बोले सहारनपुर : युवाओं की हुंकार, अबकी बार आर-पार
Saharanpur News - पहलगाम हमले के बाद सहारनपुर के युवाओं में देशभक्ति की भावना जाग गई है। एनसीसी कैडेट्स और स्काउट्स ने कहा है कि वे अब देश के लिए मरने और मारने को तैयार हैं। सेना की एयर स्ट्राइक ने उन्हें प्रेरित किया...

पहलगाम हमले के बाद जब भारतीय सेना ने आतंक के खिलाफ करारा जवाब दिया, तो सहारनपुर समेत पूरे देश में सिर्फ गोले नहीं गूंजे बल्कि सेना में जाने की हुंकार भी गूंजी। सहारनपुर के युवाओं के दिल और दिमाग में देशभक्ति का लहू तेजी से दौड़ा। एनसीसी कैडेट्स, स्काउट्स और सेना में भर्ती की तैयारी कर रहे नौजवानों की आंखों में अब सिर्फ भविष्य का सपना नहीं, बल्कि देश की रक्षा का संकल्प है। इन युवाओं का कहना है कि अब आतंकवाद के खिलाफ सिर्फ शब्द नहीं, जवाब जरूरी है। अगर पाकिस्तान एक गोली चलाएगा, तो हम बारूद की बारिश करेंगे-यह अब नारा नहीं, एक प्रतिज्ञा बन चुकी है।
सेना की एयर स्ट्राइक ने जहां पूरे देश को गर्व से भर दिया, वहीं सहारनपुर के नौजवानों के सीने में आग सुलगा दी है। अब उनके लिए सरकारी नौकरी से ज़्यादा ज़रूरी है वर्दी पहनकर देश की सेवा करना, शांति बनाए रखना और हर आतंकी मंसूबे को मिट्टी में मिलाना। धर्म, जाति, भाषा से ऊपर उठकर ये युवा अब “भारत सबसे पहले” की भावना के साथ तैयार खड़े हैं। सहारनपुर की गली-गली से उठ रही ये आवाज़ें बताती हैं कि आने वाला कल सिर्फ सुरक्षित ही नहीं, ताक़तवर भारत का होगा-जहाँ हर नागरिक एक सिपाही है और हर सिपाही दुश्मन के लिए चेतावनी। सहारनपुर के एनसीसी कैडेट्स, स्काउट्स और सैन्य उम्मीदवारों ने साफ शब्दों में कहा है कि वे देश के लिए मरने और मारने को तैयार हैं। यह गुस्सा सिर्फ उस हमले के खिलाफ नहीं है, यह वर्षों से पाकिस्तान द्वारा पनपाए जा रहे आतंक के खिलाफ जमा हुआ असहनीय आक्रोश है। जिले के युवाओं की आंखों में अब सिर्फ सपने नहीं, बल्कि संकल्प भी है-देश को कोई आतंकी छू नहीं सकता और अगर कोशिश की, तो हम उसका नक्शा बदल देंगे। यह जोश, यह जुनून, यह राष्ट्रभक्ति आज हर गली, हर स्कूल, हर शिविर और हर दिल में दिखाई दे रही है। युवाओं का कहना है कि अब लड़ाई सिर्फ सीमा की नहीं है, यह हर भारतवासी की चेतना की लड़ाई है-जिसमें कोई समझौता नहीं होगा। जब भी आतंकवाद ने सिर उठाया है, तब-तब देश का जनमानस सिर्फ एक आवाज में गूंजा है-अब नहीं सहेंगे! पहलगाम में हुए कायराना आतंकी हमले ने जहां पूरे देश को झकझोर दिया, वहीं भारतीय सेना की जवाबी स्ट्राइक ने यह साबित कर दिया कि नया भारत अब चुप बैठने वाला नहीं है। इस जवाबी कार्रवाई ने केवल दुश्मनों को करारा झटका नहीं दिया, बल्कि देशभर में युवाओं की रगों में बहते खून को भी उबाल दिया। --- एनसीसी, स्काउट्स और सैन्य तैयारियों में जुटे युवाओं की हुंकार सहारनपुर के सैकड़ों युवाओं, विशेषकर एनसीसी कैडेट्स, स्काउट्स और सेना में भर्ती की तैयारी कर रहे नौजवानों ने खुले मंचों, सोशल मीडिया और सार्वजनिक स्थानों के अलावा हिन्दुस्तान से बातचीत के दौरान अपनी भावनाएं स्पष्ट शब्दों में रखीं। उनके स्वर एक जैसे थे कि-अब और नहीं। अगर भारत की ओर एक गोली आएगी, तो हम जवाब में बारूद की बारिश करेंगे। एनसीसी कैडेट्स का कहना है कि गुरुवार की रात सेना