश्किल है। इनमें से उबरनी संपर्क मार्ग, विनोवापुरी संपर्क मार्ग, मधवापुर, लालगंज, डलमऊ, ऊंचाहार, जगतपुर, दीनशाह गौरा आदि क्षेत्रों की दर्जनों सड़कें खराब हो चुकी हैं।

शिकायतें

-दो साल से जिले की प्रमुख सड़के नहीं बनी है कोई इसको देखने वाला नहीं है। कई बार शिकायतें की गईं लेकिन कोई प्रभावी निस्तारण नहीं हुआ।

-लगातार उड़ती धूल से लोग परेशान होते हैं। कई साल से मुद्दे उठाए जा रहे हैं लेकिन कोई समाधान नहीं निकला है। लोग परेशान हैं।

-शहर के कई बदहाल मार्गों में स्कूल, अस्पताल आदि महत्वपूर्ण संस्थान हैं। इसके बावजूद इसकी ओर किसी जिम्मेदार का ध्यान नहीं है।

-सड़क की उड़ती धूल से सांस की बीमारी का खतरा बना रही है। इससे लोग बहुत ही परेशान होते हैं। कई साल से यह मार्ग खराब है।

-सड़कों में बड़े बड़े गड्ढे हो गए हैं। अक्सर इस मार्ग से निकलने वाले स्कूली बच्चे इसमें गिरकर चोटिल होते रहते हैं। इसका कोई स्थाई समाधान नहीं निकला।

सुझाव

-सड़क का जल्द निर्माण कराया जाना चाहिए। जिससे कि इस मार्ग से गुजरने वाले लोगों को राहत मिल सके।

-जिले की महत्वपूर्ण सड़कों पर बड़े-बड़े गड्ढे हैं। इसमें जलभराव हो जाता है। इसे दूर कराया जाना चाहिए।

-सड़क में गड्ढे या खराब सड़क बनाने के लिए भी कोई टोल फ्री नंबर जारी किया जाए जिसके चलते शिकायत पर तुरंत कार्रवाई हो।

-गंगा एक्सप्रेस वे पर मिट्टी ढुलाई के कारण जिन सड़कों को तोड़ दिया गया है। इन सड़कों को जल्द बनवाया जाए।

-जो सड़कें खराब हों, उन पर भारी वाहनों को प्रतिबंधित किया जाए। सड़क बनने के बाद ही आवागमन बहाल किया जाए।

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नंबर गेम

482 सड़के जिले में गड्ढों से युक्त हैं

7500 भारी वाहन जिले में पंजीकृत हैं

05 लाख से अधिक आबादी खराब सड़कों से प्रभावित

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ये मार्ग हैं बेहद जर्जर

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-कुंदनगंज से पश्चिम गांव मार्ग की पांच किमी रोड बदहाल है। इस मार्ग के इस हिस्से में सबसे अधिक दिक्कत है।

-लोधवामऊ से चकपीर शाह का सात किलोमीटर मार्ग खराब है। दो साल सड़क खराब पड़ी है।

-लाही बार्डर से बहुधा कला 2.5 किमी की सड़क पांच साल से खराब है। इसको ठीक कराने की मांग काफी दिनों से है।

-डिग्री कालेज से त्रिपुला तक 4 किमी की सड़क का चौड़ीकरण अटका है। एक तरफ काम हो गया है और दूसरी तरफ का बाकी है।

-थुलरई से बेलाखारा मार्ग 6 किमी लंबा है। दो साल से यह मार्ग खराब है। नवीनीकरण की बाट जोह रहा है।

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करोड़ों खर्च करने का नहीं मिलता लाभ

रायबरेली। करोड़ों रुपए पानी की तरह बहाए जाने के बाद जिले की सड़को की बदहाली आम है। गांव, कस्बा क्षेत्र सिर्फ खराब सड़क का रोना रो रहे हैं। बारिश के मौसम में सड़कों की स्थिति और भी दयनीय हो जाती है। हालात यह है कि पैच तक का कार्य ठीक तरीके से नहीं कराया जाता। अभी करीब सात माह पहले डलमऊ-जगतपुर मार्ग का पैच कार्य हुआ। उसके बाद दूसरे दिन ही यह उखड़ गई बाद में जब लोगों ने आपत्ति की तो इसको ठीक कराया गया। सड़क निर्माण में भी मानकों की ऐसी धज्जियां उड़ाई जाती हैं कि यह बनने के कुछ ही दिन में बदहाल हो जाती हैं।

खासकर डलमऊ क्षेत्र की सड़कें गहरे जख्मों से कराह रही हैं। लोक निर्माण विभाग लाखों रुपए खर्च कर सड़कों में बने गढ्डों को बंद करता है, लेकिन पैच ऐसे होते हैं कि एक सप्ताह भी ठीक से नहीं चल पाते। इस तरह यह सड़कें जल्द ही गढ्डों में तब्दील हो जाती हैं। मुराई बाग ऊंचाहार मार्ग व डलमऊ क्षेत्र में कल्यानपुर बेंती मुख्य संपर्क मार्ग की हालत दयनीय है। कई सड़कों की हालत यह है कि सड़क कच्ची है या पक्की, पहचान करना मुश्किल हो गया है। मार्ग से बड़े वाहनों के गुजरने के बाद कुछ पलों के लिए लोग धूल के गुब्बार में खो जाते हैं। मुराई बाग ऊंचाहार व लालगंज मुख्य मार्ग में बीते एक साल में करीब सात बार पैच कराई जा चुकी है लेकिन मार्ग के जख्म जल्द ही ज्यों के त्यों हो जाते हैं।

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