भारत माता का मस्तक ऊंचा करने वाले सैनिक बेटों पर माताओं को है गर्व
Santkabir-nagar News - संतकबीरनगर के जांबाज सैनिकों ने पाकिस्तान को करारा जवाब देते हुए मां भारती की रक्षा की। माताओं ने अपने बेटों के लिए दुआएं कीं और उन्हें बलिदान के लिए प्रेरित किया। सैनिकों ने दुश्मन के खिलाफ अपनी जान...

हिन्दुस्तान टीम,संतकबीरनगर। जिले के जांबाज सैनिकों ने जान की बाजी लगाकर मां भारती की रक्षा व सेवा के लिए डंटकर जवाब दिया। आज पाकिस्तान को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया। पाकिस्तान को करारा जवाब दे सीज फायर की नौबत तक लाने वाले भारत माता की सेवा कर रहे अपने सैनिक बेटों पर उनकी माताओं को फख्र हो रहा है। आज उन माताओं को नमन जिन्होंने अपने लालों को आंचल के पल्लू से तपती लू और ठंड से बचाया था। अपने उस लाल को देश की सेवा की प्रेरणा देते हुए जान की बाजी लगा देने का संकल्प देकर दुश्मनी की छाती को छलनी कर भारत माता की लाज बचाने का संदेश दिया था।
उन बेटें में माताओं की आकांक्षाओं को पूरा कर दिया। ऐसी ममतामयी माताओं को नमन। आपरेशन सिंदूर के साथ अब तक चली सैन्य कार्रवा में एक तरफ भारत मां की सुरक्षा में बेटे सरहद पर तैनात रहे तो माताएं अपने बेटों लंबी उम्र व देश के रक्षा की दुआ करती रहीं। व्रत, पूजा पाठ के साथ-साथ हर पल अपने लाल की सकुशल वापसी के इंतजार में रहीं। बेटे विजयी होकर लौटने का संदेश दे रहीं। वहीं बेटों ने देश की रक्षा के लिए सीमा पर डटकर खड़े रहने का निर्णय लिया था। माताओं की दुआओं और आशीर्वाद से वे अपने कर्तव्य को निभा रहे थे। बेटे भले ही उनसे दूर हैं, लेकिन उनके प्रेम और समर्थन की ताकत उन्हें हमेशा ताकत देती रही। ऐसी माताओं के समर्पण को सलाम। मेरा बेटा भारत का लाल है, देश की रक्षा के लिए रहा तैयार बिसौवा निवासी मनोरमा देवी (75) के चार बेटे हैं। बड़े पुत्र हैं सुभाष चन्द्र पान्डेय, संजय कुमार पान्डेय, सुशील कुमार पान्डेय, सुनील कुमार पान्डेय हैं। सुभाष को समाज सेवा में लगाया। पूर्व में जिला पंचायत सदस्य रह कर समाज की अनवरत सेवा में लगे रहे। वहीं संजय, सुशील व सुनील सेना में सैनिक व अधिकारी हैं। मनोरमा देवी ने कहा कि बेटों का जब भी फोन आता था तो उनको बस एक बात मैं बताती रही कि घर पर मैं मां और वहां पर भारत माता, दोनों की लाज बेटा तुम्हारे हाथों में हैं। मैं हमेशा अपने तीनों बेटों को ड्यूटी में भारत माता की लाज रक्षा रखने संकल्प देती रही। तो बड़े बेटे को समाज सेवा करते वक्त हमेशा सही पथ पर चलने का ज्ञान दिया। मां भारती की सेवा में प्राणों की बाजी लगाने का दिया था संदेश छपिया अंगद की निवासी इन्द्रावती देवी के बेटे शंभू प्रसाद तिवारी सेना में नायक के पद पर तैनात हैं। उन्होंने बताया कि बेटा छुट्टी पर आया था। सीमा पर तनाव बनते ही छुट्टी निरस्त हुई तो वापस बुला लिया गया। वापस जाते समय सीने से लगाकर अपने बेटे को विदा किया था। उन्होंने कहा कि उसे एक ही संदेश दिया था कि आज मैं सौभाग्यशाली मां हूँ कि तुम्हारे जैसे सपूत जन्म दिया जो भारत मां की सेवा के काम आ रहा है। बेटे का हौसला बढ़ाते हुए कहा था कि भारत मां की रक्षा के लिए जरूरत लगे तो प्राणों की बाजी भी लगा देना लेकिन भारत मां को कहीं से भी आंच न आने देना। किसी भी तरह से कलंक न लगने पाए। देश के दुश्मनों को मुंहतोड़ जवाब देना। बेटे के साथ सिर्फ मैं नहीं पूरा देश खड़ा था सांड़े कला निवासी पुष्पा ओझा के बेटे गोकुलानन्द सेना में तैनात हैं। उन्होंने बेटे को संदेश दे उसका हौसला बढ़ाया था। कहा था बेटा कभी-कभी परिस्थितियाँ कठिन हो सकती हैं, मन में थकान या निराशा आ सकती है। उस समय, मेरी याद करना। याद रखना कि तुम्हारे पीछे मैं और पूरा देश खड़ा है, जिसकी उम्मीदें तुमसे जुड़ी हुई हैं। याद रखना उन परिवारों को, जिनके चेहरे पर तुम्हारी सलामती की दुआ हमेशा बनी रहती है। तुम सिर्फ सैनिक नहीं हो, तुम मेरे गौरव हो, तुम इस मिट्टी के रक्षक हो। तुम्हारा साहस प्रेरणादायक है। अपनी सेहत का ध्यान रखना, एक-दूसरे का साथ देना। हमेशा अपने कर्तव्य के प्रति समर्पित रहना। मेरा और पूरे देश का आशीर्वाद हमेशा तुम्हारे साथ है। विजयी होकर लौटना। आज यह कामना पूरी हुई। बेटे का बढ़ाती रहीं हौसला साड़े खुर्द निवासी सुशीला देवी के पुत्र गोकर्ण मिश्र आर्मी में हैं। उन्होंने अपनी भावनाओं से बेटे के हौसले को बढ़ाया। उन्होंने कहा कि बेटे की वीरता और समर्पण को मेरा प्रणाम है। बेटे के संदेश दिया था कि तुम देश की सीमाओं की रक्षा ही नहीं कर रहे, बल्कि हर उस नागरिक के विश्वास और सम्मान को भी बुलंद कर रहे हो, जो चैन की नींद सोता है क्योंकि उसे पता है कि मेरे वीर जवान जाग रहे हैं। तुम्हारे कंधों पर एक महान जिम्मेदारी है और मैं जानती हूँ कि तुम इसे पूरी निष्ठा और साहस के साथ निभा रहे हो। धूप हो या छाँव, सर्दी हो या गर्मी, तुम अडिग खड़े रहना। अपने देश और अपने लोगों की सुरक्षा के लिए। प्राणों की बाजी भी लगाना हो तो भारत माता की रक्षा के लिए पीछे मत हटना। कलंक का टीका न लगने देना। बेटों ने वह कर दिखाया जिसकी कामना थी।
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