की कार्रवाई देखकर सीना गर्व से चौड़ा हो गया। बहुत हो चुका-अब हम चुप नहीं बैठ सकते। अगर मौका मिले तो हम पाकिस्तान को नक्शे से मिटा देंगे। देश के दुश्मनों को अब सख्त जवाब देना जरूरी हो गया है। ये सिर्फ शब्द नहीं, ये उस जज्बे की आवाज है जो दशकों से भारत के युवाओं में पनपता आ रहा है और अब फूट कर सामने आ रहा है। --- देश के लिए जान भी देंगे युवाओं की भावनाएं इस बार सिर्फ संवेदनाओं तक सीमित नहीं रहीं, बल्कि उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि अब बात सिर्फ बैठकर अफसोस जताने की नहीं है, अब वक्त है एक्शन लेने का। कैडेट्स का कहना है कि हमारी सेना जो कर रही है वह बिल्कुल सही है। अब हम भी तैयार हैं देश के लिए जान देने के लिए। पहलगाम हमला सिर्फ पर्यटकों पर नहीं, प्रत्येक भारतीय पर हमला था। अब हमे एकजुट होकर जवाब देना चाहिए। देशभर में यह भावना तेजी से फैल रही है कि अब सिर्फ सेना ही नहीं, आम नागरिकों को भी मानसिक रूप से तैयार रहना होगा। यह युद्ध केवल बॉर्डर पर नहीं, बल्कि विचारधारा के स्तर पर भी लड़ा जाना है। ----- सरकारी नौकरी से कही ज्यादा महत्वपूर्ण राष्ट्र का सम्मान और बलिदान पहलगाम हमले के बाद भारतीय सेना की सटीक कार्रवाई ने एक बार फिर साबित कर दिया कि भारत अब चुप बैठने वाला देश नहीं रहा। सेना की ये स्ट्राइक न केवल सैन्य दक्षता का प्रमाण हैं, बल्कि युवाओं के लिए प्रेरणा बन गई हैं। सेना की तैयारी कर रहे युवा कहते है कि सेना ने आतंक के खिलाफ कार्रवाई कर दिखाया कि भारत कमजोर नहीं है। हम खुद सेना में भर्ती होकर देश की सेवा करना चाहता हूं। हमे सिर्फ करियर के लिए नहीं बल्कि राष्ट्र की रक्षा की प्राथमिकता को लेकर भर्ती होना चाहते है। युवाओं का सोच बदल चुकी है उनके लिए अब सरकारी नौकरी या सुरक्षित जीवन से कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण है-राष्ट्र का सम्मान, उसकी रक्षा और उसके लिए बलिदान। --- पढ़ाई लिखाई डिजिटल मिली, देशप्रेम पूर्वजों से सीखा बीते कुछ वर्षों में भारत ने पाकिस्तान के साथ कई बार कूटनीतिक वार्ता की कोशिश की, लेकिन हर बार नतीजा यही रहा-आतंकी हमले, घुसपैठ, सीजफायर उल्लंघन। युवाओं की राय अब बिल्कुल साफ है-बातचीत अब बंद होनी चाहिए। युवा कहते है कि पाकिस्तान से अब बातचीत का कोई मतलब नहीं है। जब तक वे आतंकवाद को पनाह देते रहेंगे, तब तक ऐसे स्ट्राइक जरूरी हैं। मैं सेना में नहीं हूं, लेकिन देश के लिए कुछ भी कर गुजरने को तैयार हूं। इस पीढ़ी की खास बात यह है कि यह डिजिटल युग में पली-बढ़ी है, लेकिन इसके भीतर देशप्रेम और ज़िम्मेदारी का जज्बा अपने पूर्वजों जैसा ही है। ये युवा अब केवल फेसबुक पोस्ट या ट्विटर ट्रेंड तक सीमित नहीं हैं, ये सड़कों पर, मैदानों में, भर्ती शिविरों में और एनसीसी के परेड ग्राउंड पर देश की रक्षा का सपना लिए पसीना बहा रहे हैं। --- बेटियां भी सीमा पर जाने को तैयार जहां पहले सेना और देशभक्ति का जिक्र होते ही पुरुषों की छवि सामने आती थी, वहीं अब यह सोच तेजी से बदल रही है। सहारनपुर की बेटियां भी अब तिरंगे के सम्मान और देश की रक्षा के लिए आगे आ रही हैं। सीआरपीएफ, सेना, एयरफोर्स और अर्धसैनिक बलों में भर्ती की तैयारी कर रही लड़कियों में जो जुनून है, वह किसी लड़के से कम