अस्पतालों और सेवा केंद्रों में स्टाफ की कमी, पशुपालक हो रहे परेशान
Sambhal News - संभल जिले में पशुपालकों के लिए 18 पशु अस्पताल हैं, लेकिन इनमें केवल 11 पशु चिकित्सक तैनात हैं। इससे बीमार पशुओं को समय पर इलाज नहीं मिल पा रहा है, जिससे पशुपालक परेशान हैं और निजी चिकित्सकों का सहारा...

संभल। जिले में पशुपालकों के लिए स्थापित पशु स्वास्थ्य सेवाओं की हालत चिंताजनक बनी हुई है। जिले में कुल 18 पशु अस्पताल संचालित हो रहे हैं, लेकिन इनमें से कई अस्पताल बिना डॉक्टर के ही काम चला रहे हैं। वर्तमान में इन 18 अस्पतालों के सापेक्ष केवल 11 पशु चिकित्सक ही तैनात हैं, जिससे बीमार पशुओं को समय पर उचित इलाज नहीं मिल पा रहा है। इससे पशुपालक खासे परेशान हैं और उन्हें निजी चिकित्सकों का सहारा लेना पड़ रहा है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति पर भी असर पड़ रहा है। जिले में कुल 42 पशु सेवा केंद्र बनाए गए हैं, जिनका उद्देश्य गांव-गांव तक पशु चिकित्सा सुविधाएं पहुंचाना है लेकिन इन केंद्रों के संचालन के लिए केवल 12 पशु प्रतिसार अधिकारी ही तैनात हैं। स्टाफ की इस भारी कमी के चलते अधिकांश सेवा केंद्र या तो बंद हैं या बहुत सीमित रूप से संचालित हो पा रहे हैं। इसका सीधा असर पशुपालकों को मिलने वाली सरकारी योजनाओं और मुफ्त सेवाओं पर पड़ रहा है। हालांकि, जिला प्रशासन ने प्रत्येक विकास खंड में 1962 मोबाइल पशु चिकित्सा वाहन की व्यवस्था की है। ये वाहन बीमार पशुओं का उनके घर जाकर इलाज कर रहे हैं, जिससे कुछ हद तक राहत जरूर मिली है। फिर भी स्टाफ की कमी और संसाधनों की सीमितता के कारण ये सेवाएं भी सभी क्षेत्रों तक प्रभावी रूप से नहीं पहुंच पा रही हैं। पशुपालकों और किसानों की मांग है कि जिले में सभी पशु अस्पतालों में डॉक्टरों की तैनाती की जाए, पशु सेवा केंद्रों को पूरी तरह से क्रियाशील बनाया जाए और गोवंशीय पशुओं को सड़कों से हटाकर गोशालाओं में पहुंचाया जाए। साथ ही, मोबाइल चिकित्सा वाहनों की संख्या बढ़ाई जाए ताकि दूर-दराज के गांवों तक भी प्रभावी पशु चिकित्सा सुविधा पहुंच सके।
जनपद में 112 गोशालाएं संचालित
जिले में कुल 112 गोशालाओं का संचालन किया जा रहा है, जिनमें 6 वृहद गोशालाएं भी शामिल हैं। इन गोशालाओं में लगभग 24 हजार गोवंशीय पशु संरक्षित हैं। इसके बावजूद बड़ी संख्या में आवारा गोवंश सड़कों और खेतों में घूमते नजर आते हैं। ये पशु किसानों की फसलों को नुकसान पहुंचा रहे हैं, जिससे कृषि पर निर्भर ग्रामीण आबादी परेशान है।
क्या बोले पशुपालक और जिम्मेदार
मेरी दो भैंसें बीमार हो गई थीं, आसपास कोई पशु अस्पताल नहीं हैं, प्राइवेट डॉक्टर को बुलाया, जिसने एक बार आने का 500 रुपये ले लिए। अगर सरकारी अस्पताल पास में होता, तो इतना खर्चा न होता।
- भूरे सिंह, पशुपालक।
हमारे यहां पशु सेवा केंद्र तो बना है, लेकिन कर्मचारी की तैनाती नहीं है। पिछले महीने मेरी गाय बीमार हुई तो मजबूरी में प्राइवेट इलाज कराना पड़ा। सरकार को चाहिए कि हर केंद्र पर डॉक्टर तैनात करे।
- रवि सैनी,पशुपालक।
पशु ही हमारी आमदनी का जरिया हैं। लेकिन जब पशु बीमार होते हैं तो इलाज कराना मुश्किल हो जाता है। मोबाइल वैन मददगार बन रही है, लेकिन वह भी बार-बार नहीं आती है। स्वास्थ्य सेवा ठीक से मिले तो हमें राहत मिल सकती है।
- मुखिया, पशुपालक।
मेरा बैल बीमार हो गया था, 1962 नंबर पर कॉल किया तो मोबाइल वाहन आया और इलाज हुआ, इससे थोड़ी राहत मिली। लेकिन सभी क्षेत्रों में ये सेवा समय पर नहीं पहुंचती। सरकार को चाहिए कि इनकी संख्या को बढ़ाया जाए।
- सुलेराम सिंह, पशुपालक।
जिले में 18 अस्पताल हैं, इनके सापेक्ष 11 डॉक्टरों की तैनाती है। डॉक्टरों की कमी है, सभी ब्लाक पर एक-एक मोबाइल वाहन भी मौजूद है। जिले में 42 पशु सेवा केंद्र हैं लेकिन वहां भी 12 कर्मचारी ही तैनात हैं।
- डॉ. शैलेंद्र कुमार, मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी
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