Lack of Cricket Ground at Dr Bhimrao Ambedkar Sports Stadium Hinders Young Talents बोले सहारनपुर : युवा क्रिकेटरों के सपनों की पिच अधूरी, Saharanpur Hindi News - Hindustan
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बोले सहारनपुर : युवा क्रिकेटरों के सपनों की पिच अधूरी

Saharanpur News - डॉ. भीमराव आंबेडकर स्पोर्ट्स स्टेडियम में एथलीट्स के लिए सिंथेटिक ट्रैक है लेकिन क्रिकेट खिलाड़ियों के लिए कोई ग्राउंड नहीं है। खिलाड़ियों का कहना है कि बिना ग्राउंड के उनकी प्रैक्टिस बेकार हो रही है...

Newswrap हिन्दुस्तान, सहारनपुरSat, 24 May 2025 02:45 AM
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बोले सहारनपुर : युवा क्रिकेटरों के सपनों की पिच अधूरी

डॉ. भीमराव आंबेडकर स्पोर्ट्स स्टेडियम में एथलीट के लिए वेस्ट यूपी का एकमात्र सिंथेटिक ट्रैक तो है, लेकिन क्रिकेट खिलाड़ियों के लिए क्रिकेट ग्राउंड नहीं है। बिना ग्राउंड कैसे कोई बच्चा भारतीय टीम में शामिल होकर जिले का नाम रोशन करेगा। स्टेडियम में दो कोच बच्चों को क्रिकेट का हुनर सिखा रहे हैं। जहां खिलाड़ी क्रिकेट में आगे बढ़ने का सपना देख रहा है वहीं उनकों क्रिकेट ग्राउंड मिलने का बेसब्री से इंतजार है। हर कोई चाहता है कि उसका बच्चा क्रिकेट में आगे बढ़कर भारतीय टीम में शामिल हो और जिले का नाम रोशन करे। बच्चों को क्रिकेट में मंजिल तक पहुंचाने का सपना तो सभी अभिभावक देख रहे हैं लेकिन संसाधनों का अभाव और क्रिकेट का हुनर सिखने के लिए क्रिकेट मैदान का ना होना बड़ी समस्या पैदा कर रहा है।

जानकर ताज्जुब होगा कि डॉ भीमराव आंबेडकर स्पोर्ट्स स्टेडियम में एथलीट के लिए सिंथेटिक ट्रैक की सुविधा तो है जो पश्चिम यूपी का एकमात्र ट्रैक है, लेकिन क्रिकेट खिलाड़ियों के लिए क्रिकेट ग्राउंड नहीं है। बिना ग्राउंड कैसे कोई बच्चा भारतीय टीम में शामिल होकर जिले का नाम रोशन करेगा। स्टेडियम में दो कोच बच्चों को क्रिकेट का हुनर सिखा रहे हैं। जहां खिलाड़ी क्रिकेट में आगे बढ़ने का सपना देख रहा है वहीं उनकों क्रिकेट ग्राउंड मिलने का बेसब्री से इंतजार है। आज के युग में युवा खिलाड़ियों का पसंदीदा खेल क्रिकेट है। युवा चाहते हैं कि क्रिकेट में नाम कमाया जाए। क्रिकेट में नाम कमाकर शोहरत और पैसा दोनों आसानी से मिल जाता है। इसी चाहत में काफी संख्या में क्रिकेट खिलाड़ी डॉ भीमराव आंबेडकर स्पोर्ट्स स्टेडियम में क्रिकेट के गुर सीखने पहुंचते हैं। क्रिकेट खिलाड़ियों का कहना है कि उनकी सबसे बड़ी समस्या स्टेडियम में क्रिकेट ग्राउंड का ना होना है। अब ऐसे में बिना क्रिकेट पिच के क्रिकेट में युवा कैसे आगे बढ़ेंगे। खिलाड़ियों ने कहा कि स्टेडियम में उनके लिए ग्राउंड होना चाहिए, बिना उसके उनकी प्रैक्टिस बेकार साबित हो रही है। एक नहीं कई समस्याओं से परेशान युवा