नहीं। वे अब सिर्फ डॉक्टर, टीचर या बैंक अफसर बनने का सपना नहीं देख रहीं, बल्कि बंदूक थामकर सीमा पर खड़ी होने का जज्बा भी रखती हैं। पहलगाम हमले और भारतीय सेना की जवाबी कार्रवाई के बाद लड़कियों में जोश और भी दोगुना हो गया है। स्कूलों, कोचिंग संस्थानों और भर्ती प्रशिक्षण शिविरों में देशभक्ति के नारे अब केवल लड़कों की आवाज नहीं, बेटियों की बुलंदी भी बन चुके हैं। एनसीसी में शामिल छात्राओं का कहना है कि वे न सिर्फ देश के लिए जान देने को तैयार हैं, बल्कि जरूरत पड़ी तो हर मोर्चे पर दुश्मन का सामना करने से भी पीछे नहीं हटेंगी। --- एकजुटता का संदेश: धर्म, जाति से ऊपर उठकर भारत सबसे पहले पहलगाम में हुए हमले ने पूरे देश को झकझोर दिया, लेकिन यह भी साफ हुआ कि आतंक की नापाक हरकतें भारत को तोड़ नहीं सकतीं। सहारनपुर में जब मुस्लिम समाज के लोग जुमे की नमाज में तिरंगा लेकर पहुंचे और सेना की कामयाबी के लिए दुआ की, तो पूरे देश को यह संदेश मिला कि भारत पहले है, बाकी सब बाद में। मुस्लिम युवाओं का कहना है कि हमारी फौज मुल्क की रखवाली कर रही है। हम सब उनके साथ हैं। आतंकवाद का कोई मजहब नहीं होता और जो इंसानियत के खिलाफ है, उसका समर्थन इस्लाम में भी नहीं। देश के कोने-कोने से इस तरह के स्वर गूंज रहे हैं, जो यह साबित करते हैं कि आतंकवाद भारत में अपनी जड़ें नहीं जमा सकता। चाहे वह किसी धर्म, भाषा या प्रांत से लड़ने आए-भारत की एकता उसे कुचल देगी। --- युवाओं में दिख रहा क्रांतिकारी बदलाव सहारनपुर के हर गांव में अब युवाओं की सोच में एक क्रांतिकारी बदलाव देखा जा रहा है। वे अब केवल सरकारी नौकरी या निजी संस्थानों में उच्च वेतन की चाह में नहीं हैं। वे सेना, पुलिस, अर्धसैनिक बलों और देश सेवा के हर मंच को सम्मान की नजर से देख रहे हैं। सीआरपीएफ में जाने की इच्छुक छात्रा सोनल कहती है कि पहले करियर का मतलब डॉक्टर या इंजीनियर बनना होता था। लेकिन अब मैं देखती हूं कि मेरे जैसे कई युवा सेना और अर्धसैनिक बलों में भर्ती होना चाहते हैं। यह बदलाव स्वागत योग्य है और देश के भविष्य के लिए शुभ संकेत है। --- तिरंगा सिर्फ एक झंडा नहीं भावना बना एयर स्ट्राइक के बाद हुए प्रदर्शन, रैलियों और युवाओं के तिरंगा लहराते जुलूस इस बात का प्रमाण हैं कि तिरंगा अब सिर्फ झंडा नहीं, बल्कि एक भावना है जो हर दिल में बस चुकी है। जब सहारनपुर के मुस्लिम युवक मस्जिद से तिरंगा लेकर निकले और “हिंदुस्तान जिंदाबाद” के नारे लगाए, तो वह दृश्य एकता और राष्ट्रभक्ति की सुंदर तस्वीर बन गया। अब वक्त है जागने का, हर नागरिक सिपाही बने देश अब एक ऐसे मोड़ पर खड़ा है जहाँ आतंकवाद, कट्टरपंथ और विभाजनकारी शक्तियों से मुकाबला केवल सेना को नहीं करना है। इस लड़ाई में हर नागरिक का जागरूक और सक्रिय होना जरूरी है। सहारनपुर के युवाओं ने यह दिखा दिया कि देश के लिए मरने और मारने का जज़्बा अब केवल फिल्मों में नहीं, जमीनी हकीकत बन चुका है। भारत की आत्मा उसके नागरिकों में बसती है और जब वे एकजुट हो जाएं, तो कोई भी दुश्मन उसे तोड़ नहीं सकता। 0-बोले युवा 1.देश के लिए मर मिटने का अब बस सपना नहीं, संकल्प है। सेना ने पाकिस्तान पर कार्रवाई कर हमें यह एहसास दिलाया कि अब चुप रहने का समय नहीं। हर युवा अब वर्दी पहनकर देश के दुश्मनों को जवाब देना चाहता है। अब भारत कमजोर नहीं, ताकतवर है। -कृष्णा शर्मा 2.