आर्य समाज चित्र नहीं चरित्र का पूजक
Saharanpur News - गंगोह आर्य समाज सुखेडी का त्रिदिवसीय वार्षिकोत्सव यज्ञ, उपदेश और प्रवचनों के साथ संपन्न हुआ। प्राचार्य विजेन्द्र कुमार ने मूर्तिपूजा पर प्रकाश डाला। आर्य समाज के लोग महापुरुषों के आदर्शों से सीखते...

गंगोह आर्य समाज सुखेडी का त्रिदिवसीय वार्षिकोत्सव यज्ञ, उपदेश और प्रवचनों के साथ संपन्न हो गया है। समापन पर गुरुकुल झरौली के वैदिक विद्वान प्राचार्य विजेन्द्र कुमार ने कहा कि मूर्तिपूजा आर्य समाजी भी करते हैं। अंतर इतना है कि आर्य समाजी ईश्वर की बनाई मूर्ति को पूजते हैं जबकि पौराणिक लोग इंसान द्वारा बनाई गई मूर्तियों की पूजा करते हैं। आर्य समाज के लोग माता-पिता, आचार्य और वैदिक विद्वानों का सत्कार और सम्मान करते हैं तथा मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम, योगीराज श्रीकृष्ण, महर्षि दयानन्द जेसे महापुरुषों के आदर्शों से सीख ग्रहण करते है। भजनोपदेशक ऋषिपाल आर्य ओलरा, अंशुल आर्य, वेदिका आर्या, देवेंद्र आर्य रंगेल, प्रसन्न मुनि ने प्रेरक भजन प्रस्तुत किए।
वीरसिंह भावुक ने कहा कि भारत राष्ट्र को गुलामी से मुक्त कराने में पिचासी प्रतिशत भूमिका आर्य समाज के लोगोँ की रही। संरक्षक सोमपाल आर्य, राजपाल आर्य, प्रधान सुखपाल आर्य, मंत्री नकलीराम आर्य, कोषाध्यक्ष मनीष आर्य, ग्राम प्रधान यशपाल आर्य, रमेश आर्य, डॉ. ताराचंद आर्य आदि रहे।
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