क्रिकेटरों का कहना है कि हमें क्रिकेट मैच खेलने के लिए बाहर दूसरे ग्राउंड पर खेलने के लिए जाना पड़ता है। बिना पैसे के किसी ग्राउंड पर कोई खेलने नहीं देता। खिलाड़ियों पर इतना पैसा नहीं है कि वह खेल के मैदान की फीस देकर मैदान को बुक करके खेल सके। खिलाड़ियों ने कहा कि स्टेडियम में काली मिट्टी से क्रिकेट पिच को बनवाया जाए। जिला प्रशासन काली मिट्टी उपलब्ध कराने में मदद करें। उनका कहना है कि काली मिट्टी की पिच बनने से बाउंस अच्छा रहता है। स्पोर्ट्स स्टेडियम में प्रैक्टिस नेट पर काली मिट्टी की पिच बनी हुई है। क्रिकेट खिलाड़ियों ने कहा कि सभी ब्लाकों में खेल के मैदान होने चाहिए। मिनी स्टेडियम बनेंगे तो खेल प्रतिभाएं आगे आएंगी। क्रिकेट खिलाड़ियों ने कहा कि जिले में बड़ी संख्या में खेल प्रतिभाएं है। शहर में खेल का मैदान होने के कारण खिलाड़ियों को ग्रामीण क्षेत्रों से स्टेडियम आना पड़ता है। इससे खिलाड़ियों का समय बर्बाद होने के साथ-साथ आर्थिक हानि होती है। स्टेडियम है, लेकिन क्रिकेट ग्राउंड नहीं डॉ. भीमराव आंबेडकर स्पोर्ट्स स्टेडियम, जो जिले का प्रमुख खेल परिसर है, वहां एथलीट्स के लिए सिंथेटिक ट्रैक की सुविधा उपलब्ध है-जो कि पश्चिम उत्तर प्रदेश में एकमात्र ट्रैक है। लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि इसी स्टेडियम में क्रिकेट खिलाड़ियों के लिए कोई समर्पित क्रिकेट ग्राउंड मौजूद नहीं है। जबकि इस स्टेडियम में 70 से अधिक पंजीकृत क्रिकेट खिलाड़ी नियमित रूप से अभ्यास करते हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि जब मैदान ही नहीं, तो खिलाड़ी अभ्यास कहां करें? क्रिकेट खिलाड़ियों के लिए पिच और मैदान उतना ही जरूरी है, जितना सिंगर के लिए माइक। जब कोई खिलाड़ी दिन-रात मेहनत कर रहा हो, तो उसे यह उम्मीद होती है कि उसे कम से कम मूलभूत सुविधाएं मिलेंगी। लेकिन जब स्टेडियम में नेट्स की हालत खस्ता हो, बॉलिंग और बैटिंग प्रैक्टिस के लिए जगह न हो, तब उनके हौसले टूटने लगते हैं। खिलाड़ियों का कहना है कि स्टेडियम की प्रैक्टिस नेट पर कैमरे जैसी बुनियादी सुरक्षा सुविधाएं भी नहीं हैं। --- पैसा देकर बाहर खेलते है मैच, खिलाड़ियों पर दोहरा बोझ स्थानीय खिलाड़ियों को अक्सर दूसरे शहरों या निजी मैदानों में जाकर प्रैक्टिस करनी पड़ती है, जहां उन्हें फीस देनी पड़ती है। एक क्रिकेटर के अनुसार, “हमें एक मैच खेलने के लिए मैदान बुक कराने में 500 से 1000 रुपये तक खर्च करने पड़ते हैं। कई बार हमें अपनी जेब से किट खरीदनी पड़ती है, जिसकी कीमत 5000 से 6000 तक जाती है। हमारे पास इतने पैसे नहीं हैं कि हम हर बार पैसे देकर खेल सकें।” यह स्थिति उन खिलाड़ियों के लिए और अधिक चुनौतीपूर्ण हो जाती है जो ग्रामीण क्षेत्रों से आते हैं। कोच हैं, लेकिन सिस्टम कमजोर स्पोर्ट्स स्टेडियम में भले ही दो