Anganwadi Workers Face Challenges in Sant Kabir Nagar Amidst Essential Services काम का बोझ बढ़ता जा रहा, लेकिन नहीं बढ़ा मानदेय, Santkabir-nagar Hindi News - Hindustan
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काम का बोझ बढ़ता जा रहा, लेकिन नहीं बढ़ा मानदेय

Santkabir-nagar News - संतकबीरनगर, हिन्दुस्तान टीम। संतकबीरनगर जिले के ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में गर्भवती, धात्री

Newswrap हिन्दुस्तान, संतकबीरनगरWed, 30 April 2025 10:34 AM
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काम का बोझ बढ़ता जा रहा, लेकिन नहीं बढ़ा मानदेय

संतकबीरनगर, हिन्दुस्तान टीम। संतकबीरनगर जिले के ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में गर्भवती, धात्री महिलाओं के विकास से लेकर बच्चों की स्कूली शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं और अन्य बुनियादी सेवाओं में आंगनबाड़ी कार्यकर्त्री प्राथमिकता के साथ जुटी रहती हैं। बच्चों के टीकाकारण से लेकर गर्भवती महिलाओं की देखभाल, पोषण और स्वास्थ्य से जुड़ी शिक्षा को ग्रामीणों क्षेत्रों परिवार को जागरूक करने में सबसे आगे रहती हैं। अधिकारी इनकी हर जगह ड्यूटी लगा भी देते हैं। कम मानदेय, बुनियादी ढांचे की खराब स्थिति, पोषण कार्यक्रम अनियमितता से जिले की कार्यकर्त्रियां जूझ रही हैं। सुविधाएं भी नहीं मिल रही हैं। आपके अपने अखबार ‘हिन्दुस्तान ने संवाद किया। संवाद में आंगनबाड़ी कार्यकर्त्रियों ने अपनी समस्याएं खुलकर साझा किया।

जिले से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में कुल 1550 आंगनबाड़ी कार्यकर्त्री तैनात हैं। कुल 1775 केन्द्र हैं, कुछ केन्द्र प्रभारी के भरोसे संचालित हो रहे हैं। सरकारी योजनाओं से लेकर ग्रामीण इलाकों में बच्चों और महिलाओं को शिक्षा और स्वास्थ सेवाओं से लेकर कुपोषण से लड़ने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। दूसरों के लिए सेवा में तत्पर आंगनबाड़ी कार्यकर्त्रियों को आज भी कई प्रकार की दुश्वारियां झेलनी पड़ती हैं। आंगनबाड़ी कार्यकर्त्री समाज के सबसे महत्वपूर्ण स्तंभों से एक हैं। जिले में आंगनबाड़ी कार्यकर्त्री अपनी जिम्मेदारियों को बखूबी तरीके से निभा रही हैं। कम मानदेय के साथ मेहनत के साथ काम करती रहती हैं। कम मानदेय होने के कारण महंगाई के दौर में परिवार का भरण-पोषण करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। लेकिन आंगनबाड़ी कार्यकर्त्रियां सेवा से पीछे नहीं हटती हैं। कई बार समय से मानदेय नहीं मिलने की समस्या से जूझती हैं। आंगनबाड़ी कार्यकर्त्री संघ की अध्यक्ष मंजू चौधरी का कहना है आंगनबाड़ी कार्यकर्त्रियों को अपने क्षेत्र में गर्भवती महिलाओं की देखभाल, सरकारी योजनाओं का क्रियान्वयन और सर्वेक्षण आदि के साथ अन्य कई जिम्मेदारियां निभानी पड़ती हैं। इसके बावजूद उन्हें सीमित संसाधनों में काम करना पड़ रहा है। सरकारी कामों का ऑनलाइन डाटा मोबाइल से देना पड़ता है, लेकिन उनका मोबाइल पुरानी तकनीक वाला है, जिससे काफी समस्याएं होती हैं। विभाग को ऑनलाइन डाटा भेजने के लिए आंगनबाड़ी कार्यकर्त्रियों को बेहतर मोबाइल के साथ बेहतर डाटा वाले रिचार्ज की सुविधा मिलनी चाहिए, जिससे आंगनबाड़ी काम में सूहलियत मिल सकें। विभागीय काम के अलावा इन्हें अन्य कई काम करने पड़ते हैं। काम के सापेक्ष मानदेय बहुत कम मिलता है। मानदेय में वृद्धि जल्द से जल्द किया जाए।

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चेहरा प्रमाणीकरण बन गई समस्या

आंगनबाड़ी कार्यकर्त्रियों का कहना है पोषाहार वितरण लाभार्थियों का चेहरा प्रमाणीकरण बड़ी समस्या बन गई है। मालती पांडेय बताती हैं कि गर्भवती और जच्चा या धात्री महिलाएं जो लाभार्थी होती हैं उनका चेहरा प्रमाणीकरण जरूरी है। अगर ऐसा न किया जाए तो उनको पोषाहार नहीं मिल सकता है। कई बार इन महिलाओं को तक पोषाहार केवाईसी के कारण पहुंच नहीं पाता और इसकी शिकायत लोग ऑनलाइन पोर्टल पर कर देते हैं। अगर शिकायत की सुविधा लाभार्थियों के लिए है तो आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों के लिए भी जवाब का कॉलम होना चाहिए। इसको देखते हुए पोषाहार वितरण में चेहरा प्रमाणीकरण की समस्या को बंद किया जाए। जिससे पोषाहार वितरण आसानी से हो सके।

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कई कामों की दी गई है जिम्मेदारी