देश की सेवा सबसे बड़ी सेवा है। हम बेटियां अब सीमा पर खड़ी होने को तैयार हैं। तिरंगा हमारे खून में है और इसकी रक्षा के लिए हम हर कुर्बानी देंगे। आतंकियों को जवाब देने के लिए अगर अभी मौका मिले तो बॉर्डर पर जा सकती हूं। -अंशिका 3.एनसीसी ने हमें अनुशासन और देशभक्ति सिखाई है। पहलगाम हमले ने भीतर से झकझोर दिया और अब सेना की तरह लड़ने का जज़्बा पैदा कर दिया है। हमें मौका मिला तो दुश्मन के इरादों को जड़ से खत्म कर देंगे। -तानिष्का सैनी 4.हम बेटियां अब सिर्फ रसोई और किताबों तक सीमित नहीं हैं। अगर जरूरत पड़ी तो बंदूक भी थामेंगे और दुश्मनों को उन्हीं की भाषा में जवाब देंगे। देश पहले है, बाकी सब बाद में है। कुर्बानी देने के लिए हम तैयार है। -रिया शर्मा 5.पहलगाम हमला हम सभी पर हमला था। अब वक्त आ गया है कि हम सिर्फ बातों से नहीं, एक्शन से जवाब दें। मैं सेना में जाने के लिए दिन-रात मेहनत कर रहा हूं ताकि देश के लिए कुछ कर सकूं। -प्रिंस 6.भारत अब चुप बैठने वाला देश नहीं रहा। हमारी सेना ने बता दिया कि हम कमजोर नहीं हैं। मैं सेना में भर्ती होकर राष्ट्र की रक्षा करना चाहता हूं। अब करियर नहीं, देश पहले है। -आदित्य 7.मेरे लिए अब कोई नौकरी, कोई पद उतना महत्वपूर्ण नहीं है जितना देश की रक्षा करना। आतंकियों को जवाब देना अब हमारी जिम्मेदारी भी है। हम हर सीमा पर तैयार खड़े हैं-तन, मन और जीवन से। -शिवम 8.जो हुआ वह बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। अब युवाओं को आगे आना होगा। हम सिर्फ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े नहीं होंगे, बल्कि जरूरत पड़ी तो बंदूक भी उठाएंगे। अब हर भारतीय सिपाही है। -प्रिंस 9.मैंने एनसीसी से अनुशासन सीखा और अब सेना में जाकर उसका उपयोग करना चाहता हूं। एयर स्ट्राइक ने हमारा हौसला बढ़ाया है और आतंकियों को संदेश दिया है-अब भारत जवाब देगा, और वह भी करारा। -यश कुमार 10.हमारा देश हमारे लिए परिवार से बढ़कर है। सेना की वीरता से गर्व होता है और हम भी उस वीरता को अपनाना चाहते हैं। भारतीय सेना में शामिल होकर देश के लिए बलिदान देने से पीछे नहीं हटूंगा। -हर्षित 11.मैंने सेना में जाने का फैसला अपने दिल की आवाज़ से किया है। तिरंगे के लिए मरना अब सिर्फ किताबों की बात नहीं रही, यह हकीकत है। जो भारत की ओर आंख उठाएगा, हम उसे इतिहास बना देंगे। -अभिजीत 12.पहलगाम की घटना ने मेरा नजरिया बदल दिया। अब मैं सिर्फ खुद के लिए नहीं, अपने देश के लिए जीना चाहता हूं। वर्दी पहनना मेरा सपना नहीं, मेरी जिम्मेदारी बन चुकी है। हम सभी को इसके लिए तैयार रहना होगा। -देवांक गुप्ता 13.हमारा खून अब खौल रहा है। अब देश के युवाओं को सिर्फ मोबाइल नहीं बल्कि देशरक्षा के लिए हथियार उठाने चाहिए। हमें देश के दुश्मनों को मारकर दिखाना है कि भारत बदल चुका है। - यश पांचाल 14.मैं गर्व महसूस करता हूं कि हमारे एनसीसी कैडेट्स में आज इतना राष्ट्रप्रेम है। यह भावनाएं दिखाती हैं कि भारत का भविष्य सुरक्षित हाथों में है। हमें अपने युवाओं का मनोबल बनाए रखना और उन्हें दिशा देना होगा। -ब्रिजेश पुंडीर (एसोसिएट एनसीसी अधिकारी)
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