प्रशिक्षित कोच खिलाड़ियों को क्रिकेट का प्रशिक्षण दे रहे हों, लेकिन जब उनके पास खुद खेलने के लिए समुचित मैदान और मानक पिच की सुविधा नहीं है, तो यह प्रशिक्षण कितना प्रभावशाली हो सकता है, यह सोचने का विषय है। कोच अपनी पूरी मेहनत, अनुभव और ज्ञान के साथ बच्चों को खेल की बारीकियां सिखाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन मैदान की अनुपलब्धता उनके प्रयासों को अधूरा बना रही है। क्रिकेट ऐसा खेल है, जिसमें थ्योरी नहीं, बल्कि प्रैक्टिकल अभ्यास ज्यादा मायने रखता है। जब खिलाड़ी वास्तविक पिच पर गेंद को बाउंस होते नहीं देखेगा, फील्डिंग के लिए मैदान नहीं होगा, तो कोच उसे कितनी भी तकनीक सिखा लें, वह मैदान में जाकर उतना कारगर साबित नहीं हो पाएगा। इसीलिए मैदान न होने से खिलाड़ियों का आत्मविश्वास और सीखने की प्रक्रिया दोनों प्रभावित हो रही हैं। सिस्टम की यह कमी न केवल खिलाड़ियों को पीछे धकेल रही है, बल्कि कोचों की मेहनत और समर्पण को भी व्यर्थ कर रही है। जब तक खिलाड़ियों को आधारभूत संरचना उपलब्ध नहीं कराई जाएगी, तब तक कोच की कुशलता भी रंग नहीं ला पाएगी। स्टेडियम में क्रिकेट ग्राउंड होने से बढ़ेगा सरकारी राजस्व यदि स्पोर्ट्स स्टेडियम में समर्पित क्रिकेट ग्राउंड का निर्माण किया जाए, तो इससे न केवल खिलाड़ियों को सुविधा मिलेगी, बल्कि सरकारी राजस्व में भी उल्लेखनीय बढ़ोतरी हो सकती है। क्रिकेट देश का सबसे लोकप्रिय खेल है और इसके लिए स्टेडियम की मांग हमेशा बनी रहती है। यदि यहां एक अच्छा क्रिकेट ग्राउंड विकसित किया जाता है, तो स्थानीय, जिला स्तरीय और राज्य स्तरीय टूर्नामेंट आयोजित किए जा सकते हैं, जिससे टिकट बिक्री, आयोजन शुल्क और अन्य सेवाओं से आय प्राप्त हो सकती है। इसके अलावा, निजी अकादमियों और क्लबों को किराए पर ग्राउंड उपलब्ध कराने से भी स्थायी आय स्रोत तैयार हो सकता है। विज्ञापन, ब्रांडिंग और प्रायोजकों से भी आर्थिक लाभ मिल सकता है। इस प्रकार, क्रिकेट ग्राउंड सिर्फ खिलाड़ियों के लिए नहीं, बल्कि शासन के लिए भी एक आर्थिक अवसर बन सकता है। संसाधनों की भारी कमी से मनोबल पर असर मुजफ्फरनगर, छुटमलपुर, नकुड़, गंगोह और देहात क्षेत्रों से दर्जनों खिलाड़ी हर दिन सहारनपुर स्टेडियम पहुंचते हैं। लेकिन जब उन्हें ना तो खेलने के लिए ज़मीन मिलती है, ना ढंग की पिच, ना इच्छानुसार पर्याप्त सपोर्ट, तो उनका मनोबल गिरता है। स्टेडियम में पंजीकृत खिलाड़ियों के अलावा अन्य खेलों के बिना पंजीकृत बाहरी खिलाड़ी भी पहुंचते हैं, जो अक्सर दुर्व्यवहार करते हैं और पंजीकृत खिलाड़ियों की प्रैक्टिस में बाधा डालते हैं। काली मिट्टी की पिच की मांग खिलाड़ियों ने जिला प्रशासन से यह मांग की है कि स्टेडियम में काली मिट्टी से एक स्थायी पिच तैयार कराई जाए, ताकि वे बेहतर प्रैक्टिस कर सकें। उनका कहना है कि काली