आंगनबाड़ी कार्यकर्त्रियों का कहना है हमें छह सेवाएं प्रदान करने की जिम्मेदारी दी गई हैं। इनमें अनुपूरक पोषाहार, स्कूल पूर्व शिक्षा, टीकाकरण, स्वास्थ जांच व पोषण, स्वास्थ शिक्षा और संदर्भ सेवाएं शामिल हैं। कार्यकर्त्री मालती बताती हैं कि ड्यूटी सुबह 10 बजे से दो बजे तक रहती है और एक घंटे होम विजिट करती हैं। बहुत सी आंगनबाड़ी कार्यकत्री कई केंद्र की जिम्मेदारी संभाल रही हैं। एक कार्यकर्ता बीएलओ, स्वास्थ विभाग, जनगणना, पल्स पोलियो के कार्यों के साथ कई केंद्र भी जिम्मेदारी संभाल रही हैं।

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नहीं मिलता गर्मियों में अवकाश

आंगनबाड़ी कार्यकर्त्रियों का कहना है गर्मी की छुट्टी में केंद्र का संचालन करना पड़ता है। आंगनबाड़ी केंद्रों में शून्य से पांच साल के बच्चों को बुलाया जाता है। प्राथमिक विद्यालयों में ग्रीष्मकालीन और शीतकालीन अवकाश होने के बाद भी आंगनबाड़ी केंद्र खुले रहते हैं। जिससे धूप, गर्मी के कारण उनके स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। लिहाजा आंगनबाड़ी केंद्रों पर गर्मी की छुट्टी विभाग की ओर से मिलनी चाहिए। इसके अलावा शीतकालीन अवकाश भी मिलना चाहिए। महिला एवं बाल विकास से जुड़ी विभिन्न योजनओं के क्रियान्वयन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली आंगनबाड़ी कार्यकत्री को सेवानिवृत्त होने के बाद सामाजिक व आर्थिक सुरक्षा को देखते हुए पेंशन या अन्य लाभ नहीं मिलता है। सरकार को पेंशन की व्यवस्था लागू करनी चहिए।

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हर जगह जिम्मेदार लगा देते हैं ड्यूटी

आंगनबाड़ी कार्यकत्री के कंधों पर शून्य से लेकर छह वर्ष के आयुवर्ग के बच्चों के पोषण एवं प्राथमिक स्वास्थ की देखभाल, अनौपचारिक शिक्षा के साथ पूरक आहार उपलब्ध कराने, शिशु एवं स्तनपान, गर्भवती महिलाओं को कुपोषण से बचाने की जिम्मेदारी है। इसके बाद भी बीएलओ, जनगणना, आर्थिक जनगणना, पल्स पोलियो, फाइलेरिया, ओडीएफ आदि कार्य भी उनसे करवाए जा रहे हैं। लेकिन उन्हें आजतक न तो सरकारी कर्मचारी घोषित किया गया है और न ही न्यूनतम मानदेय का भुगतान किया जा रहा है।

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बहुत कम मिलता है मानदेय

आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों का कहना है कि उनको बहुत कम मानदेय मिलता है, जो उनके परिवार का भरण-पोषण के लिए पर्याप्त नहीं होता। केंद्रों में बच्चों के लिए पर्याप्त पोषण सामग्री, शिक्षण उपकरण और स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी होती है, जिससे उनका कार्य प्रभावित होता है। सरकारी योजनाओं के प्रचार-प्रसार से लेकर सर्वेक्षण तक कई अतिरिक्त कार्य करने होते हैं, जिससे उनका मूल कार्य प्रभावित होता है।

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चुनाव ड्यूटी तो करती हैं लेकिन नहीं मिलता मानदेय

लोकसभा विधानसभा या पंचायत चुनाव में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता की निर्वाचन में ड्यूटी से लेकर मतदाता सूची में नाम दर्ज करने के लिए घर-घर जाती हैं। इसके बाद भी आंगनबाड़ी कार्यकर्त्रियों को चुनाव की ड्यूटी के दौरान मिलने वाला मानदेय नहीं मिलता है। दो-चार महीने अधिकारियों के यहां चक्कर लगाने के बाद थक हार कर बैठ जाती हैं। इन्हे परिवहन शुल्क भी खुद वहन करना पड़ता है, जिससें आंगनबाड़ी कार्यकर्त्रियों का अतिरिक्त खर्च हो रहा है।

जिलाध्यक्ष मंजू चौधरी ने कहा कि मानदेय कम मिलता है, इसके अलावा काम का बोझ अधिक हैं। संगठन लगातार आंगनबाड़ी कार्यकर्त्रियों की समस्याओं को लेकर आन्दोलन कर रहा है। कई पत्र शासन को भेजे गए हैं। लेकिन अभी तक कोई ठोस पहल नहीं हुई है। अल्प मानदेय में भी हमारी बहनें अपने दायित्वों का निर्वहन पूरी ईमानदारी और निष्ठा से करती हैं। हमें सरकारी कर्मचारी का दर्ज दिए जाने के साथ ही सभी सुविधाएं भी दी जानी चाहिए।

विधायक खलीलाबाद अंकुर राज तिवारी ने कहा कि आंगनबाड़ी कार्यकर्त्रियों की समस्याओं के निस्तारण के लिए शासन स्तर पर पहल की जाएगी। हमारी सरकार में कई मांगे पूरी हुई हैं। मानदेय वृद्धि के साथ ही अन्य सुविधाओं को लेकर सदन में आवाज उठाई जाएगी। आंगनबाड़ी कार्यकर्त्रियां सरकार की महत्वपूर्ण योजनाओं को अन्तिम पायदान पर बैठे व्यक्ति तक पहुंचाने का काम करती हैं। उनके कार्य सरहानीय हैं।

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