मिट्टी की पिच पर बाउंस अच्छा रहता है और बल्लेबाजों को बल्लेबाजी की उच्च गुणवत्ता मिलती है। खिलाड़ियों की यह मांग कोई नई नहीं है, लेकिन आज तक उस पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। मिनी स्टेडियमों की जरूरत खिलाड़ियों का कहना है कि हर ब्लॉक स्तर पर मिनी स्टेडियम बनाए जाने चाहिए, ताकि ग्रामीण क्षेत्रों से आने वाले खिलाड़ियों को हर दिन शहर का सफर न करना पड़े। इससे न केवल समय और पैसे की बचत होगी, बल्कि अधिक से अधिक युवाओं को खेल से जोड़ने का अवसर मिलेगा। कठिनाइयों के बावजूद चमकते सितारे हालांकि संसाधनों की भारी कमी है, फिर भी सहारनपुर के कई खिलाड़ी राज्य और राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में भाग लेकर जिले का नाम रोशन कर रहे हैं। यह खिलाड़ियों की हिम्मत और जुनून का परिणाम है, न कि व्यवस्था की सफलता। सपनों को चाहिए सपोर्ट सहारनपुर में क्रिकेट प्रतिभा की कोई कमी नहीं है। जरूरत है तो सिर्फ उन्हें एक सही मंच, सही मैदान और सही मार्गदर्शन देने की। यदि खिलाड़ियों को बुनियादी सुविधाएं मिलें, तो यकीनन सहारनपुर से भी विराट कोहली, रोहित शर्मा और जसप्रीत बुमराह जैसे नाम निकल सकते हैं। यह जिम्मेदारी न केवल खेल विभाग की है, बल्कि पूरे समाज की है। ------------------------------------------------------------------ शिकायतें 1.स्टेडियम में क्रिकेट खेलने के लिए समर्पित मैदान नहीं है। 2.मौजूदा नेट प्रैक्टिस क्षेत्र को बेहतर बनाने की आवश्यता है। 3.कोच तो हैं, लेकिन उन्हें अभ्यास के लिए आवश्यक पिच व मैदान नहीं मिल रहा। 4.बिना पंजीकृत खिलाड़ी मैदान में घुसकर पंजीकृत खिलाड़ियों को परेशान करते हैं। 5.खिलाड़ियों को दूसरे शहरों में मैदान किराए पर लेकर खेलना पड़ता है। 6.खिलाड़ियों को स्वयं 5-6 हजार की क्रिकेट किट खरीदनी पड़ती है। 7.नेट एरिया में सीसीटीवी कैमरे जैसे बुनियादी सुरक्षा उपाय नहीं हैं। 8.स्टेडियम में क्रिकेट की पर्याप्त प्रतियोगिताएं नहीं होतीं जिससे खिलाड़ियों को प्लेटफॉर्म नहीं मिलता। 9.गांवों से शहर आने में समय और पैसे दोनों की बर्बादी होती है। सुझाव 1.स्टेडियम परिसर में स्थायी पिच और मैदान की व्यवस्था की जाए। 2.मजबूत सुरक्षा जाल, प्रकाश और उचित रखरखाव की व्यवस्था हो। 3.कोच को तकनीकी सपोर्ट, उपकरण व मैदान देकर प्रशिक्षण की गुणवत्ता बढ़ाई जाए। 4.अपंजीकृत खिलाड़ियों की एंट्री प्रतिबंधित हो और कोच की निगरानी में प्रैक्टिस हो। 5.ब्लॉक स्तर पर मिनी स्टेडियम बनाकर खिलाड़ियों को सुविधाएं दी जाएं। 6.आर्थिक रूप से कमजोर खिलाड़ियों को सब्सिडी या मुफ्त किट दी जाए। 7.खिलाड़ियों की सुरक्षा के लिए स्टेडियम परिसर को मॉनिटरिंग में लाया जाए। 8.नियमित क्रिकेट टूर्नामेंट कराकर खिलाड़ियों को मंच दिया जाए। 9.दूरदराज़ से आने वाले खिलाड़ियों के लिए ट्रैवल पास या यात्रा भत्ता मिले। 10.खेल विभाग और ज़िला प्रशासन की नियमित बैठकें हों व खिलाड़ियों की शिकायतों पर त्वरित कार्रवाई सुनिश्चित की जाए। --------------------------------------------------------- 0-हमारी भी सुनों 1.हम रोज प्रैक्टिस करने आते हैं लेकिन मैदान ही नहीं है। नेट को भी सही करने की जरूरत है। बाहर जाकर मैदान किराए पर लेकर खेलना पड़ता है, जो सबके बस की बात नहीं। -आशू, खिलाड़ी 2.हम चाहते हैं कि सहारनपुर में भी अच्छा क्रिकेट ग्राउंड हो, जिससे हमारी प्रैक्टिस ठीक से हो सके। बिना मैदान के खिलाड़ी का सपना अधूरा रह जाता है। -सोनित, खिलाड़ी 3.कोचिंग तो मिल रही है लेकिन जब पिच और मैदान ही नहीं है, तो मैच की तैयारी अधूरी रह जाती है। सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए। -गगन, खिलाड़ी 4.हम दूसरे शहरों में पैसे देकर खेलने जाते हैं। यहां अगर ग्राउंड बन जाए तो समय और पैसा दोनों बचेगा और हम बेहतर प्रैक्टिस कर पाएंगे। -आदित्य, खिलाड़ी 5.स्टेडियम में क्रिकेट के लिए सुविधा नहीं है। नेट को अभी बेहतर करने की जरूरत है, ताकि थोड़ी राहत मिल सके। हमारे ऊपर सरकार को ध्यान देना चाहिए -सुशांत, खिलाड़ी 6.अगर यहां क्रिकेट ग्राउंड बन जाए तो जिले से भी अच्छे खिलाड़ी निकल सकते हैं। हमारी प्रतिभा को मौका मिलना चाहिए। -प्रिंस, खिलाड़ी 7.हम दिन-रात मेहनत करते हैं लेकिन मैदान नहीं होने से सपनों को पूरा करना मुश्किल हो जाता है। हमें एक बेहतर वातावरण चाहिए। -आयुष, खिलाड़ी 8.कई बार पिच की हालत इतनी खराब होती है कि बैटिंग और बॉलिंग दोनों ठीक से नहीं हो पाती। हमारी प्रैक्टिस का असर कम हो जाता है। -दीपक, खिलाड़ी 9.हमारे पास टैलेंट है लेकिन साधन नहीं हैं। मैदान और जरूरी सुविधाएं मिलें तो हम भी प्रदेश और देश में नाम रोशन कर सकते हैं। -शादान, खिलाड़ी 10.हम चाहते हैं कि जिला प्रशासन हम खिलाड़ियों की परेशानी सुने और हमें खेलने के लिए एक अच्छा मैदान मुहैया कराए। -यश, खिलाड़ी 11.ग्रामीण इलाकों से आकर यहां प्रैक्टिस करना मुश्किल होता है। ऊपर से मैदान न होने से समय और मेहनत दोनों बेकार जाता है। -आरव, खिलाड़ी 12.स्टेडियम में और खेल होते हैं, पर क्रिकेट के लिए कोई पिच या ग्राउंड नहीं। यह सबसे बड़ी समस्या है। जल्द सुधार की ज़रूरत है। -अर्पित, खिलाड़ी 13.हम कोचिंग करा रहे है लेकिन बुनियादी ढांचे की कमी है। अगर स्टेडियम में ग्राउंड और पिच बन जाए तो सहारनपुर से कई बड़े खिलाड़ी निकल सकते हैं। खिलाड़ियों में प्रतिभा है। -प्रीति मेहरा, कोच 14.खिलाड़ियों में बहुत टैलेंट है, लेकिन जब तक हमें सही पिच और मैदान नहीं मिलेगा, हम उन्हें बेहतर नहीं बना पाएंगे। जरूरी है कि शासन-प्रशासन जल्दी संज्ञान लेकर क्रिकेट ग्राउंड की व्यवस्था करें। -भावना तोमर